Vikrant Shekhawat : Jan 07, 2021, 10:01 PM
नई दिल्ली: कोरोना महामारी (Corona Pandemic) ने दुनियाभर की अर्थव्यवस्था पर बुरा असर डाला है. भारत भी इससे अछूता नहीं रहा. कोरोना की मार झेल रहे छोटे-मझोले कारोबारी साल 2021 से आस लगाए बैठे हैं, लेकिन अर्थव्यवस्था को लेकर एक और बुरी खबर आई है. कोविड के गहरे असर के परिणामस्वरूप देश की अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष (2020-21) में 7.7 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान है. ये क्षेत्र बिगाड़ सकते हैं गणितइससे पिछले वर्ष 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 4.2 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी. मुख्य रूप से विनिर्माण और सेवा क्षेत्र के खराब प्रदर्शन की वजह से अर्थव्यवस्था में गिरावट आने का अनुमान है. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा गुरुवार को जारी राष्ट्रीय आय के पहले अग्रिम अनुमान में कहा गया है कि कृषि और जनउपयोगी सेवाओं मसलन बिजली और गैस आपूर्ति को छोड़कर अर्थव्यस्था के लगभग सभी क्षेत्रों में गिरावट आने का अनुमान है.GDP को लेकर अनुमानएनएसओ के अनुसार, ‘2020-21 में स्थिर मूल्य (2011-12) पर वास्तविक जीडीपी या जीडीपी 134.40 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है. वहीं वर्ष 2019-20 में जीडीपी का शुरुआती अनुमान 145.66 लाख करोड़ रुपये रहा है. इस लिहाज से 2020-21 में वास्तविक जीडीपी में अनुमानत: 7.7 प्रतिशत की गिरावट आएगी जबकि इससे पिछले साल जीडीपी में 4.2 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी.हालांकि, सकल घरेलू उत्पाद में गिरावट का आंकड़ा कुछ अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों मसलन अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) और विश्वबैंक (World Bank) के अनुमान से कहीं कम है.एनएसओ का अनुमान है कि आधार कीमत पर वास्तविक सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) 2020-21 में 123.39 लाख करोड़ रुपये रहेगा, जो 2019-20 में 133.01 लाख करोड़ रुपये रहा है. जीवीए में शुद्ध करों को शामिल नहीं किया जाता. चालू वित्त वर्ष में विनिर्माण क्षेत्र के जीवीए मे 9.4 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है. वहीं 2019-20 में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर लगभग स्थिर (0.03 प्रतिशत) रही थी.इन क्षेत्रों में गिरावज जारी रहेगीएनएसओ का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में खनन और संबद्ध क्षेत्रों तथा व्यापार, होटल, परिवहन, संचार और प्रसारण से संबंधित सेवाओं में क्रमश: 12.4 प्रतिशत और 21.4 प्रतिशत की गिरावट आएगी. इसी तरह निर्माण क्षेत्र में भी 12.6 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है. आंकड़ों के अनुसार लोक प्रशासन, रक्षा और अन्य सेवाओं में 3.7 प्रतिशत की गिरावट आएगी. वहीं वित्तीय, रियल एस्टेट और पेशेवर सेवाओं में 0.8 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है.इस क्षेत्रों में देखने को मिलेगी तेजीहालांकि, 2020-21 में कृषि, वन और मत्स्यपालन की वृद्धि दर 3.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि 2019-20 में इस क्षेत्र की वृद्धि दर 4 प्रतिशत रही थी. इसी तरह चालू वित्त वर्ष में बिजली, गैस, जलापूर्ति और अन्य यूटिलिटी सेवाओं की वृद्धि दर 2.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। 2019-20 में इन क्षेत्रों की वृद्धि दर 4.1 प्रतिशत रही थी.चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. वहीं एनएसओ के तिमाही अनुमानों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में वास्तविक जीडीपी में 15.7 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई. वहीं तिमाही दर तिमाही आधार पर जीडीपी में पहली तिमाही के मुकाबले दूसरी तिमाही में 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. एनएसओ के अग्रिम अनुमान में तीसरी और चौथी तिमाही के दौरान गतिविधियां लगतार बढ़ती दिख रही हैं. इससे वित्त वर्ष 2020- 21 की समाप्ति अर्थव्यवस्था में 7.7 प्रतिशत की गिरावट के साथ होने का अनुमान है. क्या है रिजर्व बैंक का अनुमान?भारतीय रिजर्व बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.5 प्रतिशत की गिरावट आएगी. हालांकि, पहले केंद्रीय बैंक ने अर्थव्यवस्था में 9.5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया था.क्या कहते हैं विश्वबैंक के आंकड़े? विश्वबैंक ने अपने ताजा वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 9.6 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया है. इसी तरह आईएमएफ का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 10.3 प्रतिशत की गिरावट आएगी. हालांकि, उसका अनुमान है कि अगले वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था 8.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज करेगी.मूडीज का अनुमानमूडीज इन्वेस्टर सर्विस ने चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 10.6 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया है. पहले उसने अर्थव्यवस्था में 11.5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान लगाया था.