इस्लामाबाद / कोर्ट का आदेश- फांसी से पहले मर जाएं मुशर्रफ तो 3 दिन तक चौराहे पर लटका देना लाश

पाकिस्तान के पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ को यहां की एक विशेष अदालत ने संविधान बदलने के लिए देशद्रोह के मामले में मंगलवार को मौत की सजा सुनाई। वह पहले ऐसे सैन्य शासक हैं जिन्हें देश के अब तक के इतिहास में मौत की सजा सुनाई गई है। जिस स्पेशल अदालत ने मुशर्रफ को मौत की सजा दी है उसने करीब 167 पन्नों में विस्तार से अपना फैसला लिखा है।

News18 : Dec 20, 2019, 12:56 PM
इस्लामाबाद। पाकिस्तान (Pakistan) के पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ (Pervez Musharaff) को यहां की एक विशेष अदालत ने संविधान बदलने के लिए देशद्रोह के मामले में मंगलवार को मौत की सजा सुनाई। वह पहले ऐसे सैन्य शासक हैं जिन्हें देश के अब तक के इतिहास में मौत की सजा सुनाई गई है। जिस स्पेशल अदालत ने मुशर्रफ को मौत की सजा दी है उसने करीब 167 पन्नों में विस्तार से अपना फैसला लिखा है।

इस फैसले में यह भी लिखा गया है कि अगर परवेज मुशर्रफ की मौत उनकी सजा से पहले हो जाती है तो घसीटते हुए उनकी लाश को इस्लामाबाद के डी चौक पर तीन दिन के लिए लटकाया जाएगा।

फैसले में कही गई ये बात

पाकिस्तान टुडे में विस्तार से छापे गए इस फैसले में लिखा गया है कि उस समय के कोर कमांडर कमेटी जिसमें सभी वर्दीधारी अधिकारी और हर समय, हर जगह मुशर्रफ की रखवाली करने वाले भी पूरी तरह से मुशर्रफ के कार्यों में लिप्त हैं। फैसले में कहा गया है आरोपों के मुताबिक उन्हें दोषी पाया गया है। दोषी को इसके लिए सज़ा-ए-मौत सुनाई गई है। फैसले में कहा गया है कि मुशर्रफ जितने मामलों में दोषी हैं उन्हें आखिरी सांस तक उतनी बार फांसी के फंदे पर लटकाया जाएगा।

फैसले के अनुसार, ‘‘हम कानून प्रवर्तन एजेंसियों को निर्देश देते हैं कि भगोड़े/दोषी को गिरफ्तार करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी जाए और सुनिश्चित करें कि कानून के हिसाब से सजा दी जाए। अगर वह मृत मिलते हैं तो उनकी लाश को इस्लामाबाद के डी चौक तक खींचकर लाया जाए तथा तीन दिन तक लटकाया जाए।’’ वहीं बीमार चल रहे पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह परवेज मुशर्रफ ने कहा कि देशद्रोह मामले में एक अदालत द्वारा उन्हें सुनाई गई मौत की सजा ‘निजी प्रतिशोध’ पर आधारित है। हालांकि इस फैसले का पाकिस्तान की शक्तिशाली सेना विरोध किया है।मुशर्रफ ने कहा बात रखने का नहीं मिला मौका

अदालत द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद मुशर्रफ के समर्थकों ने देश के विभिन्न हिस्सों में उनके समर्थन में छोटी रैलियां निकाली। मुशर्रफ पर संविधान को निष्प्रभावी बनाने और पाकिस्तान में नवम्बर 2007 में संविधानेतर आपातकाल लगाने का आरोप था। यह मामला 2013 से लंबित था।