स्पोर्ट्स / दीपा मलिक ने पिता को समर्पित किया खेल रत्न, मृत्यु से पहले तैयार किया था आवेदन

रियो पैरालंपिक में पदक जीतने के बाद कैंसर से जूझ रहे दीपा मलिक के पिता एक ही सपना देखते थे। अपनी दिव्यांग बेटी के गले में देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न का हार पड़ा होना। बीते वर्ष 30 अप्रैल को इस सम्मान के आवेदन की अंतिम तिथि थी और वह अपने हाथों से दीपा के आवेदन की फाइल तैयार कर रहे थे। दीपा के मुताबिक उन्होंने कई बार इस आवेदन की भाषा बदली और अंत में इसे भेज दिया।

AMAR UJALA : Aug 30, 2019, 11:36 AM
रियो पैरालंपिक में पदक जीतने के बाद कैंसर से जूझ रहे दीपा मलिक के पिता एक ही सपना देखते थे। अपनी दिव्यांग बेटी के गले में देश के सर्वोच्च खेल सम्मान राजीव गांधी खेल रत्न का हार पड़ा होना। बीते वर्ष 30 अप्रैल को इस सम्मान के आवेदन की अंतिम तिथि थी और वह अपने हाथों से दीपा के आवेदन की फाइल तैयार कर रहे थे। दीपा के मुताबिक उन्होंने कई बार इस आवेदन की भाषा बदली और अंत में इसे भेज दिया। यह आवेदन भेजने के बाद ही इसी दिन उन्होंने अंतिम सांस ली। यही कारण है कि दीपा मलिक राजीव गांधी खेल रत्न सम्मान अपने पिता को समर्पित कर रही हैं। दीपा ने अमर उजाला से कहा कि उनके पिता की जुबां पर अंतिम शब्द यही थे कि उन्हें खेल रत्न जरूर मिलेगा। उनके जीते जी तो यह सपना पूरा नहीं हुआ, लेकिन यह सम्मान उनकी आत्मा को जरूर शांति पहुंचाएगा।

पैरालंपिक नहीं तो समुद्र पार करने की तैयारी

दीपा मलिक टोकियो पैरालंपिक में नजर नहीं आएंगी। उनकी शॉटपुट इवेंट को यहां शामिल नहीं किया गया है। दीपा खुलासा करती हैं कि वह खाली नहीं बैठ सकती हैं। पैरालंपिक में शामिल होने के लिए उन्होंने डिस्कस थ्रो शुरू कर दिया, लेकिन डॉक्टर ने मना कर दिया कि उनकी शारीरिक हालत ऐसी नहीं है कि वह इसे आगे जारी रख पाएं। अब उन्होंने एडवेंचर स्पोट्र्स में समुद्र पार करने की ठानी है। उन्होंने मालद्वीव जाकर इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है। अगले साल वह 50 वर्ष की हो जाएंगी। उन्होंने लक्ष्य निर्धारित किया है कि अपने जीवन के 50वें वर्ष में वह समुद्र पार कर नया रिकार्ड बनाएंगी। 

संन्यास का इरादा नहीं

दीपा ने अब तक संन्यास की नहीं सोची है। उन्हें उम्मीद है कि 2022 के कॉमनवेल्थ खेलों में उनकी इवेंट शामिल होगी। नहीं तो एशियाई खेलों में वह जरूर पदक हासिल करेंगी।