Honasa Consumer : दैनिक उपभोग के सामान बनाने वाली प्रसिद्ध कंपनी
होनासा कंज्यूमर लिमिटेड (Honasa Consumer Limited), जो प्रमुख रूप से
मामाअर्थ (Mamaearth) और
द डर्मा कंपनी जैसे ब्रांड्स के लिए जानी जाती है, हाल ही में एक बड़े कानूनी विवाद के घेरे में आ गई है। शुक्रवार को कंपनी ने बताया कि दुबई की एक अदालत ने संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में उसकी संपत्तियों को कुर्क (seizure) करने का आदेश दिया है। यह कार्रवाई
आरएसएम जनरल ट्रेडिंग के साथ वितरण अधिकारों को लेकर चल रहे विवाद के परिणामस्वरूप हुई है।
मामला क्या है?
आरएसएम जनरल ट्रेडिंग ने आरोप लगाया था कि होनासा ने यूएई में वितरक समझौते (distributorship agreement) को अवैध रूप से समाप्त कर दिया था। इस विवाद के चलते आरएसएम ने दुबई की अदालत में मामला दायर किया। जून 2024 में दुबई स्थित कोर्ट ऑफ मेरिट्स ने इस विवाद में एहतियाती कुर्की (precautionary attachment) का आदेश दिया था, जिसका उद्देश्य होनासा की संपत्तियों को भविष्य के निर्णयों के लिए सुरक्षित करना था।
कोर्ट का फैसला
दुबई की अदालत ने इस मामले में दोनों पक्षों की अपीलों को खारिज कर दिया, जिसमें होनासा और आरएसएम ने कोर्ट ऑफ मेरिट्स के आदेश के खिलाफ शिकायत की थी। इसके परिणामस्वरूप, अदालत ने
2.5 करोड़ दिरहम की क्षतिपूर्ति (ऋण) के तहत होनासा की दुबई स्थित संपत्तियों को कुर्क करने का आदेश दिया।हालांकि, अदालत ने
होनासा कंज्यूमर जनरल ट्रेडिंग एलएलसी के कारोबारी लाइसेंस को रद्द करने से इनकार कर दिया, जो आरएसएम के प्रमुख आरोपों में से एक था।
कंपनी का जवाब
होनासा कंज्यूमर लिमिटेड ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। कंपनी का कहना है कि वह दुबई की अदालत के नवीनतम आदेश के खिलाफ अपील करेगी और उसे विश्वास है कि इस विवाद का कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि अदालत के फैसले से सिर्फ संपत्ति कुर्की का आदेश आया है, और कारोबारी लाइसेंस को रद्द नहीं किया गया है, जिससे उनकी यूएई में व्यापारिक गतिविधियाँ प्रभावित नहीं होंगी।
गज़ल अलघ और मामाअर्थ की भूमिका
होनासा कंज्यूमर लिमिटेड के
मामाअर्थ ब्रांड ने पिछले कुछ सालों में बड़ी सफलता हासिल की है। इसकी सह-संस्थापक,
गज़ल अलघ, जो
शार्क टैंक इंडिया में एक जज के रूप में भी जानी जाती हैं, ने इस ब्रांड को एक घरेलू नाम बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हालांकि, यह कानूनी विवाद कंपनी की प्रतिष्ठा और व्यापारिक रणनीति पर कुछ हद तक प्रभाव डाल सकता है।