Vikrant Shekhawat : Dec 06, 2022, 10:47 AM
Anil Ambani: अनिल अंबानी और कर्ज में डूबी उनकी कंपनी रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पिछले दिनों आई खबरों से रिलायंस कैपिटल और उसके कर्जदाताओं ने राहत की सांस ली थी. लेकिन अब रिलायंस कैपिटल के कर्जदाताओं और परामर्शदाताओं (Lenders and Counselors) के बीच मतभेद उभरकर सामने आए हैं. अंतिम निर्णय के लिये कर्जदाताओं की समिति (COC) की आज ही बैठक होनी है.लिक्विडेशन से 70 प्रतिशत कम की बोलियांसूत्रों के अनुसार बोलीदाताओं ने अब तक काफी कम कीमत की बोलियां लगाई हैं. ऐसे में कंसलटेंट और कर्जदाताओं की समिति की समाधान प्रक्रिया को लेकर अलग-अलग राय हैं. उनके पास लिक्विडेशन (liquidation) के लिये कदम उठाना या फिर चल रही बोली प्रक्रिया को जारी रखने का विकल्प है. इस मामले में रिलायंस कैपिटल लिमिटेड (RCL) के प्रशासक वाई नागेश्वर राव के प्रोसेस कंसलटेंट (Process Consultant) डेलॉयट का कहना है कि बोलियों का मूल्य लिक्विडेशन (Liquidation) का 13,000 करोड़ रुपये से 70 प्रतिशत कम है.कर्ज देने वाली कंपनियों की समिति में एक राय नहींइस स्थिति में रिलांयस कैपिटल लिक्विडेशन (Liquidation) के लिये जाती है तो इनसॉल्वेंसी और दिवाला संहिता (IBC) के तहत कंपनी को करीब 13,000 करोड़ रुपये मिलेंगे. दूसरी तरफ, सीओसी की सलाहकार केपीएमजी का कहना है कि उन्हें मौजूदा प्रक्रिया के साथ कदम बढ़ाकर सबसे ऊंची बोली को स्वीकार करनार चाहिए. सूत्रों का यह भी कहना है कि दो प्रक्रिया सलाहकारों के बीच अलग-अलग राय के साथ कर्ज देने वाली कंपनियों की समिति में एक राय नहीं है.LIC और EPFO के पास 35 प्रतिशत मतदान का अधिकारसीओसी की कुछ सदस्य कंपनियों का कहना है कि ज्यादा बोली लगाने वाले की बोली फाइनल होनी चाहिए. वहीं कुछ का कहना है कि ज्यादा राशि के लिये ई-नीलामी का विकल्प अपनाया जा सकता है. यह पूरी तरह पारदर्शी होगा. सूत्रों का यह भी कहना है कि मतभेदों को दूर करने में एलआईसी (LIC) और ईपीएफओ (EPFO) की महत्वपूर्ण भूमिका है. नों के सीओसी में 35 प्रतिशत मतदान अधिकार हैं.