India-Britain / छत्रपति शिवाजी महाराज का 350 साल बाद भारत वापस आएगा 'बाघ नख', जानें कहानी

छत्रपति शिवाजी महाराज का प्रसिद्ध बाघ नख, ‘बाघ का पंजा’ हथियार 350 सालों के बाद ब्रिटेन से भारत वापस लाया जा रहा है. इसका इस्तेमाल छत्रपति शिवाजी महाराज ने साल 1659 में बीजापुर सल्तनत के जनरल अफ़ज़ल खान को हराने के लिए किया था और धोखेबाज अफजल का पीट चीर दिया था. नवंबर में इसे लंदन से महाराष्ट्र लौटया जा रहा है. बता दें कि इस साल छत्रपति शिवाजी के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ है.

Vikrant Shekhawat : Oct 01, 2023, 07:00 PM
India-Britain: छत्रपति शिवाजी महाराज का प्रसिद्ध बाघ नख, ‘बाघ का पंजा’ हथियार 350 सालों के बाद ब्रिटेन से भारत वापस लाया जा रहा है. इसका इस्तेमाल छत्रपति शिवाजी महाराज ने साल 1659 में बीजापुर सल्तनत के जनरल अफ़ज़ल खान को हराने के लिए किया था और धोखेबाज अफजल का पीट चीर दिया था. नवंबर में इसे लंदन से महाराष्ट्र लौटया जा रहा है. बता दें कि इस साल छत्रपति शिवाजी के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ है.

इस अवसर को मनाने के लिए तीन साल की प्रदर्शनी शुरू हो रही है और इसी अवसर पर बाघ के पंजे के हथियार को लंदन के विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय से वापस लाया जाएगा.

महाराष्ट्र के संस्कृति मंत्री सुधीर मुनगंटीवार मंगलवार को लंदन पहुंच रहे हैं. वह वहां बाघ नख की लिए संग्रहालय के साथ समझौते पर हस्ताक्षर करेंगे. इस महीने की शुरुआत में कहा था, “पहले चरण में, हम वाघ नख ला रहे हैं. इसे नवंबर में यहां लाया जाएगा.”

उन्होंने कहा कि कि उम्मीद है कि वाघ नख को दक्षिण मुंबई में छत्रपति शिवाजी महाराज संग्रहालय में रखा जाएगा. बता दें कि छत्रपति शिवाजी महाराज ने इसी वाघ नख से अफजल खान से प्राण ले लिए थे.

प्रतापगढ़ की लड़ाई से बढ़ा था शिवाजी का यश

साल 1659 में प्रतापगढ़ की लड़ाई में मराठों की जीत छत्रपति शिवाजी के मराठा साम्राज्य की स्थापना के अभियान में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी. संख्या में कम होने के बावजूद, मराठों ने अफ़ज़ल खान के नेतृत्व वाली आदिलशाही सेना को हरा दिया था, जिससे एक शानदार सैन्य रणनीतिकार के रूप में छत्रपति शिवाजी की प्रतिष्ठा बढ़ गई थी.

छत्रपति शिवाजी ने महाराष्ट्र के वर्तमान सतारा जिले में प्रतापगढ़ किले की तलहटी में अफ़ज़ल खान को मार डाला था. इतिहास में वर्णित घटना के अनुसार अफजल खान ने शिवाजी को बुलाया था और धोखे से उनकी पीठ छुरा घोंप, लेकिन तो शिवाजी महाराज ने ‘बाघ नख’ का इस्तेमाल कर उसकी हत्या कर दी.

वाघ नख की प्रमाणिकता को लेकर बहस

इस वर्ष शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ भी है.” दूसरी ओर, महाराष्ट्र में ‘वाघ नख’ की प्रामाणिकता पर बहस चल रही है. इतिहास विशेषज्ञ इंद्रजीत सावंत की ओर से कहा गया है कि महाराज शिवाजी ने इसका इस्तेमाल नहीं किया था.

उनका कहना है कि विक्टोरिया और अल्बर्ट संग्रहालय की वेबसाइट के अनुसार छत्रपति शिवाजी ने बाघ नख इस्तेमाल नहीं किया था. वह इसे स्वीकार नहीं करते हैं. दूसरी ओर, शिव सेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने भी ‘बाघ नख’ की सत्यता पर और उसकी प्रमाणिकता पर सवाल उठाया है.