Vikrant Shekhawat : Jun 02, 2021, 07:12 AM
Delhi: हमने अक्सर खुशी के मौके पर लोगों को डांस करते हुए देखा है। बर्थडे पार्टी हो या फिर शादी, जब भी कोई खुशी का मौका आता है तो हम डांस करना बेहद पसंद करते हैं, लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि किसी के मौत के बाद शव के साथ डांस लोग करते हैं। बिल्कुल अजीब बात है ना, लेकिन यह बिल्कुल सौ फीसदी सच है। ऐसी परंपरा है, जहां यदि किसी की मृत्यु हो जाए तो उसके शवयात्रा के साथ परिवारजन नाचते हुए कब्रिस्तान पहुंचते हैं।
अंतिम संस्कार के वक्त शव के साथ नाचते हैं लोगसीएनएन ट्रेवल में छपी खबर के मुताबिक, मेडागास्कर (Madagascar) में मालागासी जनजाति (Malagasy Tribe) के लोग अंतिम संस्कार के वक्त शव के साथ डांस करते हैं। इतना ही नहीं, जब शव यात्रा निकलती है तो स्थानीय व परिवार के लोग शव के साथ नाचते हुए कब्रिस्तान पहुंचते हैं, जो फैमाडिहाना (Famadihana) रिवाज के हिस्से के रूप में है। इस पवित्र अनुष्ठान में परिवार के कई मृत सदस्यों को पैतृक कब्रों से निकाला भी जाता है।
मकबरे के चारों ओर लाइव म्यूजिकफैमाडिहाना (Famadihana) रिवाज के अंतर्गत, शवों को उनके दफन स्थान से लाने के बाद, उन्हें फिर से नए कपड़े में लपेटते हैं और मकबरे के चारों ओर लाइव म्यूजिक के साथ नृत्य करते हैं। हर सात साल के बाद इस परंपरा का पुन: पालन किया जाता है, लेकिन कुछ सालों में इस परंपरा की गिरावट आई है। मकबरे और उत्सव के अवसर पर बहुत पैसा खर्च करता है क्योंकि आखिरकार अंतिम संस्कार के बाद इसे एक बड़ा दिन माना जाता है।
अंतिम संस्कार के वक्त शव के साथ नाचते हैं लोगसीएनएन ट्रेवल में छपी खबर के मुताबिक, मेडागास्कर (Madagascar) में मालागासी जनजाति (Malagasy Tribe) के लोग अंतिम संस्कार के वक्त शव के साथ डांस करते हैं। इतना ही नहीं, जब शव यात्रा निकलती है तो स्थानीय व परिवार के लोग शव के साथ नाचते हुए कब्रिस्तान पहुंचते हैं, जो फैमाडिहाना (Famadihana) रिवाज के हिस्से के रूप में है। इस पवित्र अनुष्ठान में परिवार के कई मृत सदस्यों को पैतृक कब्रों से निकाला भी जाता है।
मकबरे के चारों ओर लाइव म्यूजिकफैमाडिहाना (Famadihana) रिवाज के अंतर्गत, शवों को उनके दफन स्थान से लाने के बाद, उन्हें फिर से नए कपड़े में लपेटते हैं और मकबरे के चारों ओर लाइव म्यूजिक के साथ नृत्य करते हैं। हर सात साल के बाद इस परंपरा का पुन: पालन किया जाता है, लेकिन कुछ सालों में इस परंपरा की गिरावट आई है। मकबरे और उत्सव के अवसर पर बहुत पैसा खर्च करता है क्योंकि आखिरकार अंतिम संस्कार के बाद इसे एक बड़ा दिन माना जाता है।