Vikrant Shekhawat : Jun 28, 2022, 09:09 PM
भारत ने कच्चे तेल की खरीद को लेकर दुनिया के सामने अपना स्पष्ट रुख रखा है। विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने मंगलवार को कहा कि यूक्रेन संकट की वजह से ऊर्जा सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बन गई है। उन्होंने कहा कि भारत तेल खरीद पर हर फैसला अपनी एनर्जी सिक्यॉरिटी को देखते हुए ही करेगा। जर्मनी में जी7 सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने भी यही विचार रखे थे। दूसरे देशों ने भी पीएम मोदी के इस विचार की तारीफ की थी।
क्वात्रा म्यूनिख में मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे। उनसे सवाल किया गया कि रूस के खिलाफ जी7 देशों की कार्रवाई से क्या भारत पर कोई दबाव पड़ रहा है। जी7 के देश रूस पर और प्रतिबंध लगाना चाहते हैं और इससे तेल की कीमतों में उछाल आने की भी संभावना है। क्वात्रा ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि इस संकट के समय में एनर्जी सिक्यॉरिटी बड़ी चुनौती के रूप में सामने है। लेकिन जब बाद वैश्विक तेल व्यापार की होगी तो भारत पहले अपनी ऊर्जा सुरक्षा को लेकर विचार करेगा।बता दें कि कुछ दिन पहले ही अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों ने भारत पर इस बात को लेकर दबाव बनाया था कि वह रूस के साथ तेल व्यापार को न बढ़ाए। जानकारों का कहना है कि रूस के कच्चे तेल के लिए भारत एक बड़ा बाजार बन गया है। मई के मुकाबले जून में भारत में आयात होने वाले कच्चे तेल में लगभग 7 प्रतिशत का इजाफा हो गया है। पिछले साल तक रूस से भारत का कुल एनर्जी इंपोर्ट केवल दो फीसदी ही होता था। जलवायु, ऊर्जा और स्वास्थ्य के सत्र में संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने ही एनर्जी सिक्यॉरिटी का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि एनर्जी की कीमत इतनी बढ़ गई है कि हो सकता है कि यह केवल धनवान लोगों के लिए ही रह जाए। क्वात्रा ने कहा कि जी7 समिट में यूक्रेन संकट पर चर्चा की गई। भारत ने अपना रुख बता दिया है कि बंधकों को तत्काल मुक्त किया जाए और युद्ध छोड़कर बातचीत की तरफ लौटा जाए।
क्वात्रा म्यूनिख में मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे थे। उनसे सवाल किया गया कि रूस के खिलाफ जी7 देशों की कार्रवाई से क्या भारत पर कोई दबाव पड़ रहा है। जी7 के देश रूस पर और प्रतिबंध लगाना चाहते हैं और इससे तेल की कीमतों में उछाल आने की भी संभावना है। क्वात्रा ने कहा, प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि इस संकट के समय में एनर्जी सिक्यॉरिटी बड़ी चुनौती के रूप में सामने है। लेकिन जब बाद वैश्विक तेल व्यापार की होगी तो भारत पहले अपनी ऊर्जा सुरक्षा को लेकर विचार करेगा।बता दें कि कुछ दिन पहले ही अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों ने भारत पर इस बात को लेकर दबाव बनाया था कि वह रूस के साथ तेल व्यापार को न बढ़ाए। जानकारों का कहना है कि रूस के कच्चे तेल के लिए भारत एक बड़ा बाजार बन गया है। मई के मुकाबले जून में भारत में आयात होने वाले कच्चे तेल में लगभग 7 प्रतिशत का इजाफा हो गया है। पिछले साल तक रूस से भारत का कुल एनर्जी इंपोर्ट केवल दो फीसदी ही होता था। जलवायु, ऊर्जा और स्वास्थ्य के सत्र में संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने ही एनर्जी सिक्यॉरिटी का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि एनर्जी की कीमत इतनी बढ़ गई है कि हो सकता है कि यह केवल धनवान लोगों के लिए ही रह जाए। क्वात्रा ने कहा कि जी7 समिट में यूक्रेन संकट पर चर्चा की गई। भारत ने अपना रुख बता दिया है कि बंधकों को तत्काल मुक्त किया जाए और युद्ध छोड़कर बातचीत की तरफ लौटा जाए।