देश / कोविड-19 के दौरान भारत में 49 लाख तक अतिरिक्त मौतें होने की आशंका: स्टडी

सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक-सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन के सह-नेतृत्व वाले अध्ययन के अनुसार, कोविड-19 महामारी के दौरान भारत में 49-लाख तक अतिरिक्त मौतें होने की आशंका है। महामारी की शुरुआत से लेकर जून-2021 तक इन आंकड़ों में सभी वजह से हुई मौतें शामिल हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, कोविड-19 से असल मौतों का पता करने का 'एक्सेस डेथ्स' बढ़िया तरीका है।

नई दिल्ली: कोरोना से मौत को लेकर एक नई रिपोर्ट आई है। इसमें कई बड़े दावे किए गए हैं। यह कहती है कि देश में कोरोना संक्रमण से सरकारी आंकड़ों के मुकाबले दस गुना ज्‍यादा लोगों ने जान गंवाई है। इस दौरान 34 से 49 लाख अतिरिक्त मौतें होने की आशंका है। रिपोर्ट में इसे आजादी के बाद सबसे भीषण त्रासदी बताया गया है। यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब सरकार लगातार कोरोना की तीसरी लहर को लेकर आगाह कर रही है। खास बात यह है कि इस रिपोर्ट को तैयार करने में मुख्य आर्थिक सलाहकार रह चुके अरविंद सुब्रमण्यम भी शामिल हैं।

यह रिपोर्ट मंगलवार को जारी हुई। इस रिपोर्ट को भारत के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम, अमेरिकी थिंक-टैंक सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट के जस्टिन सैंडफुर और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अभिषेक आनंद ने तैयार किया है। रिपोर्ट के लेखकों ने कहा, ‘सभी अनुमान बताते हैं कि महामारी से मरने वालों की संख्या 4,00,000 की आधिकारिक संख्या से काफी अधिक हो सकती है।’

आजादी के बाद सबसे भीषण त्रासदी

उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मौतों की वास्तविक संख्या के लाखों में होने का अनुमान है। यह पार्टिशन और आजादी के बाद से भारत की सबसे भीषण मानव त्रासदी है। उनका अनुमान है कि जनवरी 2020 से जून 2021 के बीच 34 से 49 लाख लोगों की मौत हुई है। वहीं, भारत के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मृतकों की कुल संख्या बुधवार को 4.18 लाख थी।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कोविड से मरने वालों की संख्या को लेकर आधिकारिक अनुमान नहीं है। इसके मद्देनजर शोधकर्ताओं ने महामारी की शुरुआत से इस साल जून तक तीन अलग-अलग स्रोतों से मृत्यु दर का अनुमान लगाया।

कैसे लगाया अनुमान?

पहला अनुमान सात राज्यों में मौतों के राज्य स्तरीय पंजीकरण से लगाया गया। इससे 34 लाख अतिरिक्त मौतों का पता लगता है। इसके अलावा शोधकर्ताओं ने आयु-विशिष्ट संक्रमण मृत्यु दर (आईएफआर) के अंतरराष्ट्रीय अनुमानों का भी प्रयोग किया।

शोधकर्ताओं ने उपभोक्ता पिरामिड घरेलू सर्वेक्षण (सीपीएचएस) के आंकड़ों का भी विश्लेषण किया, जो सभी राज्यों में 8,00,000 से अधिक लोगों के बीच का सर्वेक्षण है। इससे 49 लाख अतिरिक्त मौतों का अनुमान है। शोधकर्ताओं ने कहा कि वे किसी एक अनुमान का समर्थन नहीं करते क्योंकि प्रत्येक तरीके में गुण और कमियां हैं।

दूसरी लहर से लड़ रहा देश

भारत अब भी विनाशकारी दूसरी लहर से उबर रहा है जो मार्च में शुरू हुई थी और माना जाता है कि अधिक संक्रामक डेल्टा वैरिएंट के कारण भारत में स्थिति खराब हुई। विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि जितना समझा जाता है, पहली लहर उससे कहीं ज्यादा घातक थी। इस साल मार्च के अंत तक जब दूसरी लहर शुरू हुई भारत में मरने वालों की आधिकारिक संख्या 1,50,000 से अधिक थी।