Business News / इकोनॉमी के लिए अच्छी खबर- इस साल इतनी रह सकती है भारत की इकोनॉमिक रफ्तार

कोविड के बाद से भारत ने इकोनॉमिक रफ्तार जो पकड़ी है, उसे मैच करना तो दूर उसके आसपास तक पहुंचना भी दुनियाके तमाम बड़े देशों के लिए मुश्किल साबित हो रहा है. चीन हो या फिर अमेरिका या यूरोप का कोई दूसरा देश. भारत की रफ्तार का कायल हो चुका है. वित्त वर्ष 2024 में देश की ग्रोथ रेट 7.6 फीसदी देखने को मिली थी. मौजूदा वित्त वर्ष की ग्रोथ का जो अनुमान लगाया गया है, वो भी 7 फीसदी से ज्यादा होने के साथ दुनिया के बाकी बड़े देशों

Vikrant Shekhawat : May 07, 2024, 08:32 AM
Business News: कोविड के बाद से भारत ने इकोनॉमिक रफ्तार जो पकड़ी है, उसे मैच करना तो दूर उसके आसपास तक पहुंचना भी दुनियाके तमाम बड़े देशों के लिए मुश्किल साबित हो रहा है. चीन हो या फिर अमेरिका या यूरोप का कोई दूसरा देश. भारत की रफ्तार का कायल हो चुका है. वित्त वर्ष 2024 में देश की ग्रोथ रेट 7.6 फीसदी देखने को मिली थी. मौजूदा वित्त वर्ष की ग्रोथ का जो अनुमान लगाया गया है, वो भी 7 फीसदी से ज्यादा होने के साथ दुनिया के बाकी बड़े देशों के मुकाबले ज्यादा ज्यादा देखने को मिल रहा है. इंडिया रेटिंग एंड रिसर्च की ओर से भारत की इकोनॉमिक रफ्तार के अनुमान को बढ़ाकर 7 फीसदी से ऊपर कर दिया है. आइए आपको भी बताते हैं कि आखिर इंडिया रेटिंग की ओर से क्या अनुमान लगाया गया है.

अनुमान में किया इजाफा

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए देश की सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी ग्रोथ रेट के अनुमान को 6.5 फीसदी से बढ़ाकर 7.1 फीसदी कर दिया. यह अनुमान रिजर्व बैंक के सात फीसदी के अनुमान से थोड़ा अधिक है. घरेलू रेटिंग एजेंसी ने बयान में कहा कि सरकारी कैपिटल एक्सपेंडिचर बने रहने, कॉरपोरेट और बैंकिंग सेक्टर के बही-खाते में कर्ज की कमी और आरंभिक निजी कॉरपोरेट कैपिटल एक्सपेंडिचर से मिले मजबूत समर्थन ने उसे ग्रोथ अनुमान में बदलाव करने के लिए मजबूर किया है.

बाधाएं भी हैं सामने

इसके साथ ही रेटिंग एजेंसी ने कहा कि कंजंप्शन डिमांड का व्यापक आधार नहीं होना और वैश्विक स्तर पर सुस्त वृद्धि के कारण निर्यात में आने वाली बाधाएं भारत की जीडीपी ग्रोथ को सीमित कर सकती है. एजेंसी ने उम्मीद जताई कि निजी अंतिम उपभोग व्यय में वृद्धि वित्त वर्ष 2024-25 में बढ़कर सात फीसदी हो जाएगी, जो वित्त वर्ष 2023-24 में तीन प्रतिशत थी. यह तीन साल का उच्चतम स्तर होगा.

ग्रामीण खपत कमजोर

इस रिपोर्ट में मौजूदा उपभोग मांग को अत्यधिक विषम बताते हुए कहा गया है कि यह हाई इनकम कैटेगिरी से संबंधित परिवारों द्वारा बड़े पैमाने पर उपभोग की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं से प्रेरित है जबकि ग्रामीण खपत कमजोर बनी हुई है. इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि सामान्य से बेहतर मानसून रहने से गेहूं की सरकारी खरीद के चालू वित्त वर्ष में 3.7 करोड़ टन रहने पर खपत बढ़ सकती है. पिछले वित्त वर्ष में गेहूं की खरीद 2.6 करोड़ टन रही थी.

विदेशी एजेंसियों का अनुमान

अगर बात विदेशी एजेंसियों के अनुमान की बात करें तो भारत की इकोनॉमी पर अपने विश्वास में इजाफा किया है. पिछले महीने आईएमएफ ने अपने अनुमान में इजाफा करते हुए वित्त वर्ष 2025 की ग्रोथ 6.8 फीसदी की थी, जो पहले 6.5 फीसदी थी. एसएंडपी ग्लोबल ने भारत की वित्त वर्ष 2025 की वृद्धि का अनुमान नवंबर में अनुमानित 6.4 फीसदी से बढ़ाकर 6.8 फीसदी कर दिया था. एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने भी वित्त वर्ष 2025 के लिए भारत के जीडीपी ग्रोथ का पूर्वानुमान पहले अनुमानित 6.7 फीसदी से बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया है. वर्ल्ड बैंक ने भी वित्त वर्ष 2025 के लिए भारत की जीडीपी वृद्धि के अपने पूर्वानुमान को संशोधित कर 6.6 फीसदी कर दिया है, जो पहले वित्त वर्ष के लिए अनुमानित 6.4 फीसदी था.