विशेष / क्या आपको पता है श्रीकृष्ण के पुत्र और दुर्योधन की पुत्री के विवाह के बारे में

महाभारत में कई ऐसे रहस्य हैं, जिनके बारे में बहुत ही कम लोगों को पता है। महाभारत भगवान कृष्ण से शुरू हुआ और कृष्ण पर ही खत्म हो गया। द्वारिका में भगवान कृष्ण की आठ पत्नियां थीं, इनके नाम रुक्मणि, जामवंती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा। जिनसे उनके कई पुत्र और पुत्रियां थे। लेकिन क्या आपको पता है भगवान श्रीकृष्ण और दुर्योधन की पुत्री के विवाह के बारे में पेज को स्लाइड करे और जाने पूरा रहस्य.

NavBharat Times : Mar 31, 2020, 08:00 AM
लाइफस्टाइल डेस्क | महाभारत में कई ऐसे रहस्य हैं, जिनके बारे में बहुत ही कम लोगों को पता है। महाभारत भगवान कृष्ण से शुरू हुआ और कृष्ण पर ही खत्म हो गया। भगवान कृष्ण ने मथुरा में जन्म लिया, गोकुल में पले-बढ़े और द्वारिका में शासन किया। जो कि सात पुरियों में से एक है और चारधाम यात्रा में से एक धाम। द्वारिका में भगवान कृष्ण की आठ पत्नियां थीं, इनके नाम रुक्मणि, जामवंती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा। जिनसे उनके कई पुत्र और पुत्रियां थे। लेकिन क्या आपको पता है भगवान श्रीकृष्ण और दुर्योधन की पुत्री के विवाह के बारे में…

यह है पौराणिक कथा

भगवान कृष्ण और जामवंती के पुत्र का नाम सांब था। जो भगवान कृष्ण की तरह 16 कलाओं से संपन्न था। उनके इसी पुत्र के कारण भगवान कृष्ण के कुल का अंत हो गया था। महाभारत के अनुसार, सांब का दिन दुर्योधन और भानुमती की पुत्री लक्ष्मणा पर आ गया था और दोनों एक-दूसरे से प्यार करने लगे।

दुर्योधन ने कर दिया सांबा पर हमला

दुर्योधन के पुत्र का नाम लक्ष्मण और पुत्री का नाम लक्ष्मणा था। दुर्योधन अपने पुत्री का विवाह कृष्ण की पुत्र से बिल्कुल नहीं करना चाहता था। इसलिए सांब और लक्ष्मणा ने गंधर्व विवाह (प्रेम विवाह) कर लिया। उसके बाद सांबा ने लक्ष्मणा को अपने रथ पर बैठाकर ले जाने लगा। जब विवाह की बात कौरवों को पता चला तो दुर्योधन ने हस्तिनापुर की पूरी सेना के साथ उस पर धावा बोल दिया।

शांति वार्ता के लिए हस्तिनापुर पहुंचे बलराम

हस्तिनापुर की सेना के साथ सांबा अकेले मुकाबला करने लगा लेकिन विशाल सेना का कब तक सामना करता। सांबा को हार का सामना करना पड़ा और कौरवों ने उसे बंदी बनाकर जेल में डाल दिया। जब द्वारिका में कौरवों द्वारा सांबा के बंदी की जानकारी मिली तब बलराम हस्तिनापुर पहुंचे। वहां जाकर बलराम शांति वार्ता करना चाहते थे। उन्होंने कहा कि सांबा को छोड़ दिया जाए और कुलवधु को साथ में जाने दिया जाए।

बलराम को आ गया क्रोध

कौरवों ने बलराम की बातों को मानने से इनकार कर दिया और उनका अपमान किया। इससे बलराम को क्रोध आ गया और उन्होंने रौद्र रूप धारण कर लिया। उन्होंने कौरवों को चेताया कि अगर उन्होंने बात नहीं मानी तो पूरी हस्तिनापुर को गंगा में प्रवाहित हो जाएगी। लेकिन कौरव तब भी नहीं माने तो बलराम ने अपने हल से हस्तिनापुर पर प्रहार किया और खींचकर गंगाजी डूबने के लिए चल पड़े।

कौरवों ने सांबा छोड़ दिया

बलराम के प्रहार से पूरी हस्तिनापुर में हाहाकर मच गया, सभी लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। कौरव भी बलराम के इस रूप को देखकर डर गए और माफी मांगने लगे और उनकी सभी बातों के लिए हां कर दी। बलराम ने कौरवों को माफ कर दिया और कौरवों ने बलराम के साथ सांबा और लक्ष्मणा को द्वारिका भेज दिया। द्वारिका में सांबा और लक्ष्मणा का वैदिक रीति रिवाज से विवाह संपन्न हुआ।