नई दिल्ली / देश की हालत देखकर गांधी जी की आत्मा दुखी: सोनिया गाँधी

महात्मा गांधी की जयंती पर राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस ने पदयात्रा निकाली। पदयात्रा दिल्ली कांग्रेस के दफ्तर से राजघाट तक निकाली गई। पदयात्रा के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि पिछले पांच साल में जो भी हुआ, उससे गांधी जी की आत्मा दुखी होगी। देश की हालत बिगड़ी है। देश में न महिलाएं सुरक्षित हैं और न ही अर्थव्यवस्था ठीक है।

Vikrant Shekhawat : Oct 02, 2019, 01:56 PM
नई दिल्ली. महात्मा गांधी की जयंती पर राहुल गांधी की अगुवाई में कांग्रेस ने पदयात्रा निकाली। पदयात्रा दिल्ली कांग्रेस के दफ्तर से राजघाट तक निकाली गई।  बापू की 150वीं जयंती के मौके पर कांग्रेस बुधवार को पूरे देश में 'रघुपति राघव राजा राम' की धुन पर पदयात्रा निकाल रही है।

सोनिया गांधी बोलीं- देश की हालत देखकर गांधी जी की आत्मा दुखी

पदयात्रा  के बाद कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि पिछले पांच साल में जो भी हुआ, उससे गांधी जी की आत्मा दुखी होगी। देश की हालत बिगड़ी है। देश में न महिलाएं सुरक्षित हैं और न ही अर्थव्यवस्था ठीक है। 

गांधी जी का नाम लेना आसान है, मगर उनके रास्ते पर चलना आसान नहीं है

सोनिया गांधी ने कहा आज जब हमारा देश और पूरी दुनिया महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रही है, हम सभी को इस बात पर गर्व है कि आज भारत जहां पहुंचा है, वह गांधी जी के रास्ते पर चलकर ही पहुंचा है। गांधी जी का नाम लेना आसान है, मगर उनके रास्ते पर चलना आसान नहीं है।

भारत और गांधी जी एक दूसरे के पर्याय हैं

सोनिया गांधी ने कहा कि पिछले कुछ सालों में साम-दाम-दंड भेद का खुला कारोबार करके वे अपने आपको बहुत ताकतवर समझते हैं। इनके बावजूद अगर भारत नहीं भटका तो इसलिए क्योंकि हमारे मुल्क की बुनियाद में गांधी जी के उसूलों की आधारशीला है। भारत और गांधी जी एक दूसरे के पर्याय हैं।

कुछ लोग चाहते हैं कि गांधी जी नहीं बल्कि आरएसएस प्रतीक बन जाए भारत

सोनिया गांधी ने आगे कहा कि कुछ लोग चाहते हैं कि गांधी जी नहीं, बल्कि आरएसएस भारत का प्रतीक बन जाए। मैं ऐसे लोगों से साफ तौर पर कहना चाहती हूं कि हमारे देश की मिली-जुली संस्कृति, सभ्यता और समाज में गांधी जी की सर्वसमावेशी व्यवस्था के अलावा कभी कोई सोच नहीं आ सकती। जो असत्य पर आधारित राजनीति कर रहे हैं, वे कैसे समझेंगे कि गांधी जी की अहिंसा के उपासक थे।