आंध्र प्रदेश / कितनी संपत्ति है तिरुपति तिरुमला ट्रस्ट के पास, जिसे नीलाम करने की बात पर मचा बवाल

तिरुपति बालाजी मंदिर की संपत्तियां बेचने के नाम पर बड़ा विवाद हुआ। मंदिर की देखरेख कर रहे तिरुमला तिरुपति देवस्थानम ट्रस्ट ने मंदिर को दान में मिली 23 संपत्तियां नीलाम करने का फैसला लिया। ये फैसला मंदिर की देखरेख के नाम पर ही लिया गया। हालांकि इसके बाद से पूरे प्रदेश में बवाल मचा हुआ है। विपक्षी दलों का मानना है कि सीएम वाई एस जगनमोहन रेड्डी का इसमें कहीं न कहीं हाथ है।

News18 : May 26, 2020, 05:55 PM
आंध्र प्रदेश: के तिरुपति बालाजी मंदिर की संपत्तियां बेचने के नाम पर बड़ा विवाद हुआ। मंदिर की देखरेख कर रहे तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (Tirumala Tirupati Devasthanams) ट्रस्ट ने मंदिर को दान में मिली 23 संपत्तियां नीलाम करने का फैसला लिया। ये फैसला मंदिर की देखरेख के नाम पर ही लिया गया। हालांकि इसके बाद से पूरे प्रदेश में बवाल मचा हुआ है। विपक्षी दलों का मानना है कि सीएम वाई एस जगनमोहन रेड्डी (YS Jaganmohan Reddy) का इसमें कहीं न कहीं हाथ है। बड़े फसाद के बाद संपत्तियां बेचने पर फिलहाल के लिए रोक लग गई। इस बीच ये जानना दिलचस्प रहेगा कि जिस मंदिर को लेकर इतना घमासान मचा हुआ है, उसके पास आखिर कितनी दौलत है।

मंदिर की संपत्ति का ब्यौरा

देश के सबसे प्रतिष्ठित और अमीर मंदिरों में तिरुमला तिरुपति बालाजी का नाम आता है। आंध्रप्रदेश में तिरुमला के पहाड़ों पर स्थित इस मंदिर को व्यंकटेश्वर स्वामी मंदिर भी कहते हैं। इसमें हर दिन और पूरे साल चढ़ावा आने के पीछे एक कहानी है। कहा जाता है कि बालाजी ने पद्मावती से अपनी शादी के लिए कुबेर देवता से 11।4 अरब कीमत के सोने के सिक्के और भारी रकम उधार ली। भगवान बालाजी के इसी कर्ज को उतारने के लिए दुनियाभर से आस्तिक यहां आकर चल और अचल संपत्ति चढ़ाते हैं। इंडिया।कॉम की रिपोर्ट के मुताबिक यहां सवा 2 करोड़ चढ़ावा हर दिन आता है। हर दिन यहां लगभग 1 लाख से ज्यादा आस्तिक आते हैं और त्यौहारों पर संख्या और बढ़ जाती है। संपत्ति के चढ़ावे की बात छोड़ दें तो भी यहां श्रद्धालु केश (बाल) दान करते हैं, इन्हें बेचने पर हर साल करोड़ों की कमाई होती है।

कितना सोना आता है चढ़ावे में

माना जाता है कि तिरुमला तिरुपति देवस्थानम के पास 9,000 किलोग्राम शुद्ध सोना जमा है। खुद ट्रस्ट ने बताया था कि उसके पास दान में आया 7,235 किलो सोना देश के दो बैंकों में जमा रखा है। इसके अलावा 1,934 किलो सोना खजाने में रखा हुआ है। रोज आने वाले भक्त यहां सोना, चांदी, कैश, जमीन के कागजों के अलावा डी मैट शेयर भी चढ़ावे में रखते हैं। मंदिर को हुंडी यानी दान पात्र में ही हर साल 1,000 से लेकर 1200 करोड़ तक का चढ़ावा आता है। द न्यूज मिनट की एक रिपोर्ट के अनुसार तिरुपति मंदिर ने अलग-अलग बैंकों में 12,000 से ज्यादा रुपए फिक्स डिपॉजिट में रखे हुए हैं। इसके अलावा बैंकों में रखे सोने से भी मंदिर को ब्याज में 100 किलो से ज्यादा सोना हर साल मिलता है।

इतना अमीर मंदिर क्यों प्रॉपर्टी बेचना चाहता है?

कोरोना संक्रमण को देखते हुए लगाए गए लॉकडाउन के असर से मंदिर भी अछूता नहीं। अपने सदियों पुराने इतिहास में मंदिर पहली बार बंद हुआ और पिछले कई महीनों से बंद पड़ा है। मंदिर के आसपास के मंदिर जिन्हें इसकी शाखाएं कहा जा सकता है, वे भी पूरी तरह से बंद हैं। रोज मिलने वाला चढ़ावा बंद होने की वजह से पिछले महीने के आखिर में वहां के 1,300 कर्मचारियों का कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू नहीं किया गया। माना जा रहा है कि पैसों की कमी के कारण मंदिर की व्यवस्था बदहाल हो रही है। इसी व्यवस्था को सुधारने के लिए मंदिर की 23 संपत्तियां बेचने की बात आई। विपक्षी पार्टी से विवाद में ट्रस्ट के चेयरमैन वाई वी सुब्बारेड्डी ने कहा कि मंदिर के पास दूर-दराज और दूसरे राज्यों में भी दान में मिली जमीनें हैं। दूर से उनकी देखभाल नहीं हो पाती और ऐसे में कोई भी उनपर कब्जा कर सकता है। इसी वजह से उन्हें बेचने की बात आई। ट्रस्ट का कहना है कि इससे 100 करोड़ रुपये की आमदनी हो सकती है जो इस मुश्किल वक्त में मंदिर के काम आएगी।

वैसे तिरुपति के अलावा और भी कई मंदिर हैं, जिनकी चल-अचल संपत्ति काफी मानी जाती है:

केरल के तिरुवनंतपुरम में मौजूद पद्मनाभ स्वामी देश के सबसे अमीर मंदिरों में से एक माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इसकी 6 तिजोरियों में 20 अरब डॉलर की कुल संपत्ति मौजूद है। जबकि यहां मौजूद महाविष्णु भगवान की मूर्ति पूरी सोने की है। इसकी कुल कीमत 500 करोड़ रुपए बताई जाती है।

महाराष्ट्र के अहमद नगर में मौजूद शिरडी साई बाबा मंदिर की काफी लोकप्रियता है। हर साल लाखों लोग यहां दर्शन के लिए देश-विदेश से आते हैं। शिरडी साई संस्थान की रिपोर्ट के मुताबिक 480 करोड़ रुपए सालाना दान-दक्षिणा से मंदिर को मिलता है।

जम्मू में माता वैष्णो देवी की मान्यता काफी ज्यादा है। पूरे साल हजारों लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। एक अनुमान के मुताबिक करीब 80 लाख लोग सालाना वैष्णो देवी के दर्शन करते हैं। टूर माय इंडिया।कॉम के मुताबिक 500 करोड़ रुपए सालाना यहां के श्राइन बोर्ड को भक्तों के चंदे से मिलते हैं।

मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर बेहद लोकप्रिय है। यहां हर आम, खास और सेलेब्रिटी दर्शन के लिए आता है। आमतौर पर 25 हजार लोग रोजाना इस मंदिर के दर्शन करते हैं। जबकि गणेश चतुर्थी पर यहां आने वालों की संख्या लाखों तक पहुंच जाती है। edtimes के मुताबिक सालाना इस मंदिर को श्रद्धालुओं के दान से करीब 75 से 125 करोड़ रुपए मिलते हैं।

तिरुपति मंदिर के अलावा देश में और भी कई मंदिर हैं, जिनकी चल-अचल संपत्ति काफी मानी जाती है

सिख समुदाय के लिए अमृतसर में स्थित स्वर्ण मंदिर सबसे ज्यादा पवित्र है। यहां पूरे देश और विदेशों से श्रद्धालु बाबा का आशीर्वाद लेने आते हैं। एक आंकड़े के मुताबिक रोजाना 75 हजार लोग इसका दर्शन करते हैं। ट्रिब्यून अखबार के मुताबिक सालाना यहां 75 करोड़ रुपए दान और डोनेशन से मिलते हैं।


दक्षिण के मंदिरों में मदुरई के मीनाक्षी मंदिर की अपनी खास मान्यता है। रोजाना 20-30 हजार लोग इस मंदिर के दर्शन करते हैं। टूर माय इंडिया वेबसाइट के मुताबिक दान के जरिए यहां की सालाना कमाई 6 करोड़ रुपए है।

ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ पूरी मंदिर की पूरे देश में काफी मान्यता है। यहां की रथ यात्रा पूरी दुनिया में लोकप्रिय है। इस दौरान लाखों की संख्या में लोग पुरी पहुंचते हैं। अनुमान के मुताबिक 30 हजार लोग रोजाना और त्योहार में 70 हजार लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। डेली हंट की एक खबर के मुताबिक दान और दक्षिणा के जरिए यहां होने वाली कमाई 50 करोड़ रुपए सालाना है।

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव के सबसे प्राचीन और मान्यता प्राप्त मंदिरों में से एक है। लाखों लोग यहां दर्शन के लिए सालभर में आते हैं। खासकर सावन के महीने में यहां दर्शन के लिए लंबी-लंबी लाइनें लगती हैं। टूर माय इंडिया वेबसाइट के मुताबिक 4 से 5 करोड़ रुपए इस मंदिर को श्रद्धालुओं के दान से मिलते हैं।

केरल का ही सबरीमला मंदिर देश के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। एक एक दिन में यहां लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं और दान देकर जाते हैं। साल भर में यहां दान के जरिए 230 करोड़ रुपए मंदिर को मिलते हैं। ये मंदिर अपनी प्राचीन मान्यता और शक्ति के लिए लोगों में प्रसिद्ध हैं।