Vikrant Shekhawat : Jun 06, 2021, 03:14 PM
इस्लामाबाद: टेरर फंडिंग के मामले में पाकिस्तान की मुश्किलें अभी कम होने वाली नहीं हैं। फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की क्षेत्रीय संस्था एशिया पैसिफिक ग्रुप ने पाकिस्तान को निगरानी सूची में बरकरार रखा है। देश के फाइनेंसियस सिस्टम को टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग जैसी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए उपयोग करने पर पाकिस्तान को FATF ने जून 2018 में ग्रे लिस्ट में डाल दिया था। इसके बाद से ही पाकिस्तान इस सूची से बाहर आने के लिए संघर्ष कर रहा है।ग्लोबल टेरर फाइनेंसिंग वॉचडॉग, एफएटीफ ने इस साल फरवरी के महीने में पाकिस्तान को जून तक ग्रे लिस्ट में डाला था। दरअसल अपनी जांच-पड़ताल में एफएटीएफ ने यह पाया था कि पाकिस्तान मजबूती से मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ लड़ पाने में असक्षम रहा है तथा जो 27 एक्शन प्लान पाकिस्तान को बताए गए थे उसका भी सही तरीके से अनुपालन नहीं हो सका था।इसके अलावा एशिया पैसिफिक ग्रुप ने पाकिस्तान को लेकर सेकेंड फॉलो-अप रिपोर्ट (FUR) भी जारी की है। यह रिपोर्ट आपसी मूल्यांकन पर आधारित है। इस रिपोर्ट में भी पाकिस्तान जरुरी मापदंडों पर खरा नहीं उतरा है। पाकिस्तान आधारित अखबार 'डॉन' ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि अब पाकिस्तान एफएटीएफ की सात सिफारिशों को पूरा कर चुका है और 24 अन्य सिफारिशों का अनुपालन कर रहा है। पाकिस्तान अब कुल 40 सिफारिशों में से 31 का अनुपालन कर रहा है। पाकिस्तान ने इस संबंध में जो रिपोर्ट सौंपी थी उसके मूल्यांकन करने की अंतिम तारीख 1 अक्टूबर, 2020 थी। इसका मतलब यह है कि इस्लामाबाद को आगे अभी और भी बेहतर करना होगा तब बड़े स्तर पर मूल्यांकन हो सकेगा। एपीजी की तरफ से साफ किया गया है कि 'पाकिस्तान को मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फंडिंग के खिलाफ और भी ज्यादा ताकत से काम कर अपनी स्थिति मजबूत करनी होगी तथा उसे लगातार एपीजी को इस संबंध में किये गये अपने कार्यों की प्रोग्रेस रिपोर्ट देनी होगी। यहां आपको बता दें कि पाकिस्तान ने अपनी तीसरी रिपोर्ट फरवरी 2021 में सौंपी थी, जिसका मूल्यांकन किया जाना अभी बाकी है। पाकिस्तान के ग्रे सूची में रहने का मतलब यह है कि उसे अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से किसी भी तरह की आर्थिक मदद नहीं मिल पाएगी।