Vikrant Shekhawat : Jun 18, 2020, 10:21 PM
नई दिल्ली | कमांडर स्तर की बैठक में भारत ने चीन को एक बार फिर साफ कर दिया कि गलवन घाटी में सोमवार से पहले की स्थिति बहाली के अलावा मौजूदा तनाव घटाने का चीन को दूसरा कोई विकल्प नहीं दिया जाएगा। इसी बीच चीन ने गुरुवार को दोनों देशों के सैन्य कमांडर स्तर पर हुई बैठक में गलवन इलाके से पीछे हटने से पर सहमति नहीं दी है। भारतीय सेना ने भी तैनाती बढ़ा दी है और कई गांव खाली करवा लिए हैं। इसी बीच भारतीय सेना ने भी साफ किया है कि भारत का कोई भी सैनिक पूर्वी लद्दाख के गलवन घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प के बाद लापता नहीं है। भारत ने चीन को फिर से बिल्कुल दो टूक अंदाज में कह दिया है कि संप्रभुता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि भारत शांति का पक्षधर है, लेकिन क्षेत्रीय अखंडता को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।
क्षेत्रीय अखंडता सर्वोच्च प्राथमिकता: विदेश मंत्रालय
विदेश मंत्रालय ने वंदे भारत मिशन को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी जिसमें चीन के साथ जारी विवाद पर सवालों की बौछार हो गई। इन सवालों पर मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'हम सीमाई इलाकों में शांति और सौहार्द का माहौल बनाए रखने की जरूरत अच्छी तरह समझते हैं। साथ ही हम बातचीत के जरिए मतभेदों को सुलझाने के पक्षधर हैं। हालांकि, जैसा कि प्रधानमंत्री ने कल (बुधवार को) कहा, हम भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने को लेकर बेहद प्रतिबद्ध हैं।'छह घंटे चली मेजर जनरल लेवल की मीटिंग
उन्होंने आगे कहा, 'उम्मीद करते हैं कि चीन अपनी गतिविधियां अपनी सीमा के अंदर सीमित रखेगी।' श्रीवास्तव ने बताया कि भारत और चीन के बीच संपर्क अभी टूटा नहीं है और अलग-अलग स्तर पर बातचीत जारी है। इसी के तहत, दोनों देशों के बीच गुरुवार को भी मेजर जनरल लेवल की मीटिंग हुई। पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध के शांतिपूर्ण समाधान का रास्ता तलाशने के लिए दोनों पक्षों की यह मीटिंग छह घंटे तक चली। दोनों पक्ष बुधवार को भी मिले थे, लेकिन उस मीटिंग में किसी परिणाम तक नहीं पहुंचा जा सका था। लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गहराए तनाव के बीच गुरूवार को भी भारतीय सेना ने अग्रिम मोर्चो पर अपनी तैनाती और बढ़ा दी है। लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों के कई गांवों को खाली कराया जा रहा है तो चीन से लगी सभी सीमाओं के अग्रिम मोर्चो पर फौज की तैनाती बढ़ायी जा रही है। वहीं चीनी सेना अब भी गलवन घाटी में संघर्ष के इलाके से पीछे हटने को तैयार नहीं है। सेना ने अग्रिम मोर्चे पर ज्यादा मजबूत किया
गलवन घाटी पर जबरन धूर्तता से चीनी दावे की हवा निकालने के लिए ही भारतीय सेना ने हिंसक झड़प के मोर्चे पर अपनी तैनाती को और ज्यादा मजबूत कर दिया है। भारत के इस कठोर रुख के कारण ही गुरूवार को हुई तीसरी बैठक में कोई परिणाम नहीं निकला। हालांकि बैठक के नतीजों को लेकर दोनों पक्षों की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया। सेना के प्रवक्ता की ओर से केवल अमेरिकी अखबार में गलवन घाटी की झड़प के बाद कुछ भारतीय सैनिकों के अब भी लापता होने से जुड़ी खबरों के खंडन का आधिकारिक बयान जारी किया गया। गलवन घाटी में सेना के दर्जनों ट्रक अपने जरूरी संसाधनों के साथ हैं खड़े
भारत-चीन के सैन्य कमांडर स्तर की बैठक गुरुवार को भी गलवन घाटी के पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 के करीब ही हुई, जहां सोमवार की रात भीषण हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। सामरिक सूत्रों ने फिर बताया कि चीन भले इस घटना में अपने हताहतों की संख्या का खुलासा नहीं कर रहा, मगर उसके करीब 45 सैनिक हताहत हुए हैं जिसमें मरने वाले और घायल दोनों शामिल हैं। गलवन घाटी की घटना के बाद भारतीय फौज ने यहां पर अपने सैनिकों का जमावड़ा बढ़ा दिया है। इतना ही नहीं, इस जगह से करीब दो-तीन किलोमीटर दूर सेना के दर्जनों ट्रक अपने जरूरी संसाधनों के साथ खड़े हैं। वहीं चीन ने भी गलवन घाटी से एक किलोमीटर दूर एलएसी के पार अपने इलाके में सैन्य वाहनों और सैनिकों का जमावड़ा कर रखा है। निहत्थे सैनिक के सवाल पर राहुल को जयशंकर का जवाब
भारतीय जवानों की शहादत पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दावा किया कि ये सैनिक निहत्थे चीनी सैनिकों के आगे भेजे गए थे। इस पर विदेश मंत्री एस. जयंशकर ने बताया कि बॉर्डर ड्यूटी में तैनात हर सैनिक हथियारों से लैस रहता है। जयशंकर ने कहा कि 15 जून को भी भारतीय सैनिक हथियार के साथ मौके पर गए थे, लेकिन गोलीबारी नहीं करने की लंबी परंपरा का पालन करते हुए उन्होंने इनका इस्तेमाल नहीं किया था।चीनी सैनिकों के एलएसी के उस पार जाने की शर्त पर अडिग है भारतीय सेना
सोमवार रात की घटना के बाद चीन के ऐसे किसी मंसूबे को नाकाम करने के लिए ही भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को अपने अस्थायी टेंट उखाड़ कर बाहर गलवन घाटी से एलएसी के उस पार जाने की पहली शर्त पर अडिग है। सामरिक सूत्रों के अनुसार चीनी सेना तनाव घटाने के उपायों की बजाय अब भी अपनी धूर्तता के कई रंग दिखा रही है और इस क्रम में बुल्डोजरों के सहारे गलवन नदी के बहाव को बाधित करने की भी कोशिश कर रहा है।आइए जानें चीन के मुकाबले कहां खड़ा है भारत और दोनों देशों के सैन्य बलों की क्या है स्थिति
पूर्वी लद्दाख में एलएसी के अग्रिम मोर्चे पर गहराए तनाव और चीनी सैनिकों की धूर्तता के मद्देनजर ही भारतीय सेना ने डेमचोक और पैंगोंग इलाके के सीमावर्ती गावों को खाली कराने का निर्देश दिया है और मोर्चे पर तैनात होने वाले सैनिकों की संख्या में बढ़ा इजाफा किया है। इन सीमावर्ती गांवों के मोबाइल फोन नेटवर्क को भी फिलहाल बंद कर दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक गलवान घाटी के अलावा सेना ने दौलत बेग ओल्डी, चुशूल और डेपसांग इलाके में भी अपने सैनिकों की तैनाती की संख्या बढ़ा दी है।
क्षेत्रीय अखंडता सर्वोच्च प्राथमिकता: विदेश मंत्रालय
विदेश मंत्रालय ने वंदे भारत मिशन को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी जिसमें चीन के साथ जारी विवाद पर सवालों की बौछार हो गई। इन सवालों पर मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, 'हम सीमाई इलाकों में शांति और सौहार्द का माहौल बनाए रखने की जरूरत अच्छी तरह समझते हैं। साथ ही हम बातचीत के जरिए मतभेदों को सुलझाने के पक्षधर हैं। हालांकि, जैसा कि प्रधानमंत्री ने कल (बुधवार को) कहा, हम भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता सुनिश्चित करने को लेकर बेहद प्रतिबद्ध हैं।'छह घंटे चली मेजर जनरल लेवल की मीटिंग
उन्होंने आगे कहा, 'उम्मीद करते हैं कि चीन अपनी गतिविधियां अपनी सीमा के अंदर सीमित रखेगी।' श्रीवास्तव ने बताया कि भारत और चीन के बीच संपर्क अभी टूटा नहीं है और अलग-अलग स्तर पर बातचीत जारी है। इसी के तहत, दोनों देशों के बीच गुरुवार को भी मेजर जनरल लेवल की मीटिंग हुई। पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध के शांतिपूर्ण समाधान का रास्ता तलाशने के लिए दोनों पक्षों की यह मीटिंग छह घंटे तक चली। दोनों पक्ष बुधवार को भी मिले थे, लेकिन उस मीटिंग में किसी परिणाम तक नहीं पहुंचा जा सका था। लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गहराए तनाव के बीच गुरूवार को भी भारतीय सेना ने अग्रिम मोर्चो पर अपनी तैनाती और बढ़ा दी है। लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों के कई गांवों को खाली कराया जा रहा है तो चीन से लगी सभी सीमाओं के अग्रिम मोर्चो पर फौज की तैनाती बढ़ायी जा रही है। वहीं चीनी सेना अब भी गलवन घाटी में संघर्ष के इलाके से पीछे हटने को तैयार नहीं है। सेना ने अग्रिम मोर्चे पर ज्यादा मजबूत किया
गलवन घाटी पर जबरन धूर्तता से चीनी दावे की हवा निकालने के लिए ही भारतीय सेना ने हिंसक झड़प के मोर्चे पर अपनी तैनाती को और ज्यादा मजबूत कर दिया है। भारत के इस कठोर रुख के कारण ही गुरूवार को हुई तीसरी बैठक में कोई परिणाम नहीं निकला। हालांकि बैठक के नतीजों को लेकर दोनों पक्षों की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया। सेना के प्रवक्ता की ओर से केवल अमेरिकी अखबार में गलवन घाटी की झड़प के बाद कुछ भारतीय सैनिकों के अब भी लापता होने से जुड़ी खबरों के खंडन का आधिकारिक बयान जारी किया गया। गलवन घाटी में सेना के दर्जनों ट्रक अपने जरूरी संसाधनों के साथ हैं खड़े
भारत-चीन के सैन्य कमांडर स्तर की बैठक गुरुवार को भी गलवन घाटी के पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 के करीब ही हुई, जहां सोमवार की रात भीषण हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे। सामरिक सूत्रों ने फिर बताया कि चीन भले इस घटना में अपने हताहतों की संख्या का खुलासा नहीं कर रहा, मगर उसके करीब 45 सैनिक हताहत हुए हैं जिसमें मरने वाले और घायल दोनों शामिल हैं। गलवन घाटी की घटना के बाद भारतीय फौज ने यहां पर अपने सैनिकों का जमावड़ा बढ़ा दिया है। इतना ही नहीं, इस जगह से करीब दो-तीन किलोमीटर दूर सेना के दर्जनों ट्रक अपने जरूरी संसाधनों के साथ खड़े हैं। वहीं चीन ने भी गलवन घाटी से एक किलोमीटर दूर एलएसी के पार अपने इलाके में सैन्य वाहनों और सैनिकों का जमावड़ा कर रखा है। निहत्थे सैनिक के सवाल पर राहुल को जयशंकर का जवाब
भारतीय जवानों की शहादत पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने दावा किया कि ये सैनिक निहत्थे चीनी सैनिकों के आगे भेजे गए थे। इस पर विदेश मंत्री एस. जयंशकर ने बताया कि बॉर्डर ड्यूटी में तैनात हर सैनिक हथियारों से लैस रहता है। जयशंकर ने कहा कि 15 जून को भी भारतीय सैनिक हथियार के साथ मौके पर गए थे, लेकिन गोलीबारी नहीं करने की लंबी परंपरा का पालन करते हुए उन्होंने इनका इस्तेमाल नहीं किया था।चीनी सैनिकों के एलएसी के उस पार जाने की शर्त पर अडिग है भारतीय सेना
सोमवार रात की घटना के बाद चीन के ऐसे किसी मंसूबे को नाकाम करने के लिए ही भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों को अपने अस्थायी टेंट उखाड़ कर बाहर गलवन घाटी से एलएसी के उस पार जाने की पहली शर्त पर अडिग है। सामरिक सूत्रों के अनुसार चीनी सेना तनाव घटाने के उपायों की बजाय अब भी अपनी धूर्तता के कई रंग दिखा रही है और इस क्रम में बुल्डोजरों के सहारे गलवन नदी के बहाव को बाधित करने की भी कोशिश कर रहा है।आइए जानें चीन के मुकाबले कहां खड़ा है भारत और दोनों देशों के सैन्य बलों की क्या है स्थिति
पूर्वी लद्दाख में एलएसी के अग्रिम मोर्चे पर गहराए तनाव और चीनी सैनिकों की धूर्तता के मद्देनजर ही भारतीय सेना ने डेमचोक और पैंगोंग इलाके के सीमावर्ती गावों को खाली कराने का निर्देश दिया है और मोर्चे पर तैनात होने वाले सैनिकों की संख्या में बढ़ा इजाफा किया है। इन सीमावर्ती गांवों के मोबाइल फोन नेटवर्क को भी फिलहाल बंद कर दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक गलवान घाटी के अलावा सेना ने दौलत बेग ओल्डी, चुशूल और डेपसांग इलाके में भी अपने सैनिकों की तैनाती की संख्या बढ़ा दी है।