Vikrant Shekhawat : Sep 11, 2021, 04:37 AM
कुछ समय से टलती आ रही 'थलाइवी' आखिरकार 10 सितंबर को रिलीज हो रही है। जय ललिता के जीवन पर आधारित इस फिल्म में कंगना रनोट की मुख्य भूमिका है। कहानी फ़्लैश बैक में चलती है। जिसमें जया के हीरोइन बनने से लेकर प्यार-रोमांस, राजनीति की शुरुआत और अंततोगत्वा विधानसभा में मुख्यमंत्री बनकर लौटने तक की कहानी बड़े रोचक ढंग से दिखाई गई है। फिल्म में जया का इंदिरा गांधी से हाथ मिलाकर राजनीति में कद ऊंचा करने से लेकर राजीव गांधी की भूमिका को भी प्रस्तुत किया गया है।
फिल्म की शुरुआत विधानसभा में बजट पेश करने से होती है। सत्ता पक्ष बजट पेश करने वाला होता है कि जया उन्हें रोकती है। पक्ष-विपक्ष में गहमा-गहमी बढ़ती है, तभी सभा में ही जया की पिटाई कर देते हैं। जया जाते-जाते शपथ लेती है कि आज तूने और तेरे आदमियों ने जिस तरह भरी सभा में मेरा अपमान किया है। वैसा ही चीर हरण कौरवों ने द्रौपदी का किया था। वह सत्ता की लड़ाई भी वो जीती थी और यह सत्ता की लड़ाई भी मैं जीतूंगी, क्योंकि महाभारत का दूसरा नाम है- जया। आज मैं शपथ लेती हूं कि इस सभा में सिर्फ मुख्यमंत्री बनकर लौटूंगी।
इंटरवल तक कहानी बड़ी धीमी गति से आगे बढ़ती है। इसके बाद जया का राजनीतिक सफर शुरू होते ही कहानी में न सिर्फ तेजी आती है, बल्कि रोचकता भी दोगुनी हो जाती है। कलाकारी की बात की जाए, तब कंगना ने बेशक अपने कैरेक्टर पर काफी काम किया है। शारीरिक तौर पर वजन बढ़ाने की बात हो या फिर जया की मानसिकता को पकड़ना हो। उन्होंने प्यार-रोमांस, नाच गान और भावुकता के हर पहलू को बड़ी बखूबी के साथ निभाया है। उनके लंबे-लंबे डायलॉग अदायगी देखते बनती है।
सपोर्टिंग कास्ट ने भी दिखाया एक्टिंग का दमवहीं उनके हीरो एमजीआर की भूमिका निभाने वाले अरविंद स्वामी ने कंगना के कैरेक्टर में चार चांद लगाये हैं। जबकि जया की मां की भूमिका में भाग्यश्री ने उन्हें इंडस्ट्री के तौर-तरीके सिखाने के दौरान अपनी अदाकारी की छाप बखूबी छोड़ी है। सचिव आरएनवी बने राज अर्जुन का जया के साथ एक अलग ही पहलू नजर आया, जो बड़ा रोचक रहा। फिल्म में संवादों की तारीफ करनी होगी, जो हर कैरेक्टर पर बड़े दमदार लगते हैं।
थलाईवी की दमदार और कमजोर कड़ियांफिल्म देखते समय जो बातें अखरती हैं, वह एक तो साउथ भाषा में बोले गए कुछ डायलॉग हैं तो वहीं लोकसभा में जया का अंग्रेजी में दिया गया भाषण है। यह हिंदी दर्शकों के पल्ले शायद ही पड़ेगा। हाँ, कहानी को आगे बढ़ाने के लिए फिल्म में सीन-दर-सीन संगीत कुछ ज्यादा ही डाला गया है, जो कहानी को समझने में बाधा डालता है। जय ललिता के राजनीतिक करियर के बारे में लोग फिर भी जानते हैं। लेकिन उनके अच्छे कामों और राजनीति में जगह बनाने जैसी बारीक बातों को जानने के लिए यह फिल्म जरूर देख सकते हैं।
फिल्म की शुरुआत विधानसभा में बजट पेश करने से होती है। सत्ता पक्ष बजट पेश करने वाला होता है कि जया उन्हें रोकती है। पक्ष-विपक्ष में गहमा-गहमी बढ़ती है, तभी सभा में ही जया की पिटाई कर देते हैं। जया जाते-जाते शपथ लेती है कि आज तूने और तेरे आदमियों ने जिस तरह भरी सभा में मेरा अपमान किया है। वैसा ही चीर हरण कौरवों ने द्रौपदी का किया था। वह सत्ता की लड़ाई भी वो जीती थी और यह सत्ता की लड़ाई भी मैं जीतूंगी, क्योंकि महाभारत का दूसरा नाम है- जया। आज मैं शपथ लेती हूं कि इस सभा में सिर्फ मुख्यमंत्री बनकर लौटूंगी।
इंटरवल तक कहानी बड़ी धीमी गति से आगे बढ़ती है। इसके बाद जया का राजनीतिक सफर शुरू होते ही कहानी में न सिर्फ तेजी आती है, बल्कि रोचकता भी दोगुनी हो जाती है। कलाकारी की बात की जाए, तब कंगना ने बेशक अपने कैरेक्टर पर काफी काम किया है। शारीरिक तौर पर वजन बढ़ाने की बात हो या फिर जया की मानसिकता को पकड़ना हो। उन्होंने प्यार-रोमांस, नाच गान और भावुकता के हर पहलू को बड़ी बखूबी के साथ निभाया है। उनके लंबे-लंबे डायलॉग अदायगी देखते बनती है।
सपोर्टिंग कास्ट ने भी दिखाया एक्टिंग का दमवहीं उनके हीरो एमजीआर की भूमिका निभाने वाले अरविंद स्वामी ने कंगना के कैरेक्टर में चार चांद लगाये हैं। जबकि जया की मां की भूमिका में भाग्यश्री ने उन्हें इंडस्ट्री के तौर-तरीके सिखाने के दौरान अपनी अदाकारी की छाप बखूबी छोड़ी है। सचिव आरएनवी बने राज अर्जुन का जया के साथ एक अलग ही पहलू नजर आया, जो बड़ा रोचक रहा। फिल्म में संवादों की तारीफ करनी होगी, जो हर कैरेक्टर पर बड़े दमदार लगते हैं।
थलाईवी की दमदार और कमजोर कड़ियांफिल्म देखते समय जो बातें अखरती हैं, वह एक तो साउथ भाषा में बोले गए कुछ डायलॉग हैं तो वहीं लोकसभा में जया का अंग्रेजी में दिया गया भाषण है। यह हिंदी दर्शकों के पल्ले शायद ही पड़ेगा। हाँ, कहानी को आगे बढ़ाने के लिए फिल्म में सीन-दर-सीन संगीत कुछ ज्यादा ही डाला गया है, जो कहानी को समझने में बाधा डालता है। जय ललिता के राजनीतिक करियर के बारे में लोग फिर भी जानते हैं। लेकिन उनके अच्छे कामों और राजनीति में जगह बनाने जैसी बारीक बातों को जानने के लिए यह फिल्म जरूर देख सकते हैं।