Zee News : Sep 01, 2020, 06:21 AM
थिम्फू: भूटान (Bhutan) ने तंबाकू पर बैन को पलटते हुए इसे बेचने का निर्णय लिया है। भूटान द्वारा लिया गया यह निर्णय चौंकाने वाला है क्योंकि यह बौद्ध देश धूम्रपान (Smoking) को पाप मानता है। यहां माना जाता है कि तंबाकू का पौधा एक दानव के खून से विकसित हुआ था। इस देश ने 1729 में पहली बार एक तंबाकू नियंत्रण कानून पारित किया था। इसके बाद 2010 में तंबाकू की बिक्री, निर्माण और वितरण पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन धूम्रपान करने वालों को भारी शुल्क और करों का भुगतान करने के बाद तंबाकू उत्पादों (Tobacco Products) को नियंत्रित मात्रा में आयात करने की अनुमति दी गई थी। इसके बाद भारत की सीमा से तस्करी की गई सिगरेटों के लिए यह एक काला बाजार बन गया। इस साल की शुरुआत में भूटान ने कोरोना वायरस महामारी के कारण भारत के साथ अपनी सीमाएं बंद कर दी थीं। आज भारत में 30 लाख से अधिक कोविड-19 मामले हैं। वहीं भूटान में 200 से भी कम हैं। लेकिन इस दौरान भूटान में तंबाकू की कीमतों में जरूर चार गुना वृद्धि हो गई है क्योंकि सीमाएं बंद होने से इसकी तस्करी मुश्किल हो गई है। हालांकि कुछ लोग लगातार कोशिश करते रहे और इस दौरान 12 अगस्त को भारत से आने वाले सामानों को संभालने वाले भूटानी कार्यकर्ता का कोरोना वायरस टेस्ट पॉजिटिव आया। ये वर्कर सीमावर्ती शहर फुएंत्सोलिंग में पॉजिटिव पाया गया। इसने प्रधानमंत्री लोटे त्सेरिंग (PM Lotay Tshering) की सरकार को पुनर्विचार करने के लिए प्रेरित किया और उसके बाद प्रशासन ने सिगरेट की मांग को पूरा करने के लिए तंबाकू की बिक्री पर लगा एक दशक पुराना प्रतिबंध हटा दिया। जबकि भूटान के प्रधानमंत्री एक योग्य चिकित्सक हैं और सप्ताहांत पर वे बतौर डॉक्टर प्रैक्टिस भी करते हैं। हालांकि प्रधानमंत्री का कहना है कि प्रतिबंध हटाने का यह निर्णय अस्थायी है। प्रतिबंध हटाने का निर्णय धूम्रपान करने वाले लोगों को राज्य के स्वामित्व वाले ड्यूटी-फ्री आउटलेट्स से तंबाकू उत्पाद खरीदने की अनुमति देता है। इतना ही नहीं इन उत्पादों को महामारी के कारण देश में किए गए लॉकडाउन के दौरान आवश्यक उत्पादों की सूची में भी जोड़ा गया है। इसे लेकर सरकार ने तर्क दिया है कि जो लोग इन उत्पादों के आदी हैं और लॉकडाउन के कारण घर में रहने के कारण ये उत्पाद न मिलने से वे तनाव में आ सकते हैं। उन्होंने एक स्थानीय समाचार पत्र से कहा, 'एक व्यक्ति को पुनर्वास करने या उसकी आदतों को बदलने के लिए यह गलत समय है।' राजधानी थिम्फू में एक ड्यूटी-फ्री शॉप की ब्रांच मैनेजर डेचेन डेमा ने कहा कि उन्हें रोजाना 1,000 कॉल आ रही हैं और इन उत्पादों के लिए सुबह 8:00 बजे से आधी रात तक ऑर्डर मिल रहे हैं। वो इसमें इतनी व्यस्त हैं कि उन्हें भोजन करने का भी समय नहीं मिल पाता है। लंबे समय से धूम्रपान कर रहे रेयाल चोपेल ने कहा, 'पुरानी आदतें मुश्किल से जाती हैं। मैं काफी हताश हो रहा था। यह व्यवस्था करने के लिए मैं सरकार का शुक्रगुज़ार हूं।'