Ravichandran Ashwin: इंटरनेशनल क्रिकेट में इतने लंबे समय तक बने रहना किसी चमत्कार से कम नहीं। लेकिन रविचंद्रन अश्विन ने इसे हकीकत में बदला। करीब डेढ़ दशक तक टीम इंडिया के लिए खेलते हुए न केवल वह भारत के सबसे भरोसेमंद मैच विनर बने, बल्कि क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में अपनी अलग पहचान भी बनाई। अश्विन के करियर के इन शानदार पलों के पीछे छिपी उनकी मेहनत और जीवन की अनकही कहानियां जानना बेहद दिलचस्प है।
जब अश्विन हुए किडनैप
क्रिकेट की दुनिया में खिलाड़ी विरोधी टीम के स्ट्रैटेजी का शिकार होते रहते हैं, लेकिन अश्विन के साथ जो हुआ वह हैरान कर देने वाला था। एक टेनिस बॉल मैच के दौरान, विरोधी टीम के 4-5 सदस्य और फैंस ने उन्हें किडनैप कर लिया। अश्विन ने खुद इस घटना का जिक्र एक इंटरव्यू में किया। उन्होंने बताया कि विरोधी टीम उन्हें मैच में खेलने से रोकना चाहती थी।विरोधी टीम के लोग रॉयल इनफील्ड बाइक पर आए और अश्विन को यह कहकर ले गए कि उन्हें पिकअप करना है। उनका मकसद साफ था—अश्विन को मैदान पर उतरने से रोकना। यह घटना उनके जीवन के असामान्य और रोमांचक अनुभवों में से एक बन गई।
मिडियम पेसर से वर्ल्ड-क्लास ऑफ स्पिनर बनने की कहानी
अश्विन का क्रिकेटिंग सफर शुरुआत में मिडियम पेस गेंदबाज के रूप में हुआ। लेकिन उनके स्कूल कोच सीके विजयकुमार ने उनकी गेंदबाजी में छिपी असली क्षमता को पहचाना। यह वह दौर था जब अश्विन 11वीं कक्षा में थे।विजयकुमार ने बताया कि एक दिन अश्विन नेट्स पर मिडियम पेस गेंदबाजी कर रहे थे। थक जाने के बाद उन्होंने पूछा, "क्या मैं ऑफ स्पिन करा सकता हूं?" कोच ने हामी भर दी। यहीं से अश्विन की ऑफ स्पिन का सफर शुरू हुआ। अगले दिन अश्विन ने फिर मिडियम पेस करने की अनुमति मांगी, लेकिन कोच ने उन्हें मना कर दिया। विजयकुमार को यकीन था कि अश्विन का भविष्य ऑफ स्पिन में है।कोच की सलाह मानते हुए अश्विन ने ऑफ स्पिन पर ध्यान केंद्रित किया, और यह निर्णय उनके करियर का सबसे बड़ा टर्निंग पॉइंट साबित हुआ। उनके पिता को भी कोच ने समझाया कि अश्विन की असली पहचान ऑफ स्पिन गेंदबाजी है।
14 सालों का सुनहरा सफर
स्कूल कोच की बात मानकर अश्विन ने जो रास्ता चुना, उसने उन्हें क्रिकेट जगत में ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। जैसे एमएस धोनी ने फुटबॉल गोलकीपर से क्रिकेट के विकेटकीपर बनने का फैसला किया और इतिहास रच दिया, वैसे ही अश्विन ने ऑफ स्पिन को अपनाकर अपने करियर में सफलता की नई कहानी लिखी।14 साल के करियर में अश्विन ने भारतीय क्रिकेट को कई यादगार पल दिए। वह भारत के दूसरे सबसे सफल टेस्ट गेंदबाज हैं। उनके नाम 106 टेस्ट मैचों में 537 विकेट दर्ज हैं। उनके पूरे इंटरनेशनल करियर में यह आंकड़ा 765 विकेट तक पहुंच जाता है।
निष्कर्ष
अश्विन का सफर हमें यह सिखाता है कि सही दिशा में मेहनत और दृढ़ निश्चय से कोई भी मंजिल पाई जा सकती है। किडनैपिंग जैसी असामान्य घटनाओं से लेकर अपने कोच की सलाह मानने तक, अश्विन का जीवन प्रेरणा से भरा है। उन्होंने भारतीय क्रिकेट को अपने हुनर और काबिलियत से नई ऊंचाइयां दीं। अब, उनका नाम वर्ल्ड क्रिकेट के महानतम खिलाड़ियों में लिया जाता है।रविचंद्रन अश्विन की यह कहानी उनके जीवन की चुनौतियों और उपलब्धियों का अनूठा मिश्रण है, जो हर युवा क्रिकेटर के लिए प्रेरणा का स्रोत है।