देश / कोविड-19: नागपुर में होगा दुनिया का सबसे बड़ा प्लाज्मा थेरेपी ट्रायल

महाराष्ट्र के नागपुर जिले का सरकारी मेडिकल कॉलेज दुनिया का सबसे बड़ा प्लाज्मा थेरेपी ट्रायल करवाने की तैयारी कर रहा है। इस ट्रायल के जरिए प्लाज्मा थेरेपी का प्रभाव जानने की कोशिश की जाएगी। अधिकारियों के मुताबिक इस ट्रायल के लिए राज्य में कोरोना से ठीक हो चुके तकरीबन 500 लोगों का ब्लड प्लाज्मा लिया जाएगा।

News18 : Jun 12, 2020, 09:23 AM
मुंबई। महाराष्ट्र के नागपुर (Nagpur) जिले का सरकारी मेडिकल कॉलेज (Government Medical College ) दुनिया का सबसे बड़ा प्लाज्मा थेरेपी ट्रायल करवाने की तैयारी कर रहा है। इस ट्रायल के जरिए प्लाज्मा थेरेपी का प्रभाव जानने की कोशिश की जाएगी। अधिकारियों के मुताबिक इस ट्रायल के लिए राज्य में कोरोना से ठीक हो चुके तकरीबन 500 लोगों का ब्लड प्लाज्मा लिया जाएगा।

मेडिकल एजुकेशन सेक्रेटरी डॉ। संजय मुखर्जी ने ट्वीट कर बताया है, ' मेडिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट को प्लाज्मा ट्रायल की अनुमति मिल गई है। ये दुनिया का सबसे बड़ा प्लाज्मा ट्रायल होगा। इसमें कोरोना को हराकर ठीक हुए करीब 500 लोगों का सैंपल लिया जाएगा।' इस ट्रायल को अनुमति ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने दी है।


बच सकती हैं हजारों जिंदगियां

ट्रायल के कोऑर्डिनेटर डॉ। मोहम्मद फैजल के मुताबिक अगले 6 महीने में प्लाज्मा थेरेपी राज्य के करीब 5 हजार गंभीर कोरोना रोगियों की जान बचा सकती है। इस बड़े स्तर के ट्रायल के नतीजे भारत जैसे देश के लिए कोरोना के इलाज में टर्निंग प्वाइंट साबित हो सकते हैं।

भारत में प्लाज्मा थेरेपी का हुआ है इस्तेमाल

गौरतलब है कि इससे पहले भी भारत में प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल कोरोना के इलाज में किया जा चुका है। मैक्‍स हेल्‍थकेयर के ग्रुप मेडिकल डायरेक्‍टर और इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंटरनल मेडिसिन के सीनियर डॉक्‍टर डॉ। सुदीप बुद्धिराजा ने कहा था- प्लाज्मा थेरेपी के बड़े स्तर पर इस्तेमाल के लिए क्‍लीनिकल ट्रायल की जरूरत होती है।

अध्‍ययन से साफ होगा कि प्‍लाज्‍मा थेरेपी वास्‍तव में कैसे काम करती है। प्‍लाज्‍मा थेरेपी के ट्रायल्‍स भारत समेत पूरी दुनिया में चल रहे हैं। ये थेरेपी वैक्‍सीन बनने तक इलाज में काफी मददगार साबित हो सकती है। ब्‍लड बैंक कोविड-19 से उबर चुके लोगों का प्‍लाज्‍मा लेकर क्‍लीनिकल ट्रायल्‍स के लिए उपलब्‍ध कराने में मदद कर सकते हैं।


ऐसे काम करती है प्लाज्मा थेरेपी

प्‍लाज्‍मा थेरेपी या पैसिव एंटीबॉडी थेरेपी के लिए उस व्‍यक्ति के खून से प्‍लाज्‍मा लिया जाता है, जिसे कोरोना वायरस से उबरे हुए 14 दिन से ज्‍यादा हो चुके हों। संक्रमण से उबर चुके अलग-अलग लोगों के शरीर में अलग-अलग समय तक एंटीबॉडीज बनती रहती हैं। ये उनको हुए संक्रमण की गंभीरता और रोग प्रतिरोधी क्षमता पर निर्भर करता है।