AMAR UJALA : Jul 15, 2020, 03:03 PM
China | पड़ोसी मुल्क चीन की चालबाजियों और लालच से अब पूरी दुनिया वाफिक होती जा रही है। सस्ते सामान के चक्कर में बाजारों पर एकाधिकार करना, धोखे से जमीन हथियाना और तकनीक के नाम पर जासूसी करने जैसी उसकी कारगुजारियां आए दिन सामने आती जा रही हैं। हाल ही में भारत ने टिकटॉक समेत 59 चाइनीज एप्स पर प्रतिबंध लगाया। ये एप्स चोरी छिपे जासूसी करने में लगे हुए थे, जिससे भारत की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा पैदा हो सकता था। देखा जाए तो एप्स चीन की महत्वाकांक्षाओं का एक छोटा सा हिस्सा ही है। किसी न किसी वजह से वह दुनियाभर के देशों के लिए सिरदर्द बना हुआ है। दरअसल राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नेतृत्व में चीन को दुनिया में सबसे शक्तिशाली बनने की धुन सवार हो गई है। अपनी विस्तारवादी नीति को भी वह नए आयाम पर पहुंचाना चाहता है। वह हर हाल में न सिर्फ अमेरिका बल्कि पूरे यूरोप को अपनी ताकत दिखाना चाहता है। इसके लिए ड्रैगन ने कई योजनाएं बनाई हैं, जिनमें से कई योजनाएं तो काफी ज्यादा डराती हैं। चीन की विस्तारवादी योजनाओं से तो सभी वाकिफ ही हैं। कब्जा करने से लेकर पाकिस्तान, बांग्लादेश और चीन जैसे देशों को कर्ज व निवेश के जाल में फंसाने का काम भी वह बखूबी कर रहा है। चीन की ऐसी कई योजनाएं हैं, जिन्हें लेकर न सिर्फ भारत बल्कि दुनिया को सतर्क रहने की जरूरत है। 1. हर क्षेत्र में मेड इन चाइना की धुन
- वैश्विक बाजार में मेड इन चाइना ने बहुत पहले ही अपनी धमक बना ली थी।
- मगर पांच साल पहले उसने एक नया लक्ष्य बनाया। खुद को नई तकनीकों का केंद्र बनाने का लक्ष्य।
- इसमें एयरोस्पेस से लेकर टेलीकम्युनिकेशंस, रोबोटिक्स से लेकर बायोटेक्नोलॉजी और इलेक्ट्रिक वाहनों की तकनीक भी शामिल है।
- 2025 तक चीन खुद को इन क्षेत्रों में इस्तेमाल होने वाले पुर्जों व उपकरणों के मामले आत्मनिर्भर बनाना चाहता है। वह चाहता है कि इस क्षेत्र में 70 फीसदी तक उसका अधिकार हो जाए।
- अपनी 'मेड इन चाइना' योजना को पुख्ता करने के लिए चीन ने पेटेंट करवाने की प्रक्रिया को तेज कर दिया है। इस मामले में वह अमेरिका को भी पीछे छोड़ चुका है।
- चीन ने 1999 में 276 पेटेंट फाइल कराए थे जबकि 2019 में इनकी संख्या बढ़कर 58,990 पहुंच गई।
- चीनी मोबाइल कंपनी हुवाई टेक्नॉलाजी अब तक 3369 पेटेंट फाइल करवा चुका है।
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एआई के क्षेत्र में भी चीन काफी बढ़त हासिल कर चुका है।
- इस क्षेत्र में वह 2030 तक 150 अरब डॉलर का निवेश करेगा।
- अभी वह 8.4 अरब डॉलर का निवेश कर रहा है।
- अंतरिक्ष के मामले में चीन हालांकि अभी भी अमेरिका से काफी पीछे है, लेकिन पिछले कुछ साल में उसने काफी ज्यादा प्रगति की है।
- हाल ही में उसे बाइदू नेटवर्क अभियान के तहत पांच टन वजनी उपग्रह अंतरिक्ष में स्थापित करने में सफलता मिली है।
- बाइदू नेटवर्क अमेरिका के विश्वव्यापी ‘ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम’ (जीपीएस) का विकल्प साबित हो सकता है। चीन ने अपने इस पूरे प्रोजेक्ट पर करीब 10 अरब डॉलर खर्च किए हैं।
- चीन की अंतरिक्ष एजेंसी पर सेना का अधिकार है। वह अपने हर प्रोजेक्ट के लिए सेना के प्रति उत्तरदायी है।
- इसके अलावा अंतरिक्ष से चीन पर जासूसी करने के आरोप भी लगते आए हैं। हाल में ताइवान ने अपने सरकारी कर्मचारियों को स्मार्टफोन इस्तेमाल करने से मना कर दिया था।
- इन स्मार्टफोन में नेविगेशन के लिए बाइदू की सुविधा उपलब्ध थी। ताइवान को शक है कि इस नेटवर्क का इस्तेमाल कर जरूरी सूचनाएं चाइनीज सेना व सरकार तक पहुंचाई जा सकती हैं।
- अमेरिका पहले ही कई बार कह चुका है कि चीन अपनी अंतरिक्ष परियोजनाओं का इस्तेमाल जासूसी के लिए कर सकता है।
- चीन ने 2013 में एक बेहद महत्वाकांक्षी योजना शुरू की। बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआई) नाम की इस योजना से चीन 70 देशों के साथ जुड़ना चाहता है।
- इस योजना के तहत चीन एशिया और यूरोप में सड़कों और बंदरगाहों का जाल बिछाना चाहता है।
- इसके जरिए वह पूरी दुनिया के बाजार में अपने सामान की पहुंच को आसान बनाना चाहता है।
- कई देश चीन की इस परियोजना का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन अमेरिका और भारत ने इसका विरोध किया है।
- अमेरिका इसे वैश्विक व्यापार पर चीनी एकाधिकारवाद के खतरे के तौर पर देख रहा है। जबकि भारतीय विशेषज्ञों के अनुसार सड़कों और बंदरगाहों के जरिए चीन भारत को घेर लेगा।