देश / दिल्ली दंगे अचानक से नहीं हुए, इनके पीछे पहले से तय साज़िश थी: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की हत्या मामले में मोहम्मद इब्राहिम को ज़मानत देने से इनकार कर सोमवार को कहा कि उत्तर-पश्चिम दिल्ली दंगों के पीछे 'कानून-व्यवस्था बिगाड़ने की पहले से तय साज़िश' थी। कोर्ट ने कहा कि घटनाएं अचानक से घटित नहीं हुईं। बकौल कोर्ट, 'अनगिनत दंगाइयों' ने अचानक पुलिस अधिकारियों पर 'निर्दयतापूर्वक' हमला किया था।

Vikrant Shekhawat : Sep 28, 2021, 02:12 PM
दिल्ली: दिल्ली दंगों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि यह एक सोची समझी साजिश थी। अचानक से कुछ नहीं हुआ था।

पिछले साल फरवरी महीने में दिल्ली में हुए दंगों की एक मामले पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए इसे पूर्वनियोजित करार दिया। कोर्ट ने कहा कि दंगे किसी घटना की प्रतिक्रिया के कारण नहीं हुए, बल्कि इसे सोची समझी साजिश के तहत अंजाम दिया गया।

कोर्ट ने कहा कि सीसीटीवी कैमरों को नष्ट कर दिया गया। असंख्य दंगाइयों ने बेरहमी से लाठियों, डंडों, बैट आदि के साथ पुलिस पर हमला किया। कोर्ट में जो वीडियो आए हैं, उससे दंगाइयों के बारे में स्पष्ट रूप से पता चलता है। यह दंगा सरकार के साथ-साथ आम जनजीवन को बाधित करने के लिए सुनियोजित रूप से अंजाम दिए गए।

न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल की कथित हत्या से संबंधित मामले में मोहम्मद इब्राहिम द्वारा दायर जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान ये टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा- “फरवरी 2020 में देश की राष्ट्रीय राजधानी को हिला देने वाले दंगे स्पष्ट रूप से पल भर में नहीं हुए, और वीडियो फुटेज में मौजूद प्रदर्शनकारियों का आचरण, जिसे अभियोजन पक्ष द्वारा रिकॉर्ड में रखा गया है, स्पष्ट रूप से उन्हें चित्रित करता है। यह सरकार के कामकाज को अस्त-व्यस्त करने के साथ-साथ शहर में लोगों के सामान्य जीवन को बाधित करने के लिए एक सुनियोजित प्रयास था”।

इब्राहिम की जमानत याचिका को खारिज करते हुए, अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता का वो वीडियो फुटेज काफी भयानक था जिसमें वो तलवार लिए हुए है। कोर्ट ने कहा कि रिकॉर्ड में मौजूद चीजों से अदालत को पता चला है कि याचिकाकर्ता की पहचान कई सीसीटीवी फुटेज में की गई है, जो तलवार लिए हुए है और भीड़ को उकसा रहा है”।

जज साहब ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता के महत्व को स्वीकार करते हुए स्पष्ट किया कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता का दुरुपयोग इस तरह से नहीं किया जा सकता है जो सभ्य समाज के ताने-बाने को अस्थिर करने और अन्य व्यक्तियों को चोट पहुंचाने का प्रयास करता है। कोर्ट ने आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया।