Vikrant Shekhawat : Oct 21, 2024, 11:46 AM
Haryana Politics: हरियाणा की नई सरकार के गठन के बाद मंत्रिमंडल में विभागों का बंटवारा हो चुका है, लेकिन इस बंटवारे में पूर्व गृह मंत्री अनिल विज के साथ एक अप्रत्याशित खेल हो गया है। विज, जो मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार माने जा रहे थे, न केवल इस पद से वंचित रहे बल्कि उन्हें उनका पुराना गृह मंत्रालय भी नहीं मिला। इसके बजाय मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने गृह मंत्रालय अपने पास रखा है, जबकि विज को परिवहन, श्रम और ऊर्जा मंत्रालय सौंपा गया है।अनिल विज, जो पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार में गृह मंत्री थे, ने हाल ही में अपनी मुख्यमंत्री पद की महत्वाकांक्षा खुलकर जाहिर की थी। खट्टर के इस्तीफे के बाद विज ने वरिष्ठता के आधार पर मुख्यमंत्री बनने की उम्मीद जताई थी, लेकिन पार्टी हाईकमान ने नायब सिंह सैनी को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया, जिससे विज नाराज हो गए। विज ने विधायक दल की बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया और नाराजगी जताते हुए गृह मंत्रालय छोड़ दिया।विज की नाराजगी कोई नई बात नहीं है। उन्होंने कई बार अपनी मुख्यमंत्री बनने की इच्छा को सार्वजनिक किया है। चुनाव से पहले भी जब उनसे इस पर सवाल किया गया था, तो उन्होंने कहा था कि वे पार्टी में सबसे वरिष्ठ हैं और अगर हाईकमान चाहेगा, तो अगली बैठक मुख्यमंत्री आवास पर होगी। हालांकि, बीजेपी हाईकमान ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेरते हुए सैनी को फिर से मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी सौंप दी।8 अक्टूबर को हरियाणा चुनाव के नतीजे आए और बीजेपी को राज्य में ऐतिहासिक जीत हासिल हुई। पार्टी ने राज्य में लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी की, जो उसकी बड़ी जीत थी। बीजेपी ने 48 सीटें हासिल कीं, जिससे राज्य में पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनी। इसके बाद विधायक दल की बैठक में सर्वसम्मति से नायब सिंह सैनी को विधायक दल का नेता चुना गया और उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी गई।विज के साथ हुए इस "खेल" ने राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है। हालांकि उन्हें तीन महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन गृह मंत्रालय उनसे छिनना उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर सीधा प्रहार माना जा रहा है।