ICAI Tax Reform: भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (ICAI) ने लोकसभा की प्रवर समिति (Select Committee) को नए इनकम टैक्स बिल में अहम बदलावों का सुझाव दिया है। गुरुवार को दिए गए इन सुझावों में बिल की जटिलता को कम करने और इसे अधिक व्यावहारिक बनाने पर जोर दिया गया है। भाजपा सांसद बैजयंत पांडा की अध्यक्षता वाली 31 सदस्यीय समिति को संसद के अगले अधिवेशन के पहले दिन अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
महत्वपूर्ण सुझाव और संशोधन
ICAI के अध्यक्ष चरणजोत सिंह नंदा ने बताया कि संस्था ने प्रस्तावित विधेयक में 90 से 100 धाराओं की कटौती करने का सुझाव दिया है। वर्तमान में, नए इनकम टैक्स बिल में कुल 536 धाराएं शामिल हैं। ICAI ने इसके अलावा, टैक्स से संबंधित मुकदमों को कम करने और विधेयक की भाषा को अधिक सरल बनाने के सुझाव भी दिए हैं।
संस्थान का मानना है कि सरल भाषा और कम धाराओं वाला कानून करदाताओं और व्यावसायिक समुदाय के लिए अधिक उपयोगी और प्रभावी होगा। चरणजोत सिंह नंदा ने कहा, "हम इनकम टैक्स कानून को प्रभावी बनाने के लिए सरकार का समर्थन करना चाहते हैं।"
नए इनकम टैक्स बिल की पृष्ठभूमि
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 13 फरवरी को लोकसभा में नया इनकम टैक्स बिल पेश किया था, जिसे 7 फरवरी को कैबिनेट से मंजूरी मिली थी। यह विधेयक भारतीय कर प्रणाली को अधिक व्यवस्थित और पारदर्शी बनाने का एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
वर्तमान में भारत में इनकम टैक्स एक्ट, 1961 लागू है, लेकिन नया बिल पास होने के बाद यह इनकम टैक्स एक्ट, 2025 के रूप में लागू होगा और 1961 के कानून की जगह ले लेगा। इस नए कानून का उद्देश्य कर अनुपालन को सुगम बनाना, व्याख्याओं में स्पष्टता लाना और अनावश्यक मुकदमों को कम करना है।
ICAI का दृष्टिकोण
ICAI द्वारा दिए गए सुझाव करदाताओं की सुविधा और सरकार की राजस्व वसूली को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं। संस्था का मानना है कि जटिल कानून न केवल अनुपालन लागत बढ़ाते हैं बल्कि न्यायिक प्रणाली पर भी बोझ डालते हैं। इसलिए, एक सरल और स्पष्ट कानून सभी पक्षों के लिए लाभकारी होगा।
अगले कदम
लोकसभा की प्रवर समिति ICAI के सुझावों की समीक्षा करने के बाद अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगी। इसके बाद, सरकार संसद में संशोधित बिल पेश कर सकती है। यदि सुझाए गए बदलाव स्वीकार किए जाते हैं, तो यह भारतीय कर प्रणाली के लिए एक महत्वपूर्ण सुधार साबित हो सकता है।
निष्कर्ष: ICAI द्वारा सुझाए गए बदलाव यदि विधेयक में शामिल किए जाते हैं, तो यह भारत के करदाताओं और व्यापारिक समुदाय के लिए एक स्वागत योग्य कदम होगा। सरल भाषा, कम धाराएं और विवाद निवारण के नए उपाय कर अनुपालन को सुगम बनाएंगे और न्यायिक बोझ को भी कम करेंगे।