Vikrant Shekhawat : Aug 23, 2023, 08:14 AM
Chandrayaan 3 Mission: हिन्दुस्तान की शान चंद्रयान-3 आज चांद पर लैंड होने को तैयार है. इसरो ने ऐलान किया है कि सारी परिस्थितियां लैंडिंग के अनुकूल हैं और बुधवार शाम 6 बजकर 4 मिनट के तय समय पर चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर चांद की सतह पर अपने कदम रखेगा. इस पल पर पूरी दुनिया की निगाहें हैं, क्योंकि विक्रम लैंडर चांद के जिस हिस्से में उतरने वाला है, वहां आजतक कोई नहीं पहुंच पाया है और ये अभी तक रहस्य ही बना हुआ है. करीब 45 दिन के सफर के बाद अब जब चंद्रयान-3 अपनी मंजिल पर पहुंच रहा है, तब एक बार फिर इसके पूरे सफर को जानते हैं…6 जुलाई 2023: ISRO ने चंद्रयान-3 के लॉन्च के लिए 14 जुलाई 2023 दोपहर 2.35 का समय तय किया.14 जुलाई 2023: ISRO ने श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया, LVM3 M4 रॉकेट के जरिए इस मिशन को लॉन्च किया गया.15 जुलाई 2023: चंद्रयान-3 ने पृथ्वी का पहला ऑर्बिट सफलतापूर्वक पार किया. यहां से चंद्रयान-3 ने अपनी रफ्तार बढ़ाई और चांद के करीब पहुंचने लगा.1 अगस्त 2023: कुल 4 ऑर्बिट को पार करने के बाद चंद्रयान-3 ने ट्रांसलूनर ऑर्बिट में प्रवेश किया. ये पृथ्वी और चंद्रमा के बीच वाली ऑर्बिट है.5 अगस्त 2023: ISRO को बड़ी सफलता मिली और इस तारीख को चंद्रयान-3 चांद की ऑर्बिट में एंटर हुआ.17 अगस्त 2023: चंद्रयान-3 का लैंडर मॉड्यूल और प्रोपल्शन मॉड्यूल यहां अलग हुआ, जिसके बाद विक्रम लैंडर ने चांद की करीबी कक्षा में प्रवेश किया.19 अगस्त 2023: विक्रम लैंडर ने अपनी दोनों डिबूस्टिंग को पूरा किया, जिसकी मदद से वह चांद के 30 किमी. की रेंज में पहुंच गया.20 अगस्त 2023: विक्रम लैंडर अब चांद पर सूर्योदय इंतजार कर रहा है, जैसे ही चांद पर सूर्योदय की प्रक्रिया शुरू होगी तब लैंडिंग का काम शुरू होगा.23 अगस्त 2023: चंद्रयान-3 का विक्रम लैंडर शाम 6 बजकर 4 मिनट पर लैंडिंग के लिए तैयार है. अगर सबकुछ सही रहता है तो बुधवार की शाम को चांद पर हिन्दुस्तान का झंडा लहरा रहा होगा और चांद की सतह पर इसरो का लोगो छप रहा होगा.ना रुका ना थका चंद्रयान-3करीब 45 दिन के सफर के बाद चंद्रयान-3 अपनी मंजिल पर पहुंच रहा है, लेकिन इस सफर में एक भी पल ऐसा नहीं आया जहां इसरो के इस मिशन ने हार मानी हो. जबकि चंद्रयान-3 के बाद लॉन्च हुआ रूस का लूना-25 मिशन जो कि भारत से पहले चांद पर पहुंचने के लिए तैयार था, वह हार मान गया और 21 अगस्त को अपनीलॉन्चिंग से पहले ही क्रैश हो गया. भारत ने चंद्रयान-2 की विफलता से काफी कुछ सीखा और पिछले 4 साल में उन सभी कमियों पर काम किया, यही कारण है कि वैज्ञानिक अब चंद्रयान-3 की सफलता के लिए पूरी तरह से आश्वस्त हैं.इतिहास रचेगा हिन्दुस्तानइसरो का चंद्रयान-3 पूरी दुनिया के लिए इसलिए भी खास है, क्योंकि अगर यह सफल होता है तो चांद के दक्षिणी हिस्से में पहुंचने वाला भारत पहला देश होगा. यहां अभी तक कोई नहीं पहुंच पाया है, यहां ऊंचे पहाड़ हैं, ज्वालामुखी जैसी चीज़ें हैं और यहां तक कि सूरज की रोशनी भी नहीं पहुंच पाई है, ऐसे में भारत का चंद्रयान-3 यहां पहुंचकर अपने मिशन को अंजाम देना चाहता है. इसका मुख्य मिशन यहां पर पानी की खोज करना और अन्य संभावनाओं को तलाशना है. बता दें कि चांद के दूसरे हिस्से में भारत के ही चंद्रयान-1 ने पानी के सबूत निकाले थे.