Income Tax / मैं हूं इनकम टैक्स सिस्टम... ऐसे बदलता गया 1860 से मेरा नियम

1 फरवरी 2025 को आम बजट पेश होगा। हर बार की तरह इस बार भी इनकम टैक्स पर छूट का सवाल अहम है। भारत में आयकर की शुरुआत 1860 में ब्रिटिश अफसर जेम्स विल्सन ने की थी। तब से टैक्स सिस्टम लगातार बदला है। वर्तमान में टैक्स स्लैब काफी सरल और डिजिटल हो गया है।

Vikrant Shekhawat : Jan 10, 2025, 01:00 PM

Income Tax: देश का आम बजट 1 फरवरी 2025 को पेश होने वाला है। बजट की घोषणा के साथ ही आम नागरिकों के मन में एक प्रमुख सवाल उठता है: क्या इस बार इनकम टैक्स में छूट मिलेगी? किसी भी देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए राजस्व एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यही कारण है कि टैक्स सिस्टम को लागू किया गया। भारत में इनकम टैक्स का इतिहास 165 साल पुराना है और यह समय-समय पर बदलावों के साथ विकसित होता गया है। आइए भारत में इनकम टैक्स सिस्टम की ऐतिहासिक यात्रा पर नजर डालते हैं।

भारत में इनकम टैक्स की शुरुआत कैसे हुई?

भारत में आयकर की शुरुआत 1860 में ब्रिटिश अधिकारी जेम्स विल्सन द्वारा की गई। इसका मुख्य उद्देश्य 1857 के विद्रोह से हुए नुकसान की भरपाई करना था। प्रारंभिक दौर में जिनकी सालाना आय 200 रुपये से कम थी, उन्हें टैक्स नहीं देना पड़ता था। वहीं 200-500 रुपये की आय पर 2% टैक्स और 500 रुपये से अधिक की आय पर 4% टैक्स लगाया गया था। सेना और पुलिस के अधिकारियों को टैक्स में छूट दी गई थी। इसके बाद इनकम टैक्स लॉ में कई बदलाव किए गए। 1886 में एक नया इनकम टैक्स एक्ट पारित हुआ। 1961 में इसे पुनः संशोधित कर 1 अप्रैल 1962 से पूरे भारत में लागू किया गया। तब से हर साल बजट में इस कानून में बदलाव किए जाते रहे हैं।

इनकम टैक्स सिस्टम का टाइमलाइन

वर्ष                        घटना
1860जेम्स विल्सन ने भारत में इनकम टैक्स की शुरुआत की।
1922इनकम टैक्स को पूरी तरह से लागू किया गया।
1924सेंट्रल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू का गठन किया गया।
1946ग्रुप A के अधिकारियों की भर्ती शुरू की गई।
1981इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में कंप्यूटराइजेशन की शुरुआत हुई।
2009इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नई वेबसाइट लॉन्च की गई।
2014सेंट्रल प्रोसेसिंग सेंटर (CPC) बेंगलुरु में स्थापित किया गया।
2020नया ई-फाइलिंग पोर्टल लॉन्च किया गया।
2021विवाद से विश्वास योजना शुरू की गई।

आईटीआर फाइल करने वालों की संख्या में वृद्धि

समय के साथ लोगों में टैक्स भरने की प्रवृत्ति बढ़ी है। इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) फाइल करने वालों की संख्या लगातार बढ़ती रही है। वित्त वर्ष 2019-20 में 6.48 करोड़ लोगों ने आईटीआर फाइल किया था। 2020-21 में यह संख्या 6.72 करोड़ तक पहुंची। 2021-22 में यह आंकड़ा 6.94 करोड़ हो गया और 2022-23 में 7.40 करोड़ तक पहुंच गया। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत का इनकम टैक्स सिस्टम समय के साथ अधिक प्रभावी और सरल हो गया है।

आजादी के समय का टैक्स स्लैब बनाम वर्तमान टैक्स स्लैब

आजादी के बाद भारत में इनकम टैक्स सिस्टम काफी सरल था। पहली बार 1947 के बाद तत्कालीन वित्त मंत्री जॉन मथाई ने टैक्स स्लैब में बदलाव किया। उस समय टैक्स स्लैब कुछ इस प्रकार था:

  • 1,500 रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं था।

  • 1,501 रुपये से 5,000 रुपये तक की आय पर 1 आना (1/16 रुपये) टैक्स लगता था।

  • 5,001 रुपये से 10,000 रुपये तक की आय पर 2 आना टैक्स लगता था।

  • 10,001 रुपये से 15,000 रुपये तक की आय पर 3 आना टैक्स।

  • 15,000 रुपये से अधिक की आय पर 5 आना टैक्स।

इस प्रणाली में टैक्स की दरें और स्लैब काफी जटिल थे। 1974, 1985 और 1997 में बड़े सुधार किए गए। 2010 में आयकर स्लैब में एक महत्वपूर्ण बदलाव किया गया, जिसमें 1.6 लाख रुपये तक की आय को टैक्स फ्री किया गया। 2017 में इसे बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर दिया गया, जिससे बड़ी संख्या में लोग टैक्स के दायरे से बाहर हो गए।

वर्तमान इनकम टैक्स स्लैब (2025)

वर्तमान में इनकम टैक्स स्लैब इस प्रकार है:

  • 3 लाख रुपये तक की आय पर कोई टैक्स नहीं।

  • 3 लाख रुपये से 7 लाख रुपये तक की आय पर 5% टैक्स।

  • 7 लाख रुपये से 10 लाख रुपये तक की आय पर 10% टैक्स।

  • 10 लाख रुपये से 12 लाख रुपये तक की आय पर 15% टैक्स।

  • 12 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक की आय पर 20% टैक्स।

  • 15 लाख रुपये से अधिक आय पर 30% टैक्स।

निष्कर्ष

भारत का इनकम टैक्स सिस्टम समय के साथ-साथ बदलता और बेहतर होता गया है। यह देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। समय के साथ इसमें कई सुधार हुए हैं, जिससे आम नागरिकों को टैक्स भरने की प्रक्रिया आसान और पारदर्शी लगी। अब सभी की नजरें 1 फरवरी 2025 को पेश होने वाले बजट पर टिकी हैं, जिसमें नई कर नीतियों की घोषणा की जाएगी। देखना होगा कि क्या इस बार आम जनता को इनकम टैक्स में कोई राहत मिलेगी या नहीं।