News18 : Aug 13, 2020, 06:36 AM
जयपुर। सचिन पायलट (Sachin Pilot) का वापस राजस्थान (Rajasthan) लौटना भले ही कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व (Congress Top Leadership) को सुकून दे रहा हो लेकिन इससे सीएम अशोक गहलोत (Ashok Geglot) के करीबी नेता (Loyalists) खुश नहीं हैं। सीएम के नजदीकी कई वरिष्ठ नेताओं ने सचिन पायलट खेमे के विद्रोह और फिर वापसी पर नाराजगी जतानी शुरू भी कर दी है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी के कुछ विधायकों ने पायलट की वापसी पर नाराजगी से कांग्रेस हाईकमान को अवगत भी करा दिया है।
पायलट द्वारा कही गई बातों से ज्यादा नाराजगीकांग्रेस पार्टी के एक सूत्र ने बताया है-गहलोत के नजदीकी विधायकों ने पार्टी हाईकमान से लिखित में राय प्रकट कर दी है। इन विधायकों में हालिया सियासी संकट और फिर पायलट खेमे की वापसी को लेकर काफी नाराजगी देखी जा रही है। कहा जा रहा है कि विधायकों में ये गुस्सा सिर्फ पायलट की वापसी को लेकर ही नहीं है। दरअसल 'शांति' के बाद जिस तरह से पायलट ने कई इंटरव्यू दिए हैं उसे लेकर भी नाराजगी है। गौरतलब है कि बीते दो दिनों के दौरान कई इंटरव्यू में सचिन पायलट ने कहा है कि उन्हें और उनके करीबियों को वो काम करने की छूट नहीं दी गई जो वो करना चाहते थे। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि कैसे विधानसभा चुनावों की जीत में उनका बेहद महत्वपूर्ण रोल रहा है।
मंत्री ने इशारों में कही बातपायलट ने यह भी कहा है कि पार्टी हाईकमान राज्य के लिए उनके रोडमैप को लेकर राजी है। सचिन पायलट के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर आवाज बुलंद करने वालों में ट्रांसपोर्ट मंत्री प्रताप सिंह कछरियावास प्रमुख हैं। एक समय में पायलट के बेहद नजदीकियों में शुमार किए जाने वाले प्रताप सिंह बीते एक महीने के सियासी संकट के दौरान गहलोत खेमे की तरफ से अग्रणी नेताओं में रहे हैं। उन्होंने लगातार पायलट खेमे की आलोचना की है।मंगलवार को प्रताप सिंह और उनके पिता को प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से नोटिस दिया गया है। प्रताप सिंह ने कहा है कि पार्टी हाईकमान द्वारा सचिन पायलट और उनके नजदीकियों को वापस लाए जाने से विधायकों और पार्टी कार्यकर्ताओं में बहुत गुस्सा है। इन्हीं लोगों की वजह से पार्टी के विधायकों को तकरीबन एक महीने तक होटल में कैंप करना पड़ा। हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया कि ये विचार पार्टी कार्यकर्ताओं के हैं, उनके नहीं।
क्या कहते हैं विश्लेषकराजनीतिक विश्लेषकों का भी मानना है कि सचिन पायलट और उनके सहयोगियों के प्रति पार्टी के अन्य नेताओं में शक की भावना पनपी है। राजनीतिक विश्लेषक नारायण बरेथ का कहना है कि ये लड़ाई अशोक गहलोत के लिए बेहद महत्वपूर्ण थी। उनके लिए इसके बाद दोबारा खड़ा होना आसान नहीं होता। लेकिन अब वो मुश्किल दौर से बाहर निकलने में कामयाब हो गए हैं। तो अब उनके नजदीकियों में उन्हें विजेता के तौर पर देखा जा रहा है। अब जल्द ही राज्य कैबिनेट में होने वाले फेरबदल से आगे के राजनीतिक समीकरणों का अंदाजा हो जाएगा। इसी से पता चलेगा कि सचिन पायलट की अब राजस्थान कांग्रेस और सरकार में कितनी दखल है।
पायलट द्वारा कही गई बातों से ज्यादा नाराजगीकांग्रेस पार्टी के एक सूत्र ने बताया है-गहलोत के नजदीकी विधायकों ने पार्टी हाईकमान से लिखित में राय प्रकट कर दी है। इन विधायकों में हालिया सियासी संकट और फिर पायलट खेमे की वापसी को लेकर काफी नाराजगी देखी जा रही है। कहा जा रहा है कि विधायकों में ये गुस्सा सिर्फ पायलट की वापसी को लेकर ही नहीं है। दरअसल 'शांति' के बाद जिस तरह से पायलट ने कई इंटरव्यू दिए हैं उसे लेकर भी नाराजगी है। गौरतलब है कि बीते दो दिनों के दौरान कई इंटरव्यू में सचिन पायलट ने कहा है कि उन्हें और उनके करीबियों को वो काम करने की छूट नहीं दी गई जो वो करना चाहते थे। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि कैसे विधानसभा चुनावों की जीत में उनका बेहद महत्वपूर्ण रोल रहा है।
मंत्री ने इशारों में कही बातपायलट ने यह भी कहा है कि पार्टी हाईकमान राज्य के लिए उनके रोडमैप को लेकर राजी है। सचिन पायलट के खिलाफ सार्वजनिक तौर पर आवाज बुलंद करने वालों में ट्रांसपोर्ट मंत्री प्रताप सिंह कछरियावास प्रमुख हैं। एक समय में पायलट के बेहद नजदीकियों में शुमार किए जाने वाले प्रताप सिंह बीते एक महीने के सियासी संकट के दौरान गहलोत खेमे की तरफ से अग्रणी नेताओं में रहे हैं। उन्होंने लगातार पायलट खेमे की आलोचना की है।मंगलवार को प्रताप सिंह और उनके पिता को प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से नोटिस दिया गया है। प्रताप सिंह ने कहा है कि पार्टी हाईकमान द्वारा सचिन पायलट और उनके नजदीकियों को वापस लाए जाने से विधायकों और पार्टी कार्यकर्ताओं में बहुत गुस्सा है। इन्हीं लोगों की वजह से पार्टी के विधायकों को तकरीबन एक महीने तक होटल में कैंप करना पड़ा। हालांकि उन्होंने यह भी साफ किया कि ये विचार पार्टी कार्यकर्ताओं के हैं, उनके नहीं।
क्या कहते हैं विश्लेषकराजनीतिक विश्लेषकों का भी मानना है कि सचिन पायलट और उनके सहयोगियों के प्रति पार्टी के अन्य नेताओं में शक की भावना पनपी है। राजनीतिक विश्लेषक नारायण बरेथ का कहना है कि ये लड़ाई अशोक गहलोत के लिए बेहद महत्वपूर्ण थी। उनके लिए इसके बाद दोबारा खड़ा होना आसान नहीं होता। लेकिन अब वो मुश्किल दौर से बाहर निकलने में कामयाब हो गए हैं। तो अब उनके नजदीकियों में उन्हें विजेता के तौर पर देखा जा रहा है। अब जल्द ही राज्य कैबिनेट में होने वाले फेरबदल से आगे के राजनीतिक समीकरणों का अंदाजा हो जाएगा। इसी से पता चलेगा कि सचिन पायलट की अब राजस्थान कांग्रेस और सरकार में कितनी दखल है।