NavBharat Times : Aug 11, 2020, 08:32 AM
हिमालय क्षेत्र में विभिन्न तापमान और रासायनिक स्थितियों वाले लगभग 600 गर्म पानी के सोते कार्बन डाइआक्साइड का उत्सर्जन कर पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं। भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत स्वायत्त संस्थान, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी की ओर से इसका पता लगाया गया था।
उन्होंने शोध के दौरान पाया कि हिमालय के गढ़वाल क्षेत्र में लगभग 10,000 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले भूगर्भीय सोते कार्बन डाइऑक्साइड से समृद्ध पानी की निकासी लगातार हो रही है, क्योंकि इस संस्थान के वैज्ञानिकों को इन सोतों से उत्सर्जित होने वाली गैस की जांच करने की विशेषज्ञता हासिल है।इसके तहत उन्होंने अनुमानित कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन का प्रवाह वायुमंडल में लगभग सात दशमलव दो गुणे एक सौ छह एमओएल प्रति वर्ष है। इस संदर्भ में वैज्ञानिक पत्रिका एनवायरमेंटल साइंस एंड पॉल्यूशन रिसर्च में एक अध्ययन भी प्रकाशित किया गया है।वैज्ञानिकों की टीम ने गढ़वाल में हिमालय के प्रमुख फाल्ट क्षेत्रों से 20 गर्म पानी के इन सोतों से एकत्र किए गए पानी के नमूनों का विस्तृत रासायनिक और आइसोटोप विश्लेषण किया। वैज्ञानिकों ने इसके आकड़ों का बारीकी से अध्ययन भी करके इनकी स्थितियों और निकलने वाले कार्बन का सूक्ष्मता से अध्ययन किया है।टीम द्वारा किए गए सिमुलेशन अध्ययनों से पता चलता है कि इन सोतों में प्रति वर्ष जल से वायुमंडल में बड़े पैमाने पर कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन की क्षमता है। इस अध्ययन से हिमालय क्षेत्र के गर्म पानी के सोतों से प्रति वर्ष वायुमंडल में उत्सर्जित होने वाली कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा का अनुमान लगाना आसान हो जाता है।
उन्होंने शोध के दौरान पाया कि हिमालय के गढ़वाल क्षेत्र में लगभग 10,000 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले भूगर्भीय सोते कार्बन डाइऑक्साइड से समृद्ध पानी की निकासी लगातार हो रही है, क्योंकि इस संस्थान के वैज्ञानिकों को इन सोतों से उत्सर्जित होने वाली गैस की जांच करने की विशेषज्ञता हासिल है।इसके तहत उन्होंने अनुमानित कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन का प्रवाह वायुमंडल में लगभग सात दशमलव दो गुणे एक सौ छह एमओएल प्रति वर्ष है। इस संदर्भ में वैज्ञानिक पत्रिका एनवायरमेंटल साइंस एंड पॉल्यूशन रिसर्च में एक अध्ययन भी प्रकाशित किया गया है।वैज्ञानिकों की टीम ने गढ़वाल में हिमालय के प्रमुख फाल्ट क्षेत्रों से 20 गर्म पानी के इन सोतों से एकत्र किए गए पानी के नमूनों का विस्तृत रासायनिक और आइसोटोप विश्लेषण किया। वैज्ञानिकों ने इसके आकड़ों का बारीकी से अध्ययन भी करके इनकी स्थितियों और निकलने वाले कार्बन का सूक्ष्मता से अध्ययन किया है।टीम द्वारा किए गए सिमुलेशन अध्ययनों से पता चलता है कि इन सोतों में प्रति वर्ष जल से वायुमंडल में बड़े पैमाने पर कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन की क्षमता है। इस अध्ययन से हिमालय क्षेत्र के गर्म पानी के सोतों से प्रति वर्ष वायुमंडल में उत्सर्जित होने वाली कार्बन डाइऑक्साइड गैस की मात्रा का अनुमान लगाना आसान हो जाता है।