Mahakumbh 2025 / प्रयागराज में महाकुंभ का भव्य आयोजन, अमृत स्नान जारी, 4 करोड़ लोगो के शामिल होने की उम्मीद

महाकुंभ 2025 का पहला अमृत स्नान 14 जनवरी को त्रिवेणी संगम में हो रहा है। नागा साधुओं ने स्नान की शुरुआत की। लगभग 4 करोड़ श्रद्धालुओं के डुबकी लगाने की उम्मीद है। साध्वी निरंजन ज्योति ने इसे सनातन धर्म के लिए ऐतिहासिक बताया। यह आयोजन पूरी दुनिया के लिए आध्यात्मिक अवसर है।

Vikrant Shekhawat : Jan 14, 2025, 09:16 AM

Mahakumbh 2025: प्रयागराज में इस वर्ष का महाकुंभ एक ऐतिहासिक आयोजन के रूप में उभर रहा है। 14 जनवरी 2025 को पहला अमृत स्नान त्रिवेणी संगम में आयोजित किया गया, जिसमें सबसे पहले नागा साधुओं ने पवित्र डुबकी लगाई। इसके बाद देश-विदेश से आए करोड़ों श्रद्धालुओं ने संगम में स्नान कर पुण्य अर्जित किया। 144 वर्षों के बाद आयोजित हो रहे इस महाकुंभ में भारी संख्या में श्रद्धालुओं की उपस्थिति ने धार्मिक आस्था की शक्ति को पुनः प्रमाणित किया।

पवित्र स्नान का महत्व

सनातन धर्म में महाकुंभ के स्नान को अत्यधिक पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि महाकुंभ में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसी मान्यता के चलते लाखों भक्त अपने परिवार के साथ प्रयागराज पहुंचते हैं। इस वर्ष महाकुंभ में श्रद्धालुओं की संख्या में जबरदस्त वृद्धि देखी जा रही है। पौष पूर्णिमा के दिन 13 जनवरी को लगभग 1.65 करोड़ श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई थी। वहीं, अमृत स्नान के दिन यह संख्या 4 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है।

साधु-संतों की उपस्थिति और उनके विचार

महाकुंभ के दौरान साधु-संतों की उपस्थिति हमेशा से प्रमुख आकर्षण रही है। निरंजनी अखाड़े की महामंडलेश्वर साध्वी निरंजन ज्योति ने अपने बयान में कहा, "यह महाकुंभ 144 वर्षों के बाद आयोजित हो रहा है। यहां उपस्थित श्रद्धालु सनातन धर्म पर हो रहे हमलों का करारा जवाब दे रहे हैं। यह एक आध्यात्मिक संदेश है कि हमारी संस्कृति और परंपरा को कोई कमजोर नहीं कर सकता।"

स्वामी कैलाशानंद गिरि ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, "हमारा निरंजनी अखाड़ा राजसी शाही स्नान की तैयारी कर रहा है। यह अवसर देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। आज लगभग 3 से 4 करोड़ लोग पवित्र स्नान करेंगे। केंद्र और राज्य सरकार ने इस आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद देता हूं। दोनों ही धर्मात्मा हैं और उन्होंने सनातन धर्म को बढ़ावा देने में बड़ा योगदान दिया है।"

विदेशी श्रद्धालुओं का आकर्षण

महाकुंभ का आकर्षण सिर्फ भारतीय श्रद्धालुओं तक सीमित नहीं है। यह आयोजन पूरी दुनिया के लिए एक अनूठा अनुभव प्रदान करता है। प्रयागराज पहुंचे एक विदेशी श्रद्धालु ने कहा, "महाकुंभ केवल भारत के लिए नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक आध्यात्मिक अवसर है।" प्रसिद्ध उद्योगपति एप्पल के पूर्व सीईओ स्टीव जॉब्स की पत्नी लॉरेन पॉवेल जॉब्स भी इस महाकुंभ का हिस्सा बनीं। स्वामी कैलाशानंद गिरि ने बताया कि लॉरेन पॉवेल जॉब्स उनके शिविर में ठहरी हैं और उन्होंने इस आयोजन को बहुत ही विशेष बताया।

आयोजन का भव्य प्रबंधन

महाकुंभ का यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके प्रबंधन की भी प्रशंसा हो रही है। स्नान के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। संगम क्षेत्र में लाखों की भीड़ को संभालने के लिए प्रशासन ने विशेष व्यवस्थाएं की हैं। अमृत स्नान की प्रक्रिया कुल 9.30 घंटे तक चलेगी, जबकि सभी अखाड़ों के स्नान व जुलूस के बाद उनके शिविरों में लौटने में 12 घंटे से अधिक समय लगने का अनुमान है।

समापन समारोह और संभावित श्रद्धालु संख्या

महाकुंभ 2025 का समापन 26 फरवरी को होगा। यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस पूरे आयोजन के दौरान लगभग 35 से 40 करोड़ श्रद्धालु पवित्र स्नान करेंगे। इतनी बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति से यह स्पष्ट है कि महाकुंभ न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा की अमिट छाप भी प्रस्तुत करता है।

एक अद्वितीय सांस्कृतिक संगम

महाकुंभ न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और एकता का भी प्रतीक है। प्रयागराज में आयोजित इस महाकुंभ ने पूरी दुनिया को यह संदेश दिया है कि सनातन धर्म की जड़ें कितनी गहरी और मजबूत हैं। यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत रहेगा और भारतीय संस्कृति की वैश्विक पहचान को और अधिक मजबूत करेगा।