Vikrant Shekhawat : Sep 21, 2022, 07:11 PM
बिहार और झारखंड के नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षाबल लंबे समय से ऑपरेशन चला रहे हैं। कुछ दिन पहले ही एक महीने के ऑपरेशन के बाद बूढ़ा पहाड़ इलाके में सुरक्षाबलों को बड़ी कामयाबी मिली है। बुधवार को डीजी, सीआरपीएफ कुलदीप सिंह ने कहा, अब हम कह सकते हैं कि बिहार और झारखंड नक्सल मुक्त हो गए हैं। वे लोग उगाही गैंग के रूप में भले ही बचे हों लेकिन अब किसी इलाके में उनका वर्चस्व नहीं है। उन्होंने कहा कि बिहार और झारखंड में अब कोई ऐसी जगह नहीं बची है जहां फोर्स नहीं पहुंच सकती। गृह मंत्री अमित शाह पुलिस और सीआरपीएफ को इस कामयाबी के लिए बधाई दी है। डीजी ने कहा, हाल के दिनों में नक्सली हमले तेजी से कम हुए हैं। इसमें कम से कम 77 फीसदी की कमी देखी गई है। 2009 में सबसे ज्यादा नक्सली हमले हुए थे। हमले में होने वाली मौतों में 85 फीसदी की कमी आई है। गृह मंत्री ने ट्वीट करके बधाई दी और कहा, देश की आंतरिक सुरक्षा में एक ऐतिहासिक पड़ाव पार हुआ है। पीएम नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में देशभर में वामपंथी उग्रवाद के विरुद्ध चल रही निर्णायक लड़ाई में सुरक्षाबलों ने अभूतपूर्व सफलता प्राप्त की है।गृह मंत्री ने कहा, शीर्ष माओवादियों के गढ़ में महीनों तक चले इन अभियानों में सुरक्षा बलों को अप्रत्याशित सफलता प्राप्त हुई,जिसमें 14माओवादियों को मार गिराया गया व 590 से अधिक की गिरफ्तारी/आत्मसमर्पण हुआ। जिसमें लाखों-करोड़ों के ईनामी माओवादी जैसे मिथिलेश महतो जिसपर ₹1करोड़ का इनाम था पकड़े गए हैं।उन्होंने कहा, 'पहली बार बूढा पहाड़, चक्रबंधा व भीमबांध के दुर्गम क्षेत्रों से माओवादियों को सफलतापूर्वक निकालकर सुरक्षाबलों के स्थायी कैंप स्थापित किए गए हैं। नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में आतंकवाद व LWE के विरुद्ध गृह मंत्रालय की जीरो टॉलेरेंस की नीति जारी रहेगी और ये लड़ाई आगे और तेज होगी।'यहां 30 साल से था नक्सलियों का कब्जासीआरपीएफ डीजी कुलदीप सिंह ने बताया कि बूढ़ा पहाड़ इलाके में पिछले 30 साल से नक्सलियों का कब्जा था। हेलिकॉप्टर की मदद से यहां सुरक्षाबल पहुंचे और स्थायी कैंप बनाया। इसके बाद यहां तीन ऑपरेशन चलाए गए। इनका नाम ऑपरेशन ऑक्टोपस, बुलबुल और थंडरस्टोर्म था। उन्होंने कहा कि नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई अंतिम चरण में है।