Live Hindustan : Oct 14, 2019, 07:18 AM
शाहजहांपुर | चिन्मयानंद केस में एक नई बात सामने आई है। इस केस से संबंधित संजय के पास मौजूद वीडियो को दो नेता खरीदना चाहते थे। संजय को उन पर रिश्तेदार होने के बाद भी भरोसा नहीं था। साथ ही संजय का लालच भी बढ़ गया था। इसलिए उसने चिन्मयानंद के वीडियो नहीं बेचे। आखिरी में संजय के हाथ में केवल हथकड़ी आई, रुपये नहीं।
अप्रैल 2019 से चिन्मयानंद की कारगुजारियों के वीडियो बनना शुरू हुए थे। कुछ वीडियो संजय को मिल भी गए थे। संजय ने उन वीडियो के संबंध में अपने चचेरे भाई विक्रम सिंह उर्फ दुर्गेश सिंह से चर्चा की। विक्रम को उसकी बात पर विश्वास नहीं हुआ, तो संजय ने वीडियो अपने मोबाइल में दिखा दिए। इन वीडियो के जरिए चिन्मयानंद से मोटी रकम वसूल करने का प्लान भी संजय ने विक्रम को बताया था। हालांकि, उस वक्त चिन्यमानंद से मांगी जाने वाली रकम तय नहीं हो सकी थी। विक्रम के जरिए ही यह वीडियो वाली बात गांव में ही रहने वाले रिश्तेदार और नेताजी के पास पहुंची। नेताजी ने भी इन वीडियो को हासिल करने के लिए अपना दिमाग लगाना शुरू कर दिया। उन्होंने इन वीडियो को लेकर अपने कैडर में कुछ लोगों से चर्चा की। इसके बाद एक और रिश्तेदार को वीडियो की बात पता लगी, वह भी नेता हैं। अब दोनों नेता इस वीडियो को हासिल करने के लिए जुगत लगाने लगे।बताया जाता है कि विक्रम के जरिए दोनों नेताओं ने संजय से वीडियो की बिक्री कराने का प्रस्ताव रखवाया। प्रस्ताव यह भी था कि संजय जितना चाहे रुपये ले ले। इसके बाद वह वीडियो देकर सब भूल जाए। एसआईटी इस बात का जवाब ढूंढ रही है कि दोनों नेता वीडियो हासिल कर क्या खुद ही सौदा करते? दूसरी तरफ संजय को लग रहा था कि वह चिन्मयानंद को खुद वीडियो बेचेगा तो रुपयों का बंटवारा नहीं करना पड़ेगा। उसे खुद अपने चचेरे भाई विक्रम पर भरोसा नहीं था। इसलिए उसने प्रस्ताव के बाद भी वीडियो नहीं बेचा।
अप्रैल 2019 से चिन्मयानंद की कारगुजारियों के वीडियो बनना शुरू हुए थे। कुछ वीडियो संजय को मिल भी गए थे। संजय ने उन वीडियो के संबंध में अपने चचेरे भाई विक्रम सिंह उर्फ दुर्गेश सिंह से चर्चा की। विक्रम को उसकी बात पर विश्वास नहीं हुआ, तो संजय ने वीडियो अपने मोबाइल में दिखा दिए। इन वीडियो के जरिए चिन्मयानंद से मोटी रकम वसूल करने का प्लान भी संजय ने विक्रम को बताया था। हालांकि, उस वक्त चिन्यमानंद से मांगी जाने वाली रकम तय नहीं हो सकी थी। विक्रम के जरिए ही यह वीडियो वाली बात गांव में ही रहने वाले रिश्तेदार और नेताजी के पास पहुंची। नेताजी ने भी इन वीडियो को हासिल करने के लिए अपना दिमाग लगाना शुरू कर दिया। उन्होंने इन वीडियो को लेकर अपने कैडर में कुछ लोगों से चर्चा की। इसके बाद एक और रिश्तेदार को वीडियो की बात पता लगी, वह भी नेता हैं। अब दोनों नेता इस वीडियो को हासिल करने के लिए जुगत लगाने लगे।बताया जाता है कि विक्रम के जरिए दोनों नेताओं ने संजय से वीडियो की बिक्री कराने का प्रस्ताव रखवाया। प्रस्ताव यह भी था कि संजय जितना चाहे रुपये ले ले। इसके बाद वह वीडियो देकर सब भूल जाए। एसआईटी इस बात का जवाब ढूंढ रही है कि दोनों नेता वीडियो हासिल कर क्या खुद ही सौदा करते? दूसरी तरफ संजय को लग रहा था कि वह चिन्मयानंद को खुद वीडियो बेचेगा तो रुपयों का बंटवारा नहीं करना पड़ेगा। उसे खुद अपने चचेरे भाई विक्रम पर भरोसा नहीं था। इसलिए उसने प्रस्ताव के बाद भी वीडियो नहीं बेचा।