Delhi Police / अवैध बांग्लादेशी-रोहिंग्या के खिलाफ अभियान, शाहीन बाग इलाके में हो रही कागजों की जांच

दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या के खिलाफ पुलिस ने अभियान शुरू किया है। कालिंदी कुंज, सीमापुरी जैसे इलाकों में दस्तावेज़ों की जांच हो रही है। 32 संदिग्ध बांग्लादेशियों की पहचान हुई है। आप पार्टी ने इसे चुनावी रणनीति बताते हुए बीजेपी पर सवाल उठाए हैं।

Vikrant Shekhawat : Dec 12, 2024, 03:40 PM
Delhi Police: राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी और रोहिंग्या प्रवासियों के खिलाफ पुलिस ने एक विशेष अभियान छेड़ दिया है। यह कार्रवाई दिल्ली के विभिन्न इलाकों में चल रही है, जिसमें कालिंदी कुंज के शाहीन बाग क्षेत्र और पूर्वी दिल्ली के सीमापुरी इलाके को विशेष रूप से लक्षित किया गया है। पुलिस इन इलाकों में दस्तावेजों की जांच कर रही है ताकि अवैध प्रवासियों की पहचान की जा सके।

प्रारंभिक जांच में 32 अवैध प्रवासी चिन्हित

सीमापुरी क्षेत्र में प्रारंभिक जांच के दौरान पुलिस ने 32 ऐसे लोगों को चिन्हित किया है जो अवैध रूप से बांग्लादेशी हैं। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से कई लोगों के पास भारतीय पहचान पत्र, जैसे आधार कार्ड, मौजूद हैं। सूत्रों की मानें तो अवैध प्रवासियों की बड़ी संख्या यमुना बाजार, बवाना, जहांगीरपुरी, दया बस्ती, और सोनिया विहार जैसे इलाकों की झुग्गी बस्तियों में रहती है। इन इलाकों में रोहिंग्या और बांग्लादेशी प्रवासियों की मौजूदगी लंबे समय से चर्चा का विषय रही है।

आम आदमी पार्टी का आरोप

दिल्ली पुलिस की इस कार्रवाई पर आम आदमी पार्टी (AAP) ने इसे आगामी चुनावों से जोड़ते हुए राजनीतिक ड्रामा करार दिया है। पार्टी के वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया ने कहा, "बीजेपी रोहिंग्या और बांग्लादेशी प्रवासियों को लेकर हमेशा से ड्रामा करती रही है। इन्हें बीजेपी ने ही बसाया था और अब चुनाव नजदीक आते ही ये नौटंकी शुरू कर दी है।"

AAP ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी प्रवासियों की मौजूदगी के बारे में पहले से जानती है, लेकिन इस मुद्दे को चुनावी लाभ के लिए उछाल रही है।

राजनीति बनाम सुरक्षा का सवाल

यह कार्रवाई जहां एक ओर राष्ट्रीय सुरक्षा और अवैध प्रवासियों के खतरे के मद्देनजर की जा रही है, वहीं दूसरी ओर इसे लेकर राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं। बीजेपी ने इसे सुरक्षा सुनिश्चित करने का कदम बताया है, जबकि विपक्ष इसे केवल चुनावी स्टंट मान रहा है।

सरकारी प्रयासों पर सवाल

पुलिस की इस कार्रवाई के बावजूद, सवाल उठता है कि आखिर अवैध प्रवासियों को आधार कार्ड जैसे दस्तावेज कैसे मिल गए। क्या प्रशासनिक प्रक्रियाओं में खामियां हैं, या भ्रष्टाचार ने इसे संभव बनाया? ये सवाल भविष्य में गहरी जांच और कार्रवाई की मांग करते हैं।

आगे की राह

इस विशेष अभियान से दिल्ली में अवैध प्रवासियों के मुद्दे ने फिर से सुर्खियां बटोरी हैं। लेकिन यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस कार्रवाई का वास्तविक प्रभाव क्या होगा। क्या यह केवल एक राजनीतिक बयानबाजी बनकर रह जाएगी, या इससे जमीनी स्तर पर सुरक्षा और प्रवास प्रबंधन में सुधार होगा?

इस पूरे मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा, प्रशासनिक पारदर्शिता और राजनीतिक जिम्मेदारी का संतुलन बनाए रखना सरकार और संबंधित एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी।