बॉलीवुड / अमिताभ और धर्मेंद्र की फिल्म 'शोले' में थीं ये गलतियां, क्या पकड़ पाए आप?

अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, जया बच्चन और जया भादुरी 15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई कल्ट फिल्म 'शोले' तीन करोड़ के बजट में बनी थी। उस साल शोले ने 15 करोड़ कमाए। वर्ल्ड वाइड कमाई तो इससे लगभग तीन गुना अधिक थी। यह फिल्म इतनी फास्ट चलती है कि फिल्म में हुई कुछ गलतियों की तरफ किसी का ध्यान ही नहीं जाता है।

Zee News : Aug 12, 2020, 10:15 PM
बॉलीवुड डेस्क | अमिताभ बच्चन (Amitabh bachchan), धर्मेंद्र, जया बच्चन और जया भादुरी 15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई कल्ट फिल्म 'शोले' तीन करोड़ के बजट में बनी थी। उस साल शोले ने 15 करोड़ कमाए। वर्ल्ड वाइड कमाई तो इससे लगभग तीन गुना अधिक थी। यह फिल्म इतनी फास्ट चलती है कि फिल्म में हुई कुछ गलतियों की तरफ किसी का ध्यान ही नहीं जाता है।

गब्बर सिंह की गोली पलट गई

जय और वीरू से पिट कर आने के बाद गब्बर अपने साथियों से सवाल करता है, अरे ओ सांबा, वो कितने आदमी थे। वो हंसता है कि वो दो थे और तुम तीन, फिर भी पिट कर आ गए। क्या सोचा था? सरदार खुश होगा, शाबाशी देगा? अपने साथियों के साथ तमाशा करने के बाद वो तीनों को गोली मार देता है। गब्बर सामने से गोली मारता है, लेकिन जब डाकू को जमीन पर गिरा दिखाते हैं तो उसकी पीठ में गोली लगी दिखती है।

रामगढ़ में अंधेरा

आप सबको वह सीन याद होगा, जब ठाकुर की विधवा बहू राधा रात को लालटेन की रोशनी बुझाती है। गांव में बिजली नहीं थी। लेकिन गांव में पानी की टंकी थी और बिजली के खंबे भी। दरअसल कर्नाटक में पहाड़ी इलाके में जब रामगढ़ गांव का सेट लगा, तब इस तरह की कुछ और गलतियां भी हुईं। फिल्म में कुछ जगह कन्नड़ में लिखे बोर्ड्स भी नजर आते हैं।

तीन बजे रुक गई घड़ी

असरानी ने शोले में जेलर की भूमिका निभाई थी। जो अक्सर कहते थे, हम अंग्रेजों के जमाने के जेलर हैं। इस फिल्म के एक दृश्य में नाई बने केश्टो मुखर्जी उनके पास जय और वीरू के जेल से भागने का प्लान बताने जाता हैं। उस समय घड़ी में तीन बज रहे होते हैं। इसके बाद जब जय और वीरू जेलर से मिलने जाते हैं, तब भी घड़ी की सूई तीन पर ही अटकी रहती है। हालांकि यह दृश्य फिल्म में इतना हास्यास्पद था कि इस गलती की तरफ निगाह कम ही जाती है।

शोले फिल्म को बनने में ढाई साल से अधिक लग गए। 1973 में फिल्म की शूटिंग शुरू हुई और 1975 में फिल्म बन कर तैयार हुई और रिलीज हुई। इस दौरान कई सींस में कलाकारों के चेहरे में भी बदलाव नजर आता है। संजीव कुमार ने इस फिल्म में ठाकुर की भूमिका निभाई थी, जिसके दोनों हाथ गब्बर ने काट लिए थे। पर फिल्म के क्लाइमेक्स के दृश्य में जब ठाकुर अपने बूट से गब्बर सिंह पर वार करता है, एक सीन में कुर्ते के नीचे उनका हाथ साफ नजर आता है।

शोले फिल्म में पहले एक कव्वाली भी थी, जो फिल्म की लंबाई को देखते हुए निकाल दी गई। बाद में जब फिल्म के डॉयलॉग के कैसेट निकाले गए तो उसमें यह कव्वाली जोड़ दी गई।