Vikrant Shekhawat : Sep 29, 2023, 06:00 AM
Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 से चांद को छूने वाले भारत की सफलता से चीन बुरी तरह बौखलाया हुआ है, ISRO के वैज्ञानिकों की सफलता पर अब तक चुप्पी साधे चीन ने अब एक ऐसा झूठ बोला है, जिस पर उसके पड़ोसी देश को ही यकीं नहीं है. चीन के शीर्ष वैज्ञानिक ने दावा किया है कि भारत का चंद्रयान-3 चांद के साउथ पोल पर नहीं उतरा है. चीन के वैज्ञानिक का बयान ऐसे वक्त आया है जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिक चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान को दोबारा जगाने की कोशिश कर रहे हैं.चंद्रयान-3 को चांद के साउथ पोल पर उतारकर ISRO ने एक नया इतिहास लिखा है. दुनिया भर के देशों ने स्पेस रिसर्च के क्षेत्र में बढ़ रहे भारत के वर्चस्व को माना और वैज्ञानिकों की सराहना की, भारत ने यह सफलता 23 अगस्त को पाई थी, 14 दिन का यह मिशन 11 दिन में ही पूरा कर ISRO ने एक रिकॉर्ड बनाया था और अपने विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को स्लीप मोड में डाल दिया था, ताकि दोबारा चांद पर सुबह होने पर इससे फिर काम लिया जा सके. इसरो के वैज्ञानिक अभी भी इसे जगाने की कोशिश में जुटे हैं. इस बीच चीन के शीर्ष वैज्ञानिक का दावा न सिर्फ चौंकाने वाला है बल्कि ड्रैगन की बौखलाहट का भी प्रतीक है.चीन ने किया है ये दावाचंद्रयान-3 के बारे में ये अजीब दावा किया है चीन के पहले मून मिशन के प्रमुख वैज्ञानिक रहे ओयांग जियुआन ने, साइंस टाइम्स अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक ओयांग का दावा है कि चंद्रयान-3 ने चांद के जिस क्षेत्र में लैंडिंग की है वह साउथ पोल नहीं है. ओयांग ने ये भी दावा किया कि भारत का यह मिशन जहां उतरा है वहां असल में कोई ध्रुवीय क्षेत्र नहीं है. इसके पीछे उनका तर्क है कि चंद्रमा का झुकाव 1.5 डिग्री पर है, इसीलिए उसका साउथ पोल क्षेत्र बहुत छोटा है. हालांकि ओयांग के दावे में दम इसलिए नजर नहीं आती, क्योंकि अब तक सबसे ज्यादा बार चांद पर पहुंचने वाली अंतरिक्ष स्पेस एजेंसी NASA ये मानती है कि चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव 80 से 90 डिग्री यानी तकरीबन 10 डिग्री के झुकाव पर है.हांगकांग के वैज्ञानिक ने की चीन की आलोचनाचंद्रयान-3 के बारे में चीन के शीर्ष वैज्ञानिक के दावे को हांगकांग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक ने खारिज कर दिया. अंतरिक्ष अनुसंधान प्रयोगशाला के निदेशक क्वेंटिन पार्कर के हवाले से साउथ चाइना मॉर्निंग में प्रकाशित एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचना एक बड़ी उपलब्धि है, जब पर वहां पर एक रोवर उतारते हैं वह गौरव का पल होता है. इससे पहले नासा, यूरोपियन अंतरिक्ष एजेसी, जापान की जाक्सा सहित तमाम अंतरिक्ष एजेंसियां भारत की इस सफलता की सराहना कर चुकी हैं.हाइबरनेशन में है विक्रम और प्रज्ञानचांद की सतह पर चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान हाइबरनेशन मोड में है, आसान शब्दों में इसे शीतकालीन नींद या सुसुप्तावस्था कहते हैं, दरअसल चांद के साउथ पोल पर रात के वक्त तापमान -238 डिग्री तक पहुंच जाता है, ठंड के समय जिस तरह कई जीव हाइबरनेशन में चले जाते हैं, उसी अवस्था में चंद्रयान-3 के ये दोनों मॉड्यूल भी पहुंच गए हैं, ISRO के वैज्ञानिक लगातार इनसे संपर्क स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, हालांकि अभी तक सफलता नहीं मिल सकी है.सफल हो चुका है मिशनचंद्रयान-3 मिशन ने अब तक ISRO को जो जानकारियां उपलब्ध कराई हैं वह उम्मीद से ज्यादा हैं. हाल ही में ISRO की ओर से इसकी पुष्टि की गई थी. भारतीय स्पेस एजेंसी के वैज्ञानिकों ने ये दावा किया था कि लैंडर विक्रम और प्रज्ञान रोवर काफी जानकारियां भेज चुके हैं, इन्हें जगाने का प्रयास इसलिए किया जा रहा है ताकि बोनस जानकारियां प्राप्त की जा सकें.काम कर रहा है प्रोप्ल्शन मॉड्यूलचंद्रयान-3 के साथ ISRO ने चांद पर तीन मॉड्यूल भेजे थे, इनमें सबसे प्रमुख था प्रोप्ल्शन मॉड्यूल, जो चांद की सतह से कुछ दूरी पर अलग होकर चंद्रमा की ऑर्बिट के चक्कर लगा रहा है, तकरीबन 55 दिनों से ये लगातार काम कर रहा है. इसके साथ गया पेलोड स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ है, यह लगातार काम कर रहा है और ISRO को जानकारियां भेज रहा है. यह पेलोड चंद्रमा की ऑर्बिट में घूमते हुए ही आसपास के एक्सप्लोनेट का डाटा भेज रहा है, ताकि ISRO उस एक्सप्लोनेट के बारे में रिसर्च कर सके जो धरती की तरह रहने योग्य हैं.