नई दिल्ली. ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) वीजी सोमानी ने कोविड-19 के इलाज में इस्तेमाल की जा रही जेनरिक दवा FabiFlu को लेकर किए गए झूठे दावों और ज्यादा कीमत पर ग्लेनमार्क फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड (Glenmark) की जमकर खिंचाई की है. फैबीफ्लू को लेकर एक अज्ञात विधायक ने डीसीजीआई से शिकायत की है. सोमानी ने कहा कि ग्लेनमार्क की ओर से फैबीफ्लू की प्रस्तावित कीमत देश के गरीब, निम्न मध्य वर्ग और मध्य वर्ग के लिहाज से उचित नहीं थी.
ग्लेनमार्क का दावा, तनाव और डायबिटीज में भी कारगर है दवा
सोमानी ने बताया, 'ग्लेनमार्क ने दावा किया था कि फैबीफ्लू कोविड-19 के साथ ही तनाव, डायबिटीज जैसी बीमारियों में भी कारगर है, जबकि इस दवा के ट्रायल में ऐसी किसी बीमारी को शामिल ही नहीं किया गया था.' लॉन्चिंग के समय ग्लेनमार्क ने एंटीवायरल फैबिपिरावीर (Favipiravir) की जेनरिक दवा फैबीफ्लू की 200mg की एक टैबलेट की कीमत 103 रुपये रखी थी. कोविड-19 के दो हफ्ते के इलाज में 122 टैबलेट दी जाती हैं. ऐसे में इसके पूरे कोर्स में 12,500 रुपये का खर्चा होता है
सोमानी ने ग्लेनमार्क से पूरे मामले पर स्पष्टीकरण देने को कहा है
ग्लेनमार्क ने पिछले सप्ताह फैबीफ्लू की कीमत 27 फीसदी घटाकर एक टैबलेट की कीमत 75 रुपये कर दी थी. इससे 122 टैबलेट के पूरे कोर्स का खर्चा घटकर 9,150 रुपये हो गया. सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) के प्रमुख सोमानी ने शनिवार को ग्लेनमार्क को चिट्ठी भेजकर पूरे मामले पर स्पष्टीकरण देने को कहा है. सीडीएससीओ ने जून में कंपनी को फैबीफ्लू के कोरोना के इलाज में इस्तेमाल की अनुमति दी थी. इससे पहले 156 मरीजों पर दवा का परीक्षण किया गया था
हल्के लक्षणों वाले मरीजों पर ही किया गया था फैबीफ्लू का परीक्षण
फैबीफ्लू के परीक्षण का डाटा (Trial Data) अभी तक जारी नहीं किया गया है. हालांकि, सरकारी आंकड़े बताते हैं कि दवा का कोविड-19 के हल्के लक्षण (Mild Symptoms) वाले मरीजों पर परीक्षण किया गया था. परीक्षण में शामिल मरीजों में श्वसनतंत्र से जुड़े मामूली लक्षण थे और उन्हें तत्काल आपात चिकित्सा सुविधा की जरूरत नहीं थी. आसान शब्दों में समझें तो इनमें कोई भी मरीज गंभीर हालत में नहीं था. समय के साथ विशेषज्ञों ने ठोस सबूतों के अभाव में फैबीफ्लू पर सवाल उठाने शुरू कर दिए.
सस्ती पैरासिटामॉल से भी हो सकता है बुखार या शरीर दर्द का इलाज
कुछ विशेषज्ञों ने फैबीफ्लू की कीमत को लेकर भी आलोचना की. उनका कहना था कि सामान्य बुखार या शरीर दर्द जैसे लक्षणों का इलाज इससे कहीं ज्यादा सस्ती पैरासिटामॉल से किया जा सकता है तो इतनी महंगी दवा की क्या जरूरत है. दिल्ली के लोकनायक अस्पताल ने जुलाई की शुरुआत में साइड इफेक्ट्स के कारण फैविपिरावीर के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. डॉक्टरों का कहना है कि इससे कोरोना मरीजों के लिवर और हृदय पर भी बुरा असर पड़ रहा है. ज्यादा उम्र के मरीजों में इसका ज्यादा बुरा असर हो रहा है