Uttarakhand News / इस राज्य के मदरसे में अब पढ़ाया जाएगा संस्कृत, बोर्ड अध्यक्ष ने खुद किया ऐलान

उत्तराखंड मदरसा बोर्ड राज्य के 400 से अधिक मदरसों में वैकल्पिक रूप से संस्कृत पढ़ाने की योजना बना रहा है। बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने बताया कि इस योजना पर काम चल रहा है और राज्य सरकार की मंजूरी के बाद इसे लागू किया जाएगा। NCERT सिलेबस लागू करने से मदरसों में बेहतर परिणाम मिले हैं।

Vikrant Shekhawat : Oct 20, 2024, 05:00 PM
Uttarakhand News: हाल के दिनों में मदरसों को लेकर कई चर्चाएं हो रही हैं, और इस बीच उत्तराखंड मदरसा बोर्ड ने एक नई और दिलचस्प पहल की घोषणा की है। राज्य में स्थित 400 से अधिक मदरसों में संस्कृत भाषा को वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाने की योजना पर विचार किया जा रहा है। उत्तराखंड मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष मुफ्ती शमून कासमी ने इस पहल के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि बोर्ड इस योजना पर पिछले कुछ समय से काम कर रहा है और अब इसे अमलीजामा पहनाने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।

संस्कृत शिक्षा का प्रस्ताव

मुफ्ती शमून कासमी ने बताया कि इस योजना के तहत, मदरसा छात्रों को संस्कृत भाषा सीखने का अवसर मिलेगा, जो उनके शैक्षिक विकास के लिए एक सकारात्मक पहल साबित हो सकती है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की इस इच्छा के अनुसार, मदरसा के बच्चों को औपचारिक शिक्षा के साथ जोड़ा जाए, संस्कृत शिक्षा का यह कदम उसी दिशा में है।

कासमी ने बताया, "राज्य के मदरसों में NCERT सिलेबस लागू होने के बाद इस साल बहुत अच्छे परिणाम सामने आए हैं। 96 प्रतिशत से ज्यादा छात्र सफल हुए हैं, जो बताता है कि मदरसा के छात्र भी अन्य बच्चों की तरह प्रतिभाशाली हैं। यदि उन्हें और भी अधिक शैक्षणिक अवसर दिए जाएं, तो वे संस्कृत जैसे विषयों में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सकते हैं।"

अरबी और संस्कृत: प्राचीन भाषाओं का मेल

कासमी ने अरबी और संस्कृत के बीच समानताओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि दोनों भाषाएं प्राचीन हैं और धार्मिक तथा सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। "यदि मदरसा के छात्रों को अरबी के साथ-साथ संस्कृत सीखने का अवसर मिलता है, तो यह उनके ज्ञान और रोजगार के अवसरों को भी बढ़ाएगा," उन्होंने कहा।

हालांकि, संस्कृत शिक्षा को लागू करने का विचार फिलहाल शुरुआती चरण में है। मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार शाहिद शमी सिद्दीकी ने बताया कि यह योजना अभी सिर्फ एक विचार है और इसे लागू करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि प्रस्ताव की प्रक्रिया राज्य सरकार से मंजूरी मिलने के बाद शुरू की जाएगी।

वक्फ बोर्ड की प्रतिक्रिया

उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने संस्कृत शिक्षा की इस पहल की सराहना की, लेकिन इस बात पर आश्चर्य जताया कि इसे लागू करने में अब तक देरी क्यों हो रही है। उन्होंने कहा, "यह विचार निश्चित रूप से अच्छा है, और अगर मदरसा बोर्ड वास्तव में ऐसा चाहता है, तो इसे लागू करना मुश्किल नहीं होना चाहिए। मुझे नहीं लगता कि राज्य सरकार से इस पर मंजूरी मिलने में कोई कठिनाई आएगी।"

संस्कृत शिक्षा: क्या यह नया युग ला सकती है?

संस्कृत को मदरसों में पढ़ाने की योजना न केवल सांस्कृतिक और शैक्षिक दृष्टिकोण से एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि यह धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ आधुनिक और वैकल्पिक विषयों को भी मदरसा पाठ्यक्रम में शामिल करने की दिशा में एक सकारात्मक पहल हो सकती है।

इस योजना का उद्देश्य मदरसा छात्रों को विविध भाषाओं और विषयों से परिचित कराना है, ताकि वे न केवल धार्मिक शिक्षा में निपुण हों, बल्कि आधुनिक शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रतिस्पर्धी बन सकें। अरबी और संस्कृत दोनों ही प्राचीन भाषाएं हैं और इनका अध्ययन छात्रों के ज्ञान के दायरे को व्यापक बनाने में मदद करेगा।

निष्कर्ष

उत्तराखंड मदरसा बोर्ड की यह पहल निश्चित रूप से एक नया अध्याय लिखने की दिशा में है। यदि यह योजना सफलतापूर्वक लागू होती है, तो यह मदरसा शिक्षा प्रणाली में एक बड़ा बदलाव ला सकती है, जिससे छात्रों को विविध शैक्षिक अवसर मिलेंगे। अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार और अन्य संबंधित संस्थाएं इस प्रस्ताव को मंजूरी देकर इसे कितनी जल्दी अमल में लाती हैं, ताकि मदरसा छात्रों को संस्कृत जैसे प्राचीन और महत्वपूर्ण विषय का अध्ययन करने का अवसर मिल सके।