सोनिया से कैसे नजरें मिलाऊंगा / सोशल मीडिया पर छलका हरीश रावत का दर्द, कहा- दिल्ली जाने की कल्पना मात्र से ही मेरे पांव और मन भारी

विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार का दर्द रह रहकर कांग्रेस नेताओं को सता रहा है। सत्ता में वापसी को लेकर आश्वस्त कांग्रेस नेता अप्रत्यक्ष नतीजों से हैरान-परेशान हैं। इस बीच कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में दिल्ली रवाना होने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बेहद भावुक नजर आए। उनके शब्दों में कहें तो वह राज्य में कांग्रेस की हार से बेहद आहत हैं।

Vikrant Shekhawat : Mar 14, 2022, 10:33 AM
विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार का दर्द रह रहकर कांग्रेस नेताओं को सता रहा है। सत्ता में वापसी को लेकर आश्वस्त कांग्रेस नेता अप्रत्यक्ष नतीजों से हैरान-परेशान हैं। इस बीच कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में दिल्ली रवाना होने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत बेहद भावुक नजर आए।

उनके शब्दों में कहें तो वह राज्य में कांग्रेस की हार से बेहद आहत हैं। बैठक में जाने से पूर्व उन्होंने कहा कि वह समझ नहीं पा रहे हैं कि अपनी राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से कैैसे नजरें मिलाएंगे। दिल्ली रवाना होने से पूर्व हरीश रावत ने फेसबुक पेज पर एक पोस्ट साझा की। जिसमें वह बेहद भावुक नजर आए। उन्होंने लिखा कि दिल्ली की ओर जाने की कल्पना मात्र से उनके पांव और मन भारी हो रहे हैं।

भविष्य की चुनौतियों से पार पाना होगा

वह कैसे अपनी राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया के चेहरे की तरफ देखेंगे। उन्होंने राज्य में कांग्रेस की सत्ता वापसी को लेकर उन पर बहुत विश्वास किया था। देश के तमाम शीर्षस्थ कांग्रेस जनों का भी उन पर बहुत विश्वास था। लेकिन वह ऐसा नहीं कर पाए। हरीश ने कहा कि कहीं तो उनकी ही कमियां रही होंगी, जो वह विश्वास को कायम नहीं रख पाए। अब वास्तविकता यह है कि हम हारे ही नहीं हैं, बल्कि हमारी हार कई और चिंताजनक संकेत भी दे रही है। 

हरीश ने कहा कि उनका आज भी मानना है कि देश के अंदर कोई दूसरी पार्टी ऐसी नहीं है, जो पैन इंडिया स्वरूप ग्रहण करने में सक्षम हो और भाजपा का सशक्त लोकतांत्रिक विकल्प प्रस्तुत कर सके। टुकड़े-टुकड़े में कुछ लोग कोशिश कर रहे हैं। मगर उनके डीएनए में वह सब नहीं है, जो कांग्रेस की डीएनए में है। लेकिन कांग्रेस पार्टी कहीं न कहीं रणनीतिक चूक का शिकार हो रही है। कुछ ऐसी स्थितियां बन रही हैं कि हम हर बार जनता का विश्वास जीतने में विफल हो जा रहे हैं।