Vikrant Shekhawat : Jun 28, 2021, 10:39 AM
नई दिल्ली: देशभर में कोरोना वायरस का डेल्टा प्लस वैरिएंट (Coronavirus Delta Plus Variant) का खतरा बढ़ता जा रहा है और इस बीच यह बात सामने आई है कि दूसरे वैरिएंट्स की तुलना में 'डेल्टा प्लस' का फेफड़ों के उत्तकों से ज्यादा जुड़ाव मिला है। लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि इससे गंभीर बीमारी होगी या यह ज्यादा संक्रामक है। टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह के कोविड-19 कार्य समूह (NTAGI) के प्रमुख डॉ। एनके अरोड़ा ने जानकारी दी।12 राज्यों में आ चुके हैं अब तक 51 मामलेकोरोना वायरस (Coronavirus) के नए स्वरूप डेल्टा प्लस की 11 जून को पहचान हुई। हाल में इसे 'चिंताजनक स्वरूप' के तौर पर वर्गीकरण किया गया है। देश के 12 राज्यों में डेल्टा प्लस के अब तक 51 मामले आ चुके हैं। इस वैरिएंट से संक्रमण के सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र से आए हैं।'ज्यादा संक्रामक या गंभीर बीमारी का कारक नहीं'कोरोना वायरस के 'डेल्टा प्लस' वैरिएंट (Coronavirus Delta Plus Variant) के बारे में एनटीएजीआई के कोविड-19 कार्य समूह के प्रमुख डॉ। एनके अरोड़ा ने कहा कि अन्य स्वरूपों की तुलना में फेफड़ों से इसका ज्यादा जुड़ाव है। लेकिन स्पष्ट किया कि इसका यह मतलब नहीं है कि डेल्टा प्लस गंभीर बीमारी का कारक होगा या यह ज्यादा संक्रामक है। डॉ। एनके अरोड़ा ने कहा, 'अन्य वैरिएंट की तुलना में डेल्टा प्लस की फेफड़ों के भीतर ज्यादा मौजूदगी मिली है, लेकिन यह ज्यादा नुकसान पहुंचाता है इसकी पुष्टि अब तक नहीं हो पाई है। इसका यह भी मतलब नहीं है कि इससे गंभीर बीमारी होगी या यह ज्यादा संक्रामक है।''देश में ज्यादा हो सकते हैं डेल्टा प्लस के मामले'डॉ। एनके अरोड़ा ने कहा कि कुछ और मामलों की पहचान के बाद डेल्टा प्लस के असर के बारे में तस्वीर ज्यादा स्पष्ट होगी, लेकिन ऐसा लगता है कि टीके की एक या दोनों खुराक ले चुके लोगों में संक्रमण के मामूली लक्षण दिखते हैं। उन्होंने कहा, 'हमें इसके प्रसार पर बहुत करीबी नजर रखनी होगी ताकि हमें इससे फैलने वाले संक्रमण का पता चले।' डॉ। अरोड़ा ने कहा कि डेल्टा प्लस स्वरूप के जितने मामलों की पहचान हुई है उससे ज्यादा मामले हो सकते हैं, क्योंकि ऐसे कई लोग हो सकते हैं जिनमें संक्रमण का कोई लक्षण नहीं हो और वे संक्रमण का प्रसार कर रहे हों।'डेल्टा प्लस के खिलाफ राज्य बना रहे हैं योजनाएं'डॉ। एनके अरोड़ा ने कहा, 'सबसे महत्वपूर्ण चीज यह है कि जीनोम अनुक्रमण का काम तेज हुआ है और यह सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। राज्यों को पहले ही बता दिया गया है कि यह चिंताजनक स्वरूप है और इसके लिए कदम उठाने की आवश्यकता है। इससे कई राज्यों ने पहले से ही उन जिलों के लिए सूक्ष्म स्तर पर योजनाएं बनानी शुरू कर दी हैं, जहां वायरस की पहचान की गई है ताकि उनके प्रसार को नियंत्रित किया जा सके। निश्चित रूप से इन जिलों में टीकाकरण बढ़ाना होगा।'