देश / किसके लिए सबसे अधिक फायदेमंद साबित हुआ Coronavirus, क्या कहती है यह रिपोर्ट

कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को स्वास्थ्य संकट में जरूर धकेला है, लेकिन प्रकृति के लिहाज से इसके सकरात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। लॉकडाउन के दौरान कई ऐसी तस्वीरें सामने आई थीं, जिनसे पता चला कि मानवीय दखलंदाजी कम होने से प्रकृति के सौदंर्य में निखार आ गया है। अब ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क की रिपोर्ट भी कुछ ऐसा ही इशारा कर रही है।

Zee News : Aug 22, 2020, 09:02 AM
नई दिल्ली: कोरोना (Coronavirus) महामारी ने पूरी दुनिया को स्वास्थ्य संकट में जरूर धकेला है, लेकिन प्रकृति के लिहाज से इसके सकरात्मक परिणाम देखने को मिले हैं। लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान कई ऐसी तस्वीरें सामने आई थीं, जिनसे पता चला कि मानवीय दखलंदाजी कम होने से प्रकृति के सौदंर्य में निखार आ गया है। अब ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क (Global Footprint Network) की रिपोर्ट भी कुछ ऐसा ही इशारा कर रही है।    

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मनुष्यों द्वारा की जाने वाली पृथ्वी के संसाधनों की खपत में 2020 में गिरावट दर्ज की गई है। शोधकर्ताओं ने शनिवार को इस संबंध में आंकड़े जारी करते हुए बताया कि प्राकृतिक संसाधनों की खपत पिछले सालों के मुकाबले कम हुई है, जिसकी एक वजह कोरोना वायरस भी है।

वैश्विक ‘अर्थ ओवरशूट दिवस’ (Earth Overshoot Day) के मौके पर जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 1970 के बाद से ‘अर्थ ओवरशूट डे’ लगातार आगे खिसक रहा है, लेकिन इस साल यह 22 सितंबर को रहा। क्योंकि प्राकृतिक संसाधनों की खपत में इस बार गिरावट दर्ज की गई है। पिछले साल अर्थ ओवरशूट डे 29 जुलाई को था।

रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल की तुलना में ह्यूमनिटी फुटप्रिंट में 9।3 प्रतिशत की गिरावट आई है। हालांकि, ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क के अध्यक्ष मैथिस वेकर्नागेल (Mathis Wackernagel) ने कहा कि इन आंकड़ों पर जश्न मनाने जैसी कोई बात नहीं है। क्योंकि यह मनुष्यों के प्रयासों से संभव नहीं हुआ है, बल्कि इसके पीछे आपदा है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस से दुनिया भर में लगभग 800,000 लोगों की मौत हुई है। कई देशों में इस साल की शुरुआत में कोरोना से निपटने के लिए लॉकडाउन जैसे कड़े उपाय किये थे, जिस वजह से औद्योगिक गतिविधियों और वाहनों के प्रदूषण में कमी आई थी।


शोध में यह भी पाया गया है कि कोरोना वायरस के चलते पिछले वर्ष की तुलना में CO2 उत्सर्जन में 14।5 प्रतिशत और वाणिज्यिक वानिकी में 8।4 प्रतिशत की गिरावट आई है।  


क्या है अर्थ ओवरशूट दिवस’?

अर्थ ओवरशूट एक पैमाना है जिसके आधार पर प्राकृतिक संसाधनों का बजट और उनकी खपत का अनुपात तय किया जाता है। यह अवधारणा ग्लोबल फुटप्रिंट नेटवर्क तथा ब्रिटेन की न्यू इकोनॉमिक फाउंडेशन द्वारा रखी गई थी। यह एक तरह से प्रत्येक वर्ष के उस दिवस का सूचक है, जिस दिन उस वर्ष के लिए आवंटित प्राकृतिक संसाधनों का उपभोग मानव द्वारा कर लिया गया। पहला ओवरशूट डे 2006 मनाया गया था। इसमें जल, अनाज, लकड़ी, कॉर्बन, वन संसाधन आदि पृथ्वी से जुड़े सभी तत्वों की खपत को शामिल किया जाता है।