पानीपत / नहीं कराई स्कूल फीस जमा तो, 3 घंटे तक बच्चों को बंधक बनाकर रखा, हंगामें के बाद छोड़ा

पानीपत जिले में निजी स्कूल संचालक अब वार्षिक शुल्क और परिवहन शुल्क की वसूली के लिए गुंडागर्दी पर उतर आए हैं। यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि माता-पिता ने यह आरोप लगाया है। आरोप है कि वार्षिक शुल्क और परिवहन शुल्क जमा नहीं करने के कारण स्कूल प्रबंधन ने भूखे-प्यासे बच्चों को बंधक बना लिया। जब बच्चे समय पर घर नहीं पहुंचे, तो माता-पिता चिंतित थे। जब वह स्कूल पहुंचा, तो उसे इस कार्रवाई के बारे में पता चला।

Vikrant Shekhawat : Mar 07, 2021, 05:00 PM
पानीपत। पानीपत जिले में निजी स्कूल संचालक अब वार्षिक शुल्क और परिवहन शुल्क की वसूली के लिए गुंडागर्दी पर उतर आए हैं। यह हम नहीं कह रहे हैं, बल्कि माता-पिता ने यह आरोप लगाया है। आरोप है कि वार्षिक शुल्क और परिवहन शुल्क जमा नहीं करने के कारण स्कूल प्रबंधन ने भूखे-प्यासे बच्चों को बंधक बना लिया। जब बच्चे समय पर घर नहीं पहुंचे, तो माता-पिता चिंतित थे। जब वह स्कूल पहुंचा, तो उसे इस कार्रवाई के बारे में पता चला।

मामला समालखा के चुलकाना रोड स्थित डीएवी सेनेटरी स्कूल से जुड़ा है, जहां बच्चों के समय पर घर नहीं पहुंचने के कारण संबंधित अभिभावक स्कूल पहुंचे। यहां पाया गया कि बच्चों को वार्षिक शुल्क और परिवहन शुल्क के लिए बंधक बनाकर रखा गया है। उसके बाद अभिभावक ने बाकी अभिभावकों को सूचित किया और सभी बच्चों के माता-पिता को मौके पर बुलाया। फिर बच्चों को स्कूल प्रबंधन से मुक्त कराया गया। अभिभावकों का कहना है कि स्कूल प्रबंधन ने बच्चों को लगभग 3 घंटे तक कैद रखा, जबकि उन्होंने सारी फीस जमा कर दी है।

अभिभावकों ने आरोप लगाया कि स्कूल प्रबंधन परिवहन के साथ वार्षिक शुल्क की वसूली के लिए दबाव बना रहा है। वहीं, जब स्कूल के प्रिंसिपल से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने सभी आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने कहा कि हमने बच्चों को बंधक नहीं बनाया है, बल्कि एक सूची तैयार की है और सभी अभिभावकों को फीस जमा करने का संदेश दिया है। लेकिन उसके बावजूद, अभिभावकों द्वारा फीस जमा नहीं की गई, जिसके कारण स्कूल के लगभग 50% छात्रों की फीस लंबित है।

हालांकि, अभिभावकों ने अपने बच्चों को स्कूल प्रबंधन से मुक्त कर दिया है, लेकिन आरोपों में कितनी सच्चाई है यह जांच का विषय है। लेकिन अगर आरोपों में सच्चाई है, तो यह बहुत गंभीर मामला है। बता दें कि इससे पहले भी कई प्राइवेट स्कूलों में सालाना फीस को लेकर हंगामा हो चुका है।