Rajasthan Government / राजस्थान सरकार का बड़ा ऐलान, राज्य भर में बड़े मंदिरों के प्रसाद की होगी जांच

तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट को लेकर चल रहे विवाद के बीच राजस्थान सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। यहां राजस्थान सरकार ने राज्य के बड़े मंदिरों के प्रसाद की जांच करने के आदेश दिए हैं। इस आदेश के तहत राजस्थान में बड़े मंदिरों के प्रसाद की जांच की जाएगी। भजनलाल सरकार ने मंदिरों के प्रसाद की जांच के आदेश दिए हैं।

Vikrant Shekhawat : Sep 21, 2024, 01:30 PM
Rajasthan Government: तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट को लेकर चल रहे विवाद के बीच राजस्थान सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। यहां राजस्थान सरकार ने राज्य के बड़े मंदिरों के प्रसाद की जांच करने के आदेश दिए हैं। इस आदेश के तहत राजस्थान में बड़े मंदिरों के प्रसाद की जांच की जाएगी। भजनलाल सरकार ने मंदिरों के प्रसाद की जांच के आदेश दिए हैं। सरकार के आदेशानुसार 23 से 26 सितंबर के बीच ये जांच पूरी की जानी है। बता दें कि 14 मंदिरों के पास सर्टिफिकेट है। ऐसे में आदेश के बाद अब बड़े मंदिरों के प्रसाद की जांच का अभियान शुरू किया जाएगा।

क्या है तिरुपति मंदिर के प्रसाद का विवाद

बता दें कि दुनिया के सबसे धनवान मंदिरों में से एक तिरुपति बालाजी मंदिर में करोड़ों हिंदुओं के धर्म को खंडित करने की कथित साजिश के खुलासे के बाद हाहाकार मचा है। तिरुपति मंदिर में प्रसाद के रूप में भक्तों को दिए जाने वाले लड्डुओं में जानवरों की चर्बी और फिश ऑयल होने की पुष्टि हुई है। इस खुलासे के बाद दक्षिण से लेकर उत्तर तक हर कोई सन्न है। तिरुपति बालाजी मंदिर के एक्जीक्यूटिव ऑफिसर शामला राव ने भी माना है कि मंदिर की पवित्रता भंग हुई है। शामला राव ने आरोप लगाया कि पिछली सरकार ने मिलावट की जांच के लिए कोई कदम नहीं उठाए थे। उन्होंने कहा कि प्रसाद में मिलावटी घी की एक बड़ी वजह उसका रेट भी है।

आरोपों को आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम ने नकारा

हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने शुक्रवार को पहली बार प्रतिक्रिया देते हुए चंद्रबाबू नायडू के आरोपों को सिरे से नकार दिया है। उन्होंने कहा कि मंदिर के प्रसाद में मिलावटी घी का इस्तेमाल कभी नहीं हुआ, चन्द्रबाबू नायडू सिर्फ लोगों को भड़काने कर अपना राजनीतिक हित साध रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘लोगों का ध्यान भटकाने के लिए चंद्रबाबू नायडू ने ये झूठ फैलाया। वो इतना नीचे गिर गए कि उन्होंने मंदिर की प्रतिष्ठा को भी नुकसान पहुंचाया। यहां जो कुछ भी हो असल में वो मंदिर की रूटीन प्रैक्टिस का हिस्सा है जिसको राजनीतिक फायदे के लिए गलत तरीके से पेश किया गया।’