Vikrant Shekhawat : May 11, 2022, 04:08 PM
विभिन्न स्कीमों में निवेश कराकर देशभर में 100 से ज्यादा लोगों से कई करोड़ रुपये ठगने वाला जालसाज पुलिस के हत्थे चढ़ा है। आरोपी लोगों को बेहतर रिटर्न का झांसा देता था। दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने उसे गुरुग्राम से गिरफ्तार किया है। दिल्ली पुलिस ने आरोपी की गिरफ्तारी पर 20 हजार रुपये का इनाम रखा हुआ था। कोर्ट ने आरोपी को भगोड़ा घोषित किया हुआ था।
आरोपी के खिलाफ सीबीआई ने शिमला में भी मामला दर्ज कर रखा है। इस मामले में कोर्ट ने उसे और उसके साथियों को भगोड़ा घोषित किया हुआ है। आरोपियों की कंपनी के खिलाफ दिल्ली व शिमला के अलावा हरिद्वार, सहारनपुर, यूपी, हिमाचल, पंजाब और चंडीगढ़ में मामले दर्ज हैं।
अपराध शाखा के पुलिस अधिकारियों के अनुसार इंस्पेक्टर कृष्ण कुमार को 6 मई को सूचना मिली थी कि 6 वर्ष से फरार इनामी जालसाज राजदीप मान गुरुग्राम में है। सूचना के बाद इंस्पेक्टर नरेश सोलंकी की देखरेख में इंस्पेक्टर कृष्ण कुमार, एसआई सम्राट व एसआई उदयवीर की टीम गठित की गई। टीम ने टॉवर-एस, सेक्टर-84, गुरुग्राम, हरियाणा से राजदीप मान (38) को गिरफ्तार कर लिया।
वह नोएडा बेस कंपनी डेविस वैल्यू कार्ड प्राइवेट लिमिटेड का अन्य लोगों के साथ निदेशक था। इन लोगों ने 92 वर्षीय आत्माराम वाधवा से 76 लाख रुपये ठग लिए थे। शिकायत पर अपराध शाखा में वर्ष 2015 में मामला दर्ज किया था। दिल्ली पुलिस ने कंपनी के दूसरे निदेशक सुमित वर्मा को 22 जुलाई, 2016 को गिरफ्तार किया था। इसके कब्जे से ठगी की रकम से खरीदी गई क्यू3 ऑडी कार बरामद की गई थी। कंपनी के दूसरे निदेशक गुरप्रीत सिंह को गुवाहाटी, असम से 19 फरवरी, 2021 को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में अब तीन निदेशक अरुण सूद, भूपेंद्र सिंह रावत व मनोज वर्मा फरार हैं। कोर्ट ने तीनों को भगोड़ा घोषित कर रखा है।
कंपनी का जल्द ही निदेशक बन गया था आरोपीस्नातक करने के बाद राजदीप मान ने करीब आठ वर्ष तक विजन बीपीओ कंपनी में नौकरी की। इसके बाद इसने 50 हजार रुपये प्रति माह की तनख्वाह में कंपनी डेविस वैल्यू कार्ड प्राइवेट लिमिटेड में नौकरी करना शुरू किया। वह कंपनी के निदेशक गुरप्रीत सिंह से मिला। गुरुप्रीत ने वर्ष 2015 में उसे कंपनी का निदेशक बना दिया था।
ऐसे करते थे वारदातकंपनी के निवेशकों को होलीडे पैकेज कार्ड की पेशकश की और कॉल सेंटर के माध्यमों से पैसे को निवेश करने का लुभावना आर्डर दिया। इन्होंने लोगों को रकम को डबल करने या फिर उच्च रिटर्न का आश्वासन दिया। कंपनी के मूल निदेशक सुमित और गुरुप्रीत ने तीन महीने बाद इस्तीफा दे दिया और फरार हो गए। ऐसे में नवनियुक्त निदेशक ग्राहकों को हॉलीडे पैकेज का उचित रिटर्न नहीं दे पाए। कंपनी बंद करने के बाद राजदीप शुरू में नोएडा में रहने लगा। बाद में गिरफ्तारी से बचने के लिए पंजाब चला गया। इस दौरान आरोपी की किडनी खराब हो गई।
शिमला में काफी लोगों से ठगी की थीआरोपियों के खिलाफ शिमला में सीबीआई ने 14 सितंबर, 2019 को मामला दर्ज किया था। इस मामले में कोर्ट ने राजदीप मान समेत चार निदेशकों अरुण सूद, भूपेंद्र सिंह रावत और मनोज वर्मा को भगोड़ा घोषित कर दिया था।
आरोपी के खिलाफ सीबीआई ने शिमला में भी मामला दर्ज कर रखा है। इस मामले में कोर्ट ने उसे और उसके साथियों को भगोड़ा घोषित किया हुआ है। आरोपियों की कंपनी के खिलाफ दिल्ली व शिमला के अलावा हरिद्वार, सहारनपुर, यूपी, हिमाचल, पंजाब और चंडीगढ़ में मामले दर्ज हैं।
अपराध शाखा के पुलिस अधिकारियों के अनुसार इंस्पेक्टर कृष्ण कुमार को 6 मई को सूचना मिली थी कि 6 वर्ष से फरार इनामी जालसाज राजदीप मान गुरुग्राम में है। सूचना के बाद इंस्पेक्टर नरेश सोलंकी की देखरेख में इंस्पेक्टर कृष्ण कुमार, एसआई सम्राट व एसआई उदयवीर की टीम गठित की गई। टीम ने टॉवर-एस, सेक्टर-84, गुरुग्राम, हरियाणा से राजदीप मान (38) को गिरफ्तार कर लिया।
वह नोएडा बेस कंपनी डेविस वैल्यू कार्ड प्राइवेट लिमिटेड का अन्य लोगों के साथ निदेशक था। इन लोगों ने 92 वर्षीय आत्माराम वाधवा से 76 लाख रुपये ठग लिए थे। शिकायत पर अपराध शाखा में वर्ष 2015 में मामला दर्ज किया था। दिल्ली पुलिस ने कंपनी के दूसरे निदेशक सुमित वर्मा को 22 जुलाई, 2016 को गिरफ्तार किया था। इसके कब्जे से ठगी की रकम से खरीदी गई क्यू3 ऑडी कार बरामद की गई थी। कंपनी के दूसरे निदेशक गुरप्रीत सिंह को गुवाहाटी, असम से 19 फरवरी, 2021 को गिरफ्तार किया गया था। इस मामले में अब तीन निदेशक अरुण सूद, भूपेंद्र सिंह रावत व मनोज वर्मा फरार हैं। कोर्ट ने तीनों को भगोड़ा घोषित कर रखा है।
कंपनी का जल्द ही निदेशक बन गया था आरोपीस्नातक करने के बाद राजदीप मान ने करीब आठ वर्ष तक विजन बीपीओ कंपनी में नौकरी की। इसके बाद इसने 50 हजार रुपये प्रति माह की तनख्वाह में कंपनी डेविस वैल्यू कार्ड प्राइवेट लिमिटेड में नौकरी करना शुरू किया। वह कंपनी के निदेशक गुरप्रीत सिंह से मिला। गुरुप्रीत ने वर्ष 2015 में उसे कंपनी का निदेशक बना दिया था।
ऐसे करते थे वारदातकंपनी के निवेशकों को होलीडे पैकेज कार्ड की पेशकश की और कॉल सेंटर के माध्यमों से पैसे को निवेश करने का लुभावना आर्डर दिया। इन्होंने लोगों को रकम को डबल करने या फिर उच्च रिटर्न का आश्वासन दिया। कंपनी के मूल निदेशक सुमित और गुरुप्रीत ने तीन महीने बाद इस्तीफा दे दिया और फरार हो गए। ऐसे में नवनियुक्त निदेशक ग्राहकों को हॉलीडे पैकेज का उचित रिटर्न नहीं दे पाए। कंपनी बंद करने के बाद राजदीप शुरू में नोएडा में रहने लगा। बाद में गिरफ्तारी से बचने के लिए पंजाब चला गया। इस दौरान आरोपी की किडनी खराब हो गई।
शिमला में काफी लोगों से ठगी की थीआरोपियों के खिलाफ शिमला में सीबीआई ने 14 सितंबर, 2019 को मामला दर्ज किया था। इस मामले में कोर्ट ने राजदीप मान समेत चार निदेशकों अरुण सूद, भूपेंद्र सिंह रावत और मनोज वर्मा को भगोड़ा घोषित कर दिया था।