Chandrayaan 3 Mission / चंद्रयान का चांद पर काम पूरा- ISRO ने स्लीप मोड पर डाला, सूर्ययान अब गदर मचाने को तैयार

ISRO की ओर से भेजा गया चंद्रयान-3 का रोवर प्रज्ञान, चांद की सतह पर अपना काम पूरा कर अब चैन की नींद सो गया है. मतलब रोवर प्रज्ञान को स्लीप मोड में डाल दिया गया है. जिस समय प्रज्ञान चंद्रमा पर उतरा था उस समय वहां दिन था, अब वहां रात शुरू होने वाली है. दूसरी ओर अब बारी सूर्ययान के गदर उड़ाने की है. देश के पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य एल1’ ने रविवार को पृथ्वी की कक्षा से संबंधित पहली प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पार कर गया है.

Vikrant Shekhawat : Sep 03, 2023, 11:03 PM
Chandrayaan 3 Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की ओर से भेजा गया चंद्रयान-3 का रोवर प्रज्ञान, चांद की सतह पर अपना काम पूरा कर अब चैन की नींद सो गया है. मतलब रोवर प्रज्ञान को स्लीप मोड में डाल दिया गया है. जिस समय प्रज्ञान चंद्रमा पर उतरा था उस समय वहां दिन था, अब वहां रात शुरू होने वाली है. दूसरी ओर अब बारी सूर्ययान के गदर उड़ाने की है. देश के पहले सूर्य मिशन ‘आदित्य एल1’ ने रविवार को पृथ्वी की कक्षा से संबंधित पहली प्रक्रिया को सफलतापूर्वक पार कर गया है. अब पांच सितंबर को देर रात सूर्ययान की एक बार फिर से कक्षा बदली जाएगी.

सूर्ययान को लेकर इसरो ने रविवार को कहा कि आदित्य एल1 ने सफलता पूर्वक कक्षा बदल ली है और सैटेलाइट एकदम ठीक तरह से और सामान्य ढंग से काम कर रहा है. इसरो ने कहा कि सूर्ययान की कक्षा बदलने की प्रक्रिया को बेंगलुरु स्थित इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क से अंजाम दिया गया. फिलहाल सूर्ययान की नई कक्षा 245 किलोमीटर x 22459 किलोमीटर है. आदित्य एल1 को शनिवार को श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था.

आदित्य एल1 कुल 16 दिन तक पृथ्वी की कक्षा का चक्कर लगाएगा. इस दौरान कुल पांच बार इसके ऑर्बिट यानी कक्षा को बदला जाएगा. रविवार को पहली बार इसके कक्षा को बदला गया है. पांच सितंबर को दूसरी बार इसके कक्षा को बदला जाएगा. इसरो की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, सूर्ययान पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर रहकर सूर्य का अध्ययन करेगा.

क्या है सूर्ययान मिशन का उद्देश्य?

इसरो के इस सूर्ययान मिशन का मुख्य उद्देश्य सूरज के बाहरी वातावरण का अध्ययन करना है. सूरज के तापमान में होने वाले बदलाव और उसके बाहरी परत पर उठने वाले तूफानों की स्टडी करेगा. इसके लिए सूर्ययान को लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1) में स्थापित किया जाएगा. सौर पैनल के एक्टिव होने के बाद सैटेलाइट के लिए बिजली पैदा होनी शुरू हो गई है.

फुल चार्ज है रोवर की बैटरी

अब बात चंद्रयान की करें तो रोवर प्रज्ञान स्लीप मोड में जरूर है, लेकिन उसकी बैटरी फुल चार्ज है. अब 22 सितंबर , 2023 को चंद्रमा पर फिर से सूर्योदय होगा. चंद्रयान के रिसीवर को चालू रखा गया है. ऐसा इसलिए क्योंकि जब चांद पर फिर से दिन होगा तो मिशन के फिर से शुरू होने की उम्मीद है. फिलहाल वैज्ञानिकों को अब चांद पर फिर से दिन होने का इंतजार रहेगा. इसरो ने कहा है कि चंद्रयान हमेशा के लिए भारत के चंद्र राजदूत के रूप में चांद पर रहेगा.

चांद पर चहलकदमी करने वाले रोवर ने अपना काम पूरा किया

14 जुलाई 2023 को लॉन्च किए गए चंद्रयान-3 को लेकर इसरो ने कहा है कि रोवर प्रज्ञान को जिस काम के लिए भेजा गया था उसे पूरा कर दिया है. अब इसरो के वैज्ञानिक रोवर की ओर से उपलब्ध कराए गई जानकारी का अध्ययन करेंगे. इसरो की ओर से भेजे गए चंद्रयान-3 को चांद तक पहुंचने में कुल 40 दिन का समय लगा था. 23 अगस्त शाम 6 बजकर 3 मिनट पर लैंडर विक्रम की चांद के सतर पर सॉफ्ट लैंडिंग हुई थी. इसके करीब चार घंटे बाद रोवर प्रज्ञान ने चांद पर कदम रखा था.

10 दिन में 100 मीटर का सफर

चांद के जिस शिवशक्ति प्वाइंट पर लैंडर विक्रम उतरा था वहां से चलकर रोवर प्रज्ञान ने पिछले 10 दिनों में कुल 100 मीटर की दूरी तय की है. यहीं पर उसे स्लीप मोड में डाल दिया गया है. रात के दौरान चांद का तापमान माइनस 200 डिग्री तक जाने की संभावना है. ऐसे में लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान में लगे उपकरण के फ्रीज हो सकते हैं. अगर ऐसा नहीं होता है और सूर्य की रोशनी पड़ने के बाद दोनों फिर से जाग उठते हैं तो रोवर प्रज्ञान एक बार फिर से आगे की सैर शुरू करेगा.