News18 : Aug 11, 2020, 07:47 AM
नई दिल्ली/जयपुर। राजस्थान में 32 दिनों से चल रहा सियासी घमासान (Rajasthan Political Crisis) आखिरकार खत्म हो गया। अब तक बागी रुख अख्तियार किए हुए सचिन पायलट (Sachin Pilot) ने सोमवार को नरमी दिखाई। राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) से मुलाकात के बाद उनकी अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) से सुलह हो गई। इसके बाद पायलट ने साफ कर दिया कि उनकी कांग्रेस से कोई बैर नहीं है। उन्हें पद की लालसा भी नहीं है। अगर पार्टी पद दे सकती है, तो ले भी सकती है।
कांग्रेस ने सचिन पायलट को बागी करार देकर राजस्थान के डिप्टी सीएम के पद से हटा दिया था। उन्हें राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष पद से भी बेदखल कर दिया गया था। डिप्टी सीएम और उनके समर्थक विधायकों के बागी होने के बाद भी गहलोत ने कभी ऐसा नहीं दिखाया कि उनकी सरकार को कोई खतरा है। वो हमेशा पूर्ण बहुमत का दावा करते रहे। गहलोत ने हर बार विधानसभा की सभी 200 सदस्यों के समर्थन की बात कही। गहलोत का ये कॉन्फिडेंस विरोधी खेमे का कॉन्फिडेंस गिराता रहा।अशोक गहलोत जहां अपनी सरकार को खतरे से बाहर दिखा रहे थे, वहीं दूसरी ओर बागी खेमे के हर एक्टिविटी पर कड़ी नजर भी बनाए हुए थे। यहां तक कि जयपुर का फेयरमोटं होटल हो या जैसलमेर का सूर्यगढ़ पैलेस, गहलोत ने अपने खेमे के विधायकों को कहीं भी ढील नहीं दी। वह इसके साथ-साथ पायलट खेमे में गए एक-एक विधायकों से पर्सनली बात करके उन्हें मनाने की कोशिश करते रहें।अशोक गहलोत ने जिद पर अड़े बागी विधायकों को समझाने के लिए एसीबी, एसओजी का डर तो दिखाया ही, कोर्ट में पैरवी भी की गई। यहां तक कि ऑडियो टेप जारी किये गए तो कभी वॉयस सैंपल के जरिए बागी विधायकों पर दबाव बनाया गया।इस बीच बीएसपी विधायकों के मामले में कोर्ट के फैसले से पहले विधायक दल की बैठक में भी पूर्ण बहुमत का दावा किया गया। गहलोत ने कुछ बीजेपी के विधायकों के भी संपर्क में होने का दावा किया। गहलोत ने ये जताने की कोशिश की थी कि अगर उस वक्त फ्लोर टेस्ट होता, तो सरकार इसे पास कर लेगी।गहलोत इस दौरान पायलट को भी समझाने में लगे रहे। कुछ जगहों पर सख्ती भी दिखाई। कई जगहों पर ये भी दिखाया कि उनके पार्टी से चले जाने से सरकार नहीं गिरेगी। इससे आखिकार बागी विधायकों का मनोबल कम हो गया। वो दोबारा सोचने पर मजबूर हो गए।इन तमाम दांव-पेच के आगे सचिन पायलट और उनके खेमे के 18 विधायक की सारी रणनीति फेल हो गई। मजबूरन पायलट को गांधी परिवार से मिलने का समय मांगना पड़ा। सोमवार को कांग्रेस का टॉप नेतृत्व ही पायलट को वापस लाने में एक्टिव दिखा।ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी के जनरल सेक्रेट्री केसी वेनुगोपाल ने बताया कि सचिन पायलट की इस मुलाकात के बाद सोनिया गांधी ने फैसला किया है कि पायलट और असंतुष्ट विधायकों की ओर से उठाए गए मुद्दों के समाधान के लिए पार्टी तीन सदस्यीय एक कमिटी का गठन करेगी। इसमें सभी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होगी और मंथन करने के बाद उचित रास्ता निकाला जाएगा।
कांग्रेस ने सचिन पायलट को बागी करार देकर राजस्थान के डिप्टी सीएम के पद से हटा दिया था। उन्हें राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष पद से भी बेदखल कर दिया गया था। डिप्टी सीएम और उनके समर्थक विधायकों के बागी होने के बाद भी गहलोत ने कभी ऐसा नहीं दिखाया कि उनकी सरकार को कोई खतरा है। वो हमेशा पूर्ण बहुमत का दावा करते रहे। गहलोत ने हर बार विधानसभा की सभी 200 सदस्यों के समर्थन की बात कही। गहलोत का ये कॉन्फिडेंस विरोधी खेमे का कॉन्फिडेंस गिराता रहा।अशोक गहलोत जहां अपनी सरकार को खतरे से बाहर दिखा रहे थे, वहीं दूसरी ओर बागी खेमे के हर एक्टिविटी पर कड़ी नजर भी बनाए हुए थे। यहां तक कि जयपुर का फेयरमोटं होटल हो या जैसलमेर का सूर्यगढ़ पैलेस, गहलोत ने अपने खेमे के विधायकों को कहीं भी ढील नहीं दी। वह इसके साथ-साथ पायलट खेमे में गए एक-एक विधायकों से पर्सनली बात करके उन्हें मनाने की कोशिश करते रहें।अशोक गहलोत ने जिद पर अड़े बागी विधायकों को समझाने के लिए एसीबी, एसओजी का डर तो दिखाया ही, कोर्ट में पैरवी भी की गई। यहां तक कि ऑडियो टेप जारी किये गए तो कभी वॉयस सैंपल के जरिए बागी विधायकों पर दबाव बनाया गया।इस बीच बीएसपी विधायकों के मामले में कोर्ट के फैसले से पहले विधायक दल की बैठक में भी पूर्ण बहुमत का दावा किया गया। गहलोत ने कुछ बीजेपी के विधायकों के भी संपर्क में होने का दावा किया। गहलोत ने ये जताने की कोशिश की थी कि अगर उस वक्त फ्लोर टेस्ट होता, तो सरकार इसे पास कर लेगी।गहलोत इस दौरान पायलट को भी समझाने में लगे रहे। कुछ जगहों पर सख्ती भी दिखाई। कई जगहों पर ये भी दिखाया कि उनके पार्टी से चले जाने से सरकार नहीं गिरेगी। इससे आखिकार बागी विधायकों का मनोबल कम हो गया। वो दोबारा सोचने पर मजबूर हो गए।इन तमाम दांव-पेच के आगे सचिन पायलट और उनके खेमे के 18 विधायक की सारी रणनीति फेल हो गई। मजबूरन पायलट को गांधी परिवार से मिलने का समय मांगना पड़ा। सोमवार को कांग्रेस का टॉप नेतृत्व ही पायलट को वापस लाने में एक्टिव दिखा।ऑल इंडिया कांग्रेस कमिटी के जनरल सेक्रेट्री केसी वेनुगोपाल ने बताया कि सचिन पायलट की इस मुलाकात के बाद सोनिया गांधी ने फैसला किया है कि पायलट और असंतुष्ट विधायकों की ओर से उठाए गए मुद्दों के समाधान के लिए पार्टी तीन सदस्यीय एक कमिटी का गठन करेगी। इसमें सभी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा होगी और मंथन करने के बाद उचित रास्ता निकाला जाएगा।