खोज / पुरातत्वविदों ने मिस्र में कैसे की 3000 साल पुराने 'खो चुके सुनहरे शहर' की खोज?

मिस्र ने गुरुवार को एक 3,000-साल पुराने 'खो चुके सुनहरे शहर' की खोज की घोषणा की जिसमें से मिट्टी के ईंटों से बने मकान, कलाकृतियां और औज़ार मिले। पुरातत्वविदों को राजा तूतनखामुन का शवदाह मंदिर ढूंढने के दौरान यह 'शहर' मिला जिसे एक सदी पहले मिले राजा तूतनखामुन के मकबरे के बाद की सबसे महत्वपूर्ण खोज बताई जा रही है।

Vikrant Shekhawat : Apr 12, 2021, 08:33 AM
मिस्र: मिस्र के पुरातत्वविदों ने एक 3000 साल पुराने खोए हुए शहर का पता लगाया है. ये शहर मिट्टी के ईंट के घरों, कलाकृतियों और पुरातन काल के औजारों से भरा हुआ है. मशहूर मिस्र विशेषज्ञ जाही हवास ने गुरुवार को बताया कि लक्सर के करीब एक 'खोया हुआ सोने का शहर' को खोजा गया है. ये शहर प्राचीन मिस्र के सुनहरे दौर जितना पुराना है और एमेनोटेप तृतीय और तूतनखामेन के शासनकाल के दौरान भी मौजूद था.

जाही हवास ने कहा कि कई विदेशी मिशनों ने इस शहर को ढूंढ़ने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें सफलता हासिल नहीं हुई. नील नदी के पश्चिमी तट पर बसा ये शहर एक समय में फैरोनिक साम्राज्य का सबसे बड़ा प्रशासनिक और औद्योगिक शहर हुआ करता था. पिछले साल पुरातत्वविद राजा तूतनखामेन के मंदिर को ढूंढ़ रहे थे. लेकिन उन्होंने इस शहर को खोज निकाला.

जाही हवास की टीम के बयान के मुताबिक, ये शहर रेत के नीचे दफन हो गया था और इसकी मिलना तूतनखामेन के मकबरे की खोज के बाद दूसरी सबसे बड़ी खोज है. शहर में मिले पुरातात्विक परतों को हजारों वर्षों तक किसी ने नहीं छूआ है. इसे देखकर ऐसा लग रहा है कि इस शहर को प्राचीन निवासियों द्वारा कल ही छोड़ दिया गया हो.

इस शहर की खोज लक्सर में नील नदी के पश्चिमी तट पर हुई है. ये शहर किंग रमेस तृतीय के मंदिर और अमेनहोटेप तृतीय के मंदिर के बीच में स्थित है. इस शहर का प्रयोग अमेनहोटेप तृतीय के पोते तूतनखामेन और उसके बाद उसके उत्तराधिकारी राजा अय द्वारा किया जाता रहा.

जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय में मिस्र विशेषज्ञता के प्रोफेसर बेस्टी ब्रायन ने कहा कि तूतनखामेन की कब्र के बाद से खोए शहर की खोज दूसरी सबसे महत्वपूर्ण पुरातत्व खोज है. 1922 में किंग्स की घाटी में तूतनखामेन की कब्र की खोज हुई और इसने मिस्र के प्राचीन इतिहास में लोगों की दिलचस्पी बढ़ा दी.

पुरातत्वविदों को शहर से शराब के बर्तन, अंगूठियां, दुपट्टे, रंगीन मिट्टी के बर्तन और कताई और बुनाई के उपकरण भी मिले हैं. कुछ मिट्टी की ईंटों पर राजा अमेनहोटेप तृतीय के नाम की मोहरें लगी हुई हैं. अमेनहोटेप तृतीय ने विरासत में ऐसा साम्राज्य पाया था जो यूफरेट्स से सूडान तक फैला था.