Vikrant Shekhawat : Jan 31, 2024, 06:00 AM
Business News: भारत की इकोनॉमी इस समय दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है. भारत ने ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की पांचवी बड़ी इकोनॉमी बनने का फासला तय किया है. इसके उलट पूरे यूरोप की हालत खराब है. ये इतनी खराब है कि यूरोप की इकोनॉमिक ग्रोथ जीरो’ हो चुकी है. आखिर क्या है इसके पीछे का सच…? यूरोप की अर्थव्यवस्था अक्टूबर-दिसंबर 2023 में भी रफ्तार पकड़ने में नाकाम रही है. अब लगभग एक साल से अधिक समय हो गया है, जब यूरोप की अर्थव्यवस्था में ठहराव की स्थिति बनी हुई है. अक्टूबर-दिसंबर 2023 में यूरोप की इकोनॉमिक ग्रोथ रेट ज़ीरो रही है. जबकि अक्टूबर-दिसंबर 2022 में भी यूरोप की जीडीपी ग्रोथ सिर्फ 0.1 प्रतिशत ही थी.जर्मनी की इकोनॉमी सुस्त होने से बने हालातयूरोपीय यूनियन की सांख्यिकी इकाई यूरोस्टैट ने मंगलवार को तिमाही आंकड़े जारी किए. इसमें कहा गया है कि ईंधन के बढ़ते दाम, महंगा होता कर्ज और जर्मनी में हालात नरम पड़ने से पूरे यूरोप की इकोनॉमी स्टैंड स्टिल बनी हुई है. यूरो करेंसी इस्तेमाल करने वाले 20 देशों में जुलाई 2022 के बाद से ही आर्थिक हालात काफी खराब बने हुए हैं. जुलाई-सितंबर 2022 में यूरोप की अर्थव्यवस्था 0.5 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी.2024 में भी ऐसे ही रहेंगे आसारएक्सपर्ट्स का मानना है कि साल 2024 में भी यूरोप के लिए हालात बेहतर होने की संभावना कम दिख रही है. जनवरी में लाल सागर से होने वाला समुद्री व्यापार आतंकी हमलों की चपेट में आ गया है. इसका असर यूरोपीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने की संभावना है. हालांकि इतने सबके बावजूद यूरोपीय देशों में बेरोजगारी का स्तर काफी नीचे है.इंडियन इकोनॉमी का जलवाजल्द ही भारत अपने अगले दशक का प्रमुख बजट पेश करने जा रहा है. इस बीच देश की इकोनॉमिक ग्रोथ के हालात बढ़िया बने हुए हैं. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के ताजा आंकड़ों के हिसाब से वित्त वर्ष 2023-24 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है.