इंडिया / चंद्रयान-2: नासा के LRO ने विक्रम लैंडर के लैंडिंग साइट की तस्वीरें ली

चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर से संपर्क साधने की समय सीमा समाप्त हो रही है. इसी बीच खबर आई है कि नासा के मून आर्बिटर ने चांद के उस क्षेत्र की तस्वीरें ली हैं जहां पहुंच चंद्रयान-2 से भारत का संपर्क टूट गया था. LRO की मदद से 17 सितंबर को कई तस्वीरें ली हैं. नासा फिलहाल इन तस्वीरों का विश्लेषण कर रहा है. इसी क्षेत्र में मिशन चंद्रयान-2 के तहत विक्रम लैंडर की साफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश की गई थी.

AajTak : Sep 20, 2019, 06:51 AM
चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर से संपर्क साधने की समय सीमा समाप्त हो रही है. इसी बीच खबर आई है कि नासा के मून आर्बिटर ने चांद के उस क्षेत्र की तस्वीरें ली हैं जहां पहुंच चंद्रयान-2 से भारत का संपर्क टूट गया था.

नासा के एक वैज्ञानिक के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा गया है कि नासा (NASA) ने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अपने लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (LRO) की मदद से 17 सितंबर को कई तस्वीरें ली हैं. नासा फिलहाल इन तस्वीरों का विश्लेषण कर रहा है. इसी क्षेत्र में मिशन चंद्रयान-2 के तहत विक्रम लैंडर की साफ्ट लैंडिंग कराने की कोशिश की गई थी, लेकिन विक्रम के लैंड होने से दो किलोमीटर पहले ही इसरो का संपर्क टूट गया था.

विक्रम लैंडर से संपर्क साधने की संभावना 21 सितंबर तक ही है. इसके बाद चांद के उस क्षेत्र में अंधेरा हो जाएगा. लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर (LRO) के डिप्टी प्रोजेक्ट साइंटिस्ट जॉन केलर ने एक बयान के जरिये यह कन्फर्म किया कि ऑर्बिटर के कैमरे ने तस्वीरें ली हैं.

उन्होंने कहा, LRO की टीम इन तस्वीरों की पुरानी तस्वीरों से तुलना करेगी और उनका विश्लेषण करेगी कि लैंडर दिखाई दे रहा है या नहीं. यह तस्वीरें तब ली गईं जब ऑर्बिटर चांद के दक्षिणी ध्रुव से गुजर रहा था. उस वक्त वहां अंधेरा होना शुरू हो गया था. स्पष्ट है कि वे तस्वीरें धुंधली होंगी.

लैंडर विक्रम को 14 दिनों तक करना था काम

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो का कहना है कि लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को चांद की सतह पर पहुंचने के बाद सिर्फ 14 दिनों तक काम करना था. इनकी उम्र चांद के एक दिन के बराबर थी, जो कि धरती पर 14 दिनों के बराबर है.

जहां पर बिक्रम लैंडर गिरा था, चांद के उस हिस्से में फिलहाल शाम है. 21 सितंबर के बाद वहां सूरज की रोशनी नहीं पड़ेगी और रात हो जाएगी. चांद पर रातें बहुत ठंडी होती हैं. रात के दौरान इस हिस्से का तापमान घटकर माइनस 200 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है. विक्रम लैंडर के इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे इस हिसाब से डिजाइन नहीं हैं कि इस तापमान में खुद को जीवित रख पाएं. इसलिए अब अगर अगले दिन में विक्रम से संपर्क स्थापित नहीं हो पाया तो इसकी संभावना हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी.

इसरो ने 7 सितंबर को तड़के 1.50 बजे के आसपास विक्रम लैंडर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड कराने की कोशिश की थी, लेकिन यह लैंडिंग उम्मीद के मुताबिक नहीं हो सकी और विक्रम से संपर्क टूट गया था. इसरो जल्दी ही चांद से ली गईं कुछ तस्वीरें जारी कर सकता है.