Vikrant Shekhawat : Jun 03, 2022, 08:05 AM
तिरुवनंतपुरम। केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने गुरुवार को कहा कि उनकी सरकार राज्य में विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) को लागू नहीं करेगी। अपनी सरकार की पहली वर्षगांठ पर आयोजित एक कार्यक्रम के समापन पर बोलते हुए उन्होंने कहा, ‘नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) पर सरकार का रुख स्पष्ट है और यह कायम रहेगा।’ सीएम विजयन ने कहा, ‘हमारा देश भारत के संविधान में बताए गए धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत पर काम करता है। आजकल, इसे नष्ट करने की कोशिश की जा रही है। हाल ही में हुई एक घटना में कुछ लोग धर्म के आधार पर नागरिकता का पैमाना तय कर रहे थे। उनकी सरकार ने इस घटना के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है।’
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि कुछ लोग सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में सर्वेक्षण करवा रहे हैं। लेकिन हमारी सरकार ने समाज के सबसे गरीब परिवारों की पहचान के लिए एक सर्वेक्षण को पूरा किया है। अब उनके विकास के लिए आगे कदम उठाए जाएंगे। बता दें कि पिछले महीने पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि कोरोना महामारी खत्म होने के बाद यह कानून लागू किया जाएगा। उन्होंने अपने बंगाल दौरे पर कहा था कि विरोधी पार्टियां सीएए के बारे में गलत अफवाहें फैला रही हैं।
क्या है नागरिकता (संशोधन) कानून?नागरिकता (संशोधन) कानून को केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में संसद में पास किया था। इस बिल का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए 6 समुदायों (हिन्दू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी) के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देना है। इन 6 समुदायों में मुस्लिम समुदाय को शामिल ना किये जाने पर कई राजनीतिक पार्टियाँ इसका विरोध कर रहीं हैं। इसके प्रभाव में आने के बाद कोई भी व्यक्ति जो भारत का नागरिक है, अपनी नागरिकता नहीं खोएगा।तीन साल पहले जब संसद में ये संशोधन कानून पास हुआ था तो इस पर पूरे देश में तीखी प्रतिक्रिया और विरोध देखने को मिला था।
मुख्यमंत्री ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि कुछ लोग सांप्रदायिक तनाव पैदा करने के लिए देश के अलग-अलग हिस्सों में सर्वेक्षण करवा रहे हैं। लेकिन हमारी सरकार ने समाज के सबसे गरीब परिवारों की पहचान के लिए एक सर्वेक्षण को पूरा किया है। अब उनके विकास के लिए आगे कदम उठाए जाएंगे। बता दें कि पिछले महीने पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि कोरोना महामारी खत्म होने के बाद यह कानून लागू किया जाएगा। उन्होंने अपने बंगाल दौरे पर कहा था कि विरोधी पार्टियां सीएए के बारे में गलत अफवाहें फैला रही हैं।
क्या है नागरिकता (संशोधन) कानून?नागरिकता (संशोधन) कानून को केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में संसद में पास किया था। इस बिल का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए 6 समुदायों (हिन्दू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध तथा पारसी) के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देना है। इन 6 समुदायों में मुस्लिम समुदाय को शामिल ना किये जाने पर कई राजनीतिक पार्टियाँ इसका विरोध कर रहीं हैं। इसके प्रभाव में आने के बाद कोई भी व्यक्ति जो भारत का नागरिक है, अपनी नागरिकता नहीं खोएगा।तीन साल पहले जब संसद में ये संशोधन कानून पास हुआ था तो इस पर पूरे देश में तीखी प्रतिक्रिया और विरोध देखने को मिला था।