Rana Sanga Controversy: समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद रामजी लाल सुमन एक बार फिर विवादों में घिर गए हैं। उन्होंने राज्यसभा में मेवाड़ के शासक राणा सांगा को लेकर की गई टिप्पणी के बाद भारी विरोध झेला है। इस विवाद के चलते मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में करणी सेना के सदस्यों ने समाजवादी पार्टी के प्रदेश कार्यालय के बाहर उग्र प्रदर्शन किया। इतना ही नहीं, करणी सेना ने सुमन के खिलाफ इनाम की घोषणा करते हुए कहा कि जो कोई भी उनके मुंह पर कालिख पोतेगा और उन्हें जूते मारेगा, उसे पांच लाख रुपये का इनाम दिया जाएगा।
विवाद की जड़ क्या है?
इस पूरे विवाद की शुरुआत 21 मार्च को राज्यसभा में हुई थी, जब समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने राणा सांगा को ‘गद्दार’ कहा था। उनके इस बयान के बाद से राजस्थान और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में इसका तीखा विरोध शुरू हो गया। राजस्थान की उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत समेत कई अन्य नेताओं और संगठनों ने उनके बयान पर कड़ी आपत्ति जताई।
सपा कार्यालय पर हमले का आरोप
इस विवाद के बीच समाजवादी पार्टी की मध्य प्रदेश इकाई ने आरोप लगाया कि करणी सेना के सदस्यों ने उनके प्रदेश कार्यालय के बैनर और पोस्टरों को नुकसान पहुंचाया। वहीं, पुलिस ने कहा कि विरोध प्रदर्शन के दौरान करणी सेना के सदस्यों ने केवल एक पुतला जलाया, लेकिन किसी भी तरह की तोड़फोड़ नहीं हुई। पुलिस ने अब तक इस मामले में कोई केस दर्ज नहीं किया है।
रामजी लाल सुमन की सफाई
राज्यसभा में दिए गए अपने बयान पर सफाई देते हुए रामजी लाल सुमन ने कहा, "बाबर राणा सांगा के निमंत्रण पर भारत आया था। यह एक ऐतिहासिक तथ्य है। मेरा इरादा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का नहीं था।" उन्होंने आगे कहा कि इतिहास को लेकर हमेशा अलग-अलग दृष्टिकोण होते हैं और उनके बयान का गलत अर्थ निकाला जा रहा है।
अखिलेश यादव की प्रतिक्रिया
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी इस विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "रामजी लाल सुमन ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि हर कोई इतिहास के पन्ने पलट रहा है। बीजेपी के नेता औरंगजेब के बारे में बहस करना चाहते हैं, तो रामजी लाल सुमन ने भी इतिहास के पन्नों में दर्ज एक तथ्य को सामने रखा।"
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
इस विवाद ने समाज में ऐतिहासिक तथ्यों की व्याख्या को लेकर नई बहस छेड़ दी है। कुछ लोग इसे इतिहास का पुनर्मूल्यांकन मान रहे हैं, तो कुछ इसे जानबूझकर उठाया गया विवाद कह रहे हैं। करणी सेना के उग्र विरोध से यह मामला और अधिक गंभीर हो गया है। वहीं, समाजवादी पार्टी इसे राजनीति से प्रेरित विवाद बता रही है।