Vikrant Shekhawat : Jul 09, 2022, 06:40 PM
Sri Lanka Crisis: श्रीलंका में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. गुस्साई जनता अब सड़कों पर आकर प्रदर्शन कर रही है. राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग को लेकर देश में जगह-जगह भारी बवाल मचा हुआ है. सैकड़ों प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग करते हुए शनिवार को मध्य कोलंबो के अति सुरक्षा वाले फोर्ट इलाके में राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास में जबरिया घुस गए. गंभीर आर्थिक संकट को लेकर प्रदर्शनकारी सरकार के खिलाफ कई दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. मार्च से ही राजपक्षे पर राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने का दबाव बढ़ रहा है.स्पीकर बन सकते हैं श्रीलंका के कार्यवाहक राष्ट्रपतिगोटबाया अप्रैल में प्रदर्शनकारियों द्वारा उनके कार्यालय के प्रवेश द्वार पर कब्जा करने के बाद से ही राष्ट्रपति आवास को अपने आवास तथा कार्यालय के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं. इस बीच प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे से भी इस्तीफे की मांग की है. रानिल विक्रम सिंघे ने कहा है कि वे इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं. सूत्रों की मानें तो देश में हिंसा को लेकर स्पीकर ने आपात बैठक बुलाई है. इसमें गोटबाया के इस्तीफे पर चर्चा की जा रही है. गोटबाया ने इस्तीफा दया तो स्पीकर अगला राष्ट्रपति चुने जाने तक कार्यवाहक राष्ट्रपति बने रहेंगे. राजपक्षे ने शुक्रवार को ही खाली कर दिया था आवासराष्ट्रपति आवास में काम करने वाले लोगों ने बताया कि शनिवार के प्रदर्शन के मद्देनजर राष्ट्रपति राजपक्षे ने शुक्रवार को ही आवास खाली कर दिया था. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए उन पर आंसू गैस के गोले छोड़े और पानी की बौछारें कीं तथा गोलियां चलायी, लेकिन फिर भी प्रदर्शनकारी अवरोधकों को हटाकर राष्ट्रपति आवास में घुस गए. इस बीच, प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने जनता के प्रदर्शन से देश में पैदा हुए संकट पर चर्चा करने के लिए शनिवार को राजनीतिक दल के नेताओं की तत्काल बैठक बुलायी. विक्रमसिंघे के कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया है कि उन्होंने पार्टी की तत्काल बैठक बुलायी है और स्पीकर से तत्काल संसद का सत्र बुलाने का अनुरोध किया है.हिंसक प्रदर्शन में कई घायलप्रदर्शनकारी राष्ट्रपति आवास की दीवारों पर चढ़ गए और वे अंदर ही हैं. हालांकि, उन्होंने किसी संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाया और न ही किसी तरह की हिंसा की है. इस बीच, प्रदर्शनों के दौरान दो पुलिस अधिकारियों समेत कम से कम 30 लोग घायल हो गए और उन्हें कोलंबो में नेशनल हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है. प्रदर्शनकारियों की गाले, कैंडी और मतारा शहरों में रेलवे प्राधिकारियों से भी झड़प हुई और उन्होंने प्राधिकारियों को कोलंबो के लिए ट्रेन चलाने पर विवश कर दिया.सेना और पुलिस हालात संभालने में लगीइलाके में पुलिस, विशेष कार्य बल और सेना की बड़ी टुकड़ियों को तैनात किया गया है. ‘व्होल कंट्री टू कोलंबो’ आंदोलन के आयोजकों ने कहा कि लोग कोलंबो फोर्ट में प्रदर्शनकारियों के साथ शामिल होने के लिए उपनगरों से पैदल निकल रहे हैं. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे तब तक पीछे नहीं हटेंगे, जब तक गोटबाया राजपक्षे इस्तीफा नहीं दे देते हैं. इससे पहले श्रीलंका पुलिस ने शीर्ष वकीलों के संघ, मानवाधिकार समूहों और राजनीतिक दलों के लगातार बढ़ते दबाव के बाद शनिवार को सात संभागों से कर्फ्यू हटा लिया.गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा श्रीलंकापुलिस के मुताबिक पश्चिमी प्रांत में सात पुलिस संभागों में कर्फ्यू लगाया गया था जिसमें नेगोंबो, केलानिया, नुगेगोडा, माउंट लाविनिया, उत्तरी कोलंबो, दक्षिण कोलंबो और कोलंबो सेंट्रल शामिल हैं. यह कर्फ्यू शुक्रवार रात नौ बजे से अगली सूचना तक लागू किया गया था. श्रीलंका के बार एसोसिएशन ने कर्फ्यू का विरोध करते हुए इसे अवैध और मौलिक अधिकारों का हनन करार दिया था. बार एसोसिएशन ने एक बयान में कहा, ‘इस तरह का कर्फ्यू स्पष्ट रूप से अवैध है और हमारे देश के लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है जो अपने मूल अधिकारों की रक्षा करने में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनकी सरकार की विफलता को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.’ श्रीलंका के मानवाधिकार आयोग ने कर्फ्यू को मानवाधिकारों का घोर हनन बताया है. गौरतलब है कि 2.2 करोड़ की आबादी वाला देश श्रीलंका मौजूदा समय में गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है.