देश / कोरोना से मौतों पर WHO के आंकड़ों पर भारत ने जताई कड़ी आपत्ति, मॉडल और डेटा कलेक्शन पर उठाए सवाल

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि पिछले दो वर्षों में लगभग 1.5 करोड़ लोगों (Global Covid Death Toll ) ने या तो कोरोना वायरस से या स्वास्थ्य प्रणालियों पर पड़े इसके प्रभाव के कारण जान गंवाई। यह देशों द्वारा मुहैया कराए गए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 60 लाख मौत के दोगुने से अधिक है। ज्यादातर मौतें दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और अमेरिका में हुईं। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में कोरोना से 47

Vikrant Shekhawat : May 05, 2022, 10:08 PM
लंदन: विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का अनुमान है कि पिछले दो वर्षों में लगभग 1.5 करोड़ लोगों (Global Covid Death Toll ) ने या तो कोरोना वायरस से या स्वास्थ्य प्रणालियों पर पड़े इसके प्रभाव के कारण जान गंवाई। यह देशों द्वारा मुहैया कराए गए आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 60 लाख मौत के दोगुने से अधिक है। ज्यादातर मौतें दक्षिण पूर्व एशिया, यूरोप और अमेरिका में हुईं। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि भारत में कोरोना से 47 लाखें मौतें हुई हैं। हालांकि WHO के इन आंकड़ों पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है।

WHO के प्रमुख टेड्रोस एडनॉम घेब्रेयियस (Tedros Adhanom Ghebreyesus) ने इस आंकड़े को ‘‘गंभीर’’ बताते हुए कहा कि इससे देशों को भविष्य की स्वास्थ्य आपात स्थितियों से निपटने के लिए अपनी क्षमताओं में अधिक निवेश करने के लिए प्रेरित होना चाहिए।

भारत ने डेटा कार्यप्रणाली पर उठाया सवाल

विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों को लेकर भारत सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई है। सरकार की तरफ से कहा गया है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत की चिंताओं को पर्याप्त रूस से संबोधित किए बिना ही अतिरिक्त मृत्यु दर अनुमान जारी किया है। भारत ने कहा कि इन आंकड़ों को जारी करने के लिए जिन मॉडलों की वैधता और जिस डेटा कार्यप्रणाली का उपयोग किया गया है वह संदिग्ध है।


भारत ने उठाए बड़े सवाल

भारत सरकार ने कहा, “इस डेटा पर आपत्ति है। WHO के मॉडल, डेटा कलेक्शन, डेटा सोर्स, प्रक्रिया ( मेथोडोलॉजी) पर सवाल हैं। हम सभी ऑफिशियल चैनल का इस्तेमाल करेंगे और इस डेटा की आपत्ति को हम Executive बोर्ड में रखेंगे। 17 राज्यों के आधार पर डेटा जारी किया गया। तो 17 राज्यों को किस आधार पर चुना गया? हमारे लगातार पूछने पर 4 महीने बाद इन राज्यों के नाम बताए गए। कब तक या किस वक्त तक का डेटा WHO ने लिया, जानकारी नहीं दी।”

– नवंबर से केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने WHO को इस संबंध में 10 चिट्ठियां लिखीं पर जवाब नहीं दिया गया। WHO के DG, Tedros के भारत दौरे पर इस तरह के डाटा को लेकर सवाल उठाया गया उन्होंने कहा था कि उनकी टेक्निकल टीम इसे देख रही है। मौत के ये आंकड़े राज्यों के वेबसाइट, अखबारों में RTI के हवाले से छपी खबरें और टेलीफोनिक सर्वे के जरिए लिया गया।

– इन राज्यों के आधार पर मौत के आंकड़े : महाराष्ट्र, केरल, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल, पंजाब, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, असम, आंध्र प्रदेश, चंडीगढ़ बिहार, कर्नाटक, मध्यप्रदेश और यूपी। WHO की दलील है कि इन राज्यों में भारत की 60% आबादी है।

– हमने 2020 का डेटा दिया। 2021 का डेटा आने वाला है तो हम देंगे। हमारा डेटा बर्थ एंड डेथ रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया से आता है। जो आने वाला है। आते ही हम साझा करते हैं।

– हमें tier 2 में क्यों रखा गया? जबकि छोटे-छोटे देश जहां आंकड़ा सम्मिलित करने का सही मैकेनिज्म नहीं, वो tier 1 में कैसे रखे गए?

डब्ल्यूएचओ के तहत वैज्ञानिकों को जनवरी 2020 और पिछले साल के अंत तक मौत की वास्तविक संख्या का आंकलन करने की जिम्मेदारी दी गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक 1।33 करोड़ से लेकर 1।66 करोड़ लोगों की मौत या तो कोरोना वायरस या स्वास्थ्य सेवा पर पड़े इसके प्रभाव के कारण हुई। जैसे कि कोविड मरीजों से अस्पताल के भरे होने के कारण कैंसर के मरीजों को इलाज नहीं मिल पाया।

यह आंकड़ा देशों की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों और सांख्यिकी मॉडलिंग पर आधारित है। डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 से सीधे तौर पर मौत का विवरण नहीं मुहैया कराया है।

येल स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में संक्रामक रोग विशेषज्ञ अल्बर्ट कू ने कहा, ‘‘किसी संख्या के बारे में निष्कर्ष पर पहुंचना जटिल काम है लेकिन डब्ल्यूएचओ के ये आंकड़े यह समझने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है कि हमें भविष्य की महामारी का मुकाबला कैसे करना चाहिए और किस तरह की तैयारी रखनी चाहिए।’’

भारत जैसे देशों ने कोविड-19 से हुई मौतों के आकलन की पद्धति को लेकर सवाल उठाए हैं। इस सप्ताह की शुरुआत में भारत सरकार ने नए आंकड़े जारी किए जिससे पता चला कि पिछले साल की तुलना में 2020 में 474,806 अधिक मौतें हुईं। भारत ने 2021 के लिए मौत का अनुमान जारी नहीं किया।

ब्रिटेन के एक्सेटर विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ। भरत पंखानिया ने कहा कि खासकर गरीब देशों में कोविड-19 से हुई मौतों के बारे में सटीक संख्या का पता कभी नहीं चल सकेगा। उन्होंने कहा कि दीर्घावधि में कोविड-19 से अधिक नुकसान हो सकता है।